आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान

 एससीओ समिट : भारत के एनएसए अजित डोभाल चीन पहुंचे

आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान

चीन के उपराष्ट्रपति, विदेश मंत्री एवं अन्य नेताओं से मिले डोभाल

बीजिंग, 24 जून (एजेंसियां)। चीन की राजधानी बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक होने जा रही है। एससीओ की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे। उससे पहले वहां एससीओ के सुरक्षा परिषद सचिवों की बैठक चल रही है। इसमें भाग लेने के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल भी बीजिंग में हैं। अजित डोभाल ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष मुलाकात की। दोनों के साथ हुई वार्ता न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज सेबल्कि व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पश्चिम एशिया में ईरान-इजराइल युद्ध गहराता जा रहा है और वैश्विक शक्तियां क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

चीन में एसएसओ की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 20वीं बैठक में एनएसए अजित डोभाल ने चीन के उप राष्ट्रपति हान झेंग और अन्य कई प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों से मुलाकात की। यह मुलाकात बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल में हुई, जहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 20वीं बैठक हो रही है। चीन में भारतीय दूतावास ने जानकारी दी कि डोभाल इस बैठक में शामिल अन्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों के साथ हान झेंग से मिलने पहुंचे थे।

एससीओ में डोभाल ने कहासीमापार आतंकवाद फैलाने वाले अपराधियोंसाजिशकर्ताओं और उनका वित्तपोषण करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। बैठक में डोभाल ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंडों को भी छोड़ने का आह्वान किया। पाकिस्तान में आतंकवादियों को निशाना बनाने वाले भारतीय सेना के सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एनएसए ने कहाभारत की कार्रवाई नपी-तुली थी और संघर्ष को बढ़ावा देने वाली नहीं थी। उन्होंने आतंकवादअलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए सूचना साझा करने का भी आह्वान किया।

इससे पहलेडोभाल ने रूसी रक्षा परिषद के उपसचिव अलेक्जेंडर वेनेदिक्तोव के साथ भी एससीओ की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 20वीं बैठक के दौरान मुलाकात की। दोनों देशों ने आपसी संबंधक्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा की। रूसी पक्ष ने कहा कि वह जल्द ही रणनीतिक वार्ता के अगले दौर के लिए डोभाल का रूप में स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं। दोनों पक्षों ने भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी के आधार पर आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने की जोर दिया।

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डोभाल ने सोमवार को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की थी। इस दौरान डोभाल ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए आतंकवाद के हर रूप और स्वरूप के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी बयान के मुताबिकदोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हाल के घटनाक्रम की समीक्षा की। साथ ही आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसमें लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर भी चर्चा हुई ताकि दोनों देशों के संबंध मजबूत हो सकें। बैठक में डोभाल ने साफ कहा कि आतंकवाद का कोई भी रूप बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है ताकि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रह सके।

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चीन के विदेश मंत्री वांग यी से हुई वार्ता में भारत के एनएसए अजित डोभाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। डोभाल का बयान पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ हुए ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की मांग करता रहा है और स्वाभाविक है कि चीन जैसे प्रभावशाली देशों से इस दिशा में समर्थन की अपेक्षा की जाए।

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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने चीन की ओर से भारत के साथ संबंधों को सुधारने की इच्छा जताई। इससे संकेत मिलता है कि चीनजो हाल के वर्षों में भारत के साथ सीमा विवादों और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में उलझा रहा हैअब संबंधों को स्थिरता की ओर ले जाने के प्रयास कर रहा है। आज के भूराजनीतिक वातावरण में डोभाल और वांग यी की यह मुलाकात सकारात्मक संकेत दे रही हैं। हालांकि भारत-चीन संबंधों में कई जटिलताएं अपनी जगह कायम हैं। विशेषकर सीमा विवादव्यापार असंतुलन और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में। फिर भीदोनों पक्षों ने लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और द्विपक्षीय संवाद को आगे बढ़ाने की बात कही है। यह एक ऐसा संकेत है जो बताता है कि दोनों देश तनाव को कम करने और संवाद के माध्यम से समाधान खोजने के इच्छुक हैं।

विशेषज्ञों की नजर में भारत की दृष्टि से डोभाल और वांग यी के बीच हुई वार्ता कई मायनों में महत्वपूर्ण है। भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटा रहा है। उस दिशा में इस वार्ता को एक कूटनीतिक मौका माना जा सकता है। चीन के साथ संवाद बनाए रखना भी आवश्यक हैविशेषकर ऐसे समय में जब वैश्विक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है। पश्चिम एशिया में भारत को संतुलित भूमिका के साथ आगे बढ़ना है। ध्यान रखना है कि भारत के ईरान और इजराइल दोनों से रणनीतिक संबंध हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि डोभाल-वांग यी वार्ता केवल एक द्विपक्षीय बैठक नहीं थीबल्कि यह एक व्यापक रणनीतिक संवाद था जो एशिया की सुरक्षास्थिरता और कूटनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। आतंकवाद के खिलाफ साझा रुखसंबंधों को सुधारने की इच्छा और वैश्विक संकटों पर समन्वय की संभावनाये सभी आयाम संकेत करते हैं कि भारत और चीनप्रतिस्पर्धा के बावजूदसंवाद और सहयोग के रास्ते तलाशने को तैयार हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ में बुधवार से हो रहे एससीओ (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) में शिरकत करेंगे। इस सम्मेलन में राजनाथ सिंह आतंकवाद का मुद्दा उठाएंगे। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुए संघर्ष के बाद यह किसी शीर्ष भारतीय नेता की पहली चीन यात्रा है। एससीओ सम्मेलन में रक्षा मंत्री एससीओ के सदस्य देशों के बीच व्यापारआर्थिक सहयोग और संपर्क बढ़ाने की भी वकालत कर सकते हैं। रक्षा मंत्री चीन में कई सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय मुलाकात कर सकते हैं। इनमें चीन और रूस के रक्षा मंत्री भी शामिल हैं।

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