साझा घोषणापत्र पर राजनाथ ने हस्ताक्षर नहीं किया
एससीओ समिट के साझा घोषणा पत्र में पहलगाम हमले का जिक्र नहीं
जारी नहीं हो सका एससीओ समिट का साझा घोषणा पत्र
विश्व में हो रही है चीन-पाकिस्तान की मक्कारी की निंदा
किंगदाओ (चीन), 26 जून (एजेंसियां)। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में साझा घोषणा पत्र (जॉइंट स्टेटमेंट) पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। साझा घोषणा पत्र में पहलगाम आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया था, लेकिन उसमें बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का जिक्र किया गया था। साझा घोषणा पत्र पर भारत के रक्षा मंत्री के हस्ताक्षर नहीं करने के कारण एससीओ घोषणा पत्र जारी नहीं हो सका। इसे लेकर दुनियाभर में चीन की निंदा हो रही है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को लेकर अपनाए जाने वाले दोगले रवैये पर तीखा प्रहार दिया और अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। सिंह ने कड़े लहजे में कहा, कुछ देश क्रॉस बॉर्डर टेरेरिज्म को नीतिगत साधन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं औऱ आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और मई में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा, पहलगाम आतंकी हमले का पैटर्न भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को सीमा पार आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक शुरू किया।
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी में कहा, आतंकवाद का कोई भी कृत्य आपराधिक और अनुचित है, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो, चाहे वह कभी भी, कहीं भी और किसी के द्वारा भी किया गया हो। एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने कहा, भारत का मानना है कि बहुपक्षवाद संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाकर देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सहयोग बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। वास्तव में, वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार यह धारणा है कि राष्ट्रों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत सर्वे जन सुखिनो भवन्तु को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।
राजनाथ सिंह ने कहा, कोविड-19 महामारी ने इस तथ्य को उजागर कर दिया है कि महामारी कोई सीमा नहीं मानती और जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। यह इस बात का चेतावनी संकेत है कि महामारी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और जल सुरक्षा जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां हमारे लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। इन उभरती चुनौतियों का समाधान जिम्मेदार नीतियों और राष्ट्रों के बीच सहयोग के बिना नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि चीन के किंगदाओ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक चल रही है। चीन इसका मेजबान है। उसने अपने पालतू पाकिस्तान से मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रची और उसमें एक ऐसा दस्तावेज जोड़ा गया, जो कि भारत के आतंकवाद के खिलाफ रुख को कमजोर करता था। लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर हस्ताक्षर करने से इन्कार करते हुए आतंक के खिलाफ देश की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को शांति और समृद्धि का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने एससीओ सदस्य देशों से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर दोषियों, उनके वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराएं। भारत की इस नीति ने वैश्विक मंच पर उसकी आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
एससीओ की अध्यक्षता कर रहे चीन और उसके करीबी सहयोगी पाकिस्तान ने संयुक्त बयान में आतंकवाद पर सख्त भाषा को हल्का करने की कोशिश की। बयान में पहलगाम हमले को शामिल न करने और बलूचिस्तान का जिक्र करने को भारत ने पक्षपातपूर्ण माना। इस कारण भारत के विरोध के बाद एससीओ ने कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया, जो इस मंच के लिए असामान्य है। यह कदम चीन की अध्यक्षता में उसकी तटस्थता पर भी सवाल उठाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इशारों में चीन को भी लपेटे में लिया। साथ ही पहलगाम हमले को लेकर उन्होंने कहा कि उस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है, जो कि पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा का अंग है। इसके साथ ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने केवल अपने रक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है।
चीन में हुई एससीओ बैठक में भारत ने आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए साझा बयान पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर परोक्ष हमला बोलते हुए कहा कि आतंकवाद और शांति साथ-साथ नहीं रह सकते। उन्होंने पहलगाम हमले का जिक्र न होने पर आपत्ति जताई। चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर अपना सख्त रुख साफ कर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साझा बयान पर साइन करने से इनकार कर दिया क्योंकि इसमें हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र तक नहीं था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। नतीजतन, एससीओ सम्मेलन के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया।
चीन और पाकिस्तान ने मिलकर एससीओ के दस्तावेज में आतंकवाद पर फोकस कम करने की कोशिश की। लेकिन भारत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए अपने पक्ष से कोई समझौता नहीं किया। खासतौर पर कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले को लेकर भारत ने यह साफ कर दिया कि आतंकवाद पर कोई नरमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ देश अपनी नीतियों में सीमा पार आतंकवाद को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और आतंकियों को पनाह दे रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसे दोहरे मापदंड को खत्म करना बेहद जरूरी है और एससीओ जैसे मंच को ऐसी ताकतों की खुलेआम आलोचना करनी चाहिए। रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत शांति का समर्थक है, लेकिन आतंकवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते। उन्होंने अन्य सदस्य देशों से भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। गौरतलब है कि एससीओ में भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस समेत कुल दस सदस्य देश शामिल हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत आतंकवाद पर किसी भी दबाव या समझौते के लिए तैयार नहीं है। एससीओ सम्मेलन भले ही बिना साझा बयान के समाप्त हुआ हो, लेकिन भारत का कड़ा संदेश पूरी दुनिया के सामने आ चुका है।
पाकिस्तान का नाम लिए बिना रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमापार आतंकवाद के बारे में भारत की चिंताओं को उजागर किया। भारत ने एससीओ सदस्य देशों से सैद्धांतिक रुख अपनाने का आग्रह किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन के दौरान शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी को सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में बताया। पाकिस्तान का नाम लिए बिना राजनाथ ने सीमा पार आतंकवाद के बारे में भारत की चिंताओं को उजागर किया और एससीओ सदस्य देशों से सैद्धांतिक रुख अपनाने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह ने कहा, कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। राजनाथ की यह टिप्पणी 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के कुछ सप्ताह बाद आई। हमले में एक नेपाली नागरिक और 26 लोगों की जान चली गई थी। हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। यह संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक छद्म समूह है।
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के दो दिवसीय सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ जंग में व्यापक सहयोग की वकालत की। पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले के लगभग डेढ़ महीने बाद हो रहे इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए अधिक क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में गंभीर तनाव पैदा होने के बाद से यह किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की चीन की पहली यात्रा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी एससीओ के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन में हैं। चीन एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के नाते सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें सीमा पार से हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के लिए ड्रोन सहित आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी परस्पर जुड़ी दुनिया में पारंपरिक सीमाएं अब खतरों के खिलाफ एकमात्र बाधा नहीं हैं। इसके बजाय हम चुनौतियों के एक जटिल जाल का सामना कर रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और साइबर हमलों से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक फैले हुए हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के अपने संकल्प पर कायम है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के लिए भारत की शून्य सहिष्णुता आज उसके काम से प्रकट होती है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे। हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए। एससीओ के आरएटीएस तंत्र ने इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने पर एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य भारत की अध्यक्षता हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
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