उस मंदिर को कट्टरपंथी सरकार ने ध्वस्त कर दिया
जिस मंदिर पर दो दिन पहले हुआ कट्टरपंथियों का हमला
भारत सरकार ने बांग्लादेश सरकार को लगाई फटकार
ढाका, 27 जून (एजेंसियां)। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार ने एक हिंदू मंदिर को जमींदोज कर दिया है। राजधानी ढाका में इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश इस्लामी कट्टरपंथी पहले से कर रहे थे। हिंदू इस तोड़फोड़ का विरोध न कर पाएं, इसके लिए बांग्लादेश की फौज लगा दी गई थी। भारत ने बांग्लादेश सरकार के इस कृत्य की कड़ी आलोचना की है। राजधानी ढाका में गिराया गया यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित था। इसे बांग्लादेश रेलवे के ढाका डिवीजन के डिप्टी कमिश्नर और डिविजनल एस्टेट ऑफिसर मोहम्मद नासिरुद्दीन महमूद के आदेश पर गिराया गया है। मंदिर गिराने की यह कार्रवाई गुरुवार 26 जून को की गई।
मंदिर गिराए जाने के समय बड़ी संख्या में हिंदू पुरुष और महिलाएं मौजूद थीं। मंदिर गिराने के लिए ढाका के पूर्वांचल आर्मी कैंप से सैन्यबल और पुलिसबल भी बुलाया गया था। यहां बुलडोजर भी साथ लाया गया था। विरोध करने वाले हिंदुओं को फौज ने हटा दिया और मंदिर को तोड़ दिया। ढाका के खिलखेत सर्वजनीन दुर्गा मंदिर को गिराए जाने से पहले हिंदू समुदाय ने प्रशासन से रथ यात्रा निकालने की अनुमति देने और उसके बाद तोड़फोड़ को कुछ समय के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया था। लेकिन प्रशासन ने इस अपील को भी अस्वीकार कर दिया।
गुरुवार को मंदिर गिराए जाने की कार्रवाई में मंदिर की मूर्तियां, पूजा सामग्री और अन्य धार्मिक वस्तुएं भी नष्ट कर दी गईं। देवी काली और भगवान शिव की मूर्तियां बुलडोजर के नीचे आकर टुकड़े-टुकड़े हो गईं। यह मंदिर काफी प्राचीन काल से दुर्गा पूजा का केंद्र रहा है। मंदिर में देवी काली की मूर्ति भी थी, जिसकी नियमित पूजा की जाती थी। यह मंदिर अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल था। इस घटना से दो दिन पहले 24 जून की रात को मुस्लिम भीड़ ने मंदिर पर हमला किया था। उन्होंने मंदिर को खाली करने के लिए 12 घंटे की धमकी दी थी। इस्लामी भीड़ ने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की थी और भक्तों को गालियां और जान से मारने की धमकियां भी दीं। इसके बाद कल प्रशासन ने भारी सुरक्षा के बीच मंदिर को गिरा दिया जिससे हिंदू समुदाय में गहरा आक्रोश और दुख है।
मंदिर को जगन्नाथ यात्रा से ठीक पहले गिराया जाना हिंदू समुदाय के लिए और भी दर्दनाक रहा। इस घटना ने पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। जहां सरकार इसे अतिक्रमण हटाने की सामान्य कार्रवाई बता रही है, वहीं हिंदू समुदाय का मानना है कि यह कदम अल्पसंख्यकों पर हो रहे लगातार अत्याचारों का हिस्सा है। लोगों ने यह भी सवाल उठाया है कि मूर्तियों को नष्ट करने के बजाय उन्हें सम्मानपूर्वक दूसरी जगह क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया। कुछ स्थानीय निवासियों का दावा है कि यह जमीन वास्तव में रेलवे द्वारा मंदिर के लिए दान की गई थी, जिससे यह पूरी कार्रवाई और भी विवादास्पद बन गई है।
ढाका में मंदिर गिराने पर भारत ने बांग्लादेश को लताड़ लगाई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम समझते हैं कि कट्टरपंथी खिलखेत ढाका में दुर्गा मंदिर को ध्वस्त करने के लिए चिल्ला रहे थे। अंतरिम सरकार ने मंदिर को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय, इस घटना को अवैध भूमि उपयोग के मामले के रूप में पेश किया और आज मंदिर को ध्वस्त करने की अनुमति दी। इससे देवी-देवताओं की मूर्ति को नुकसान पहुंचा। जबकि इन मूर्तियों को ससम्मान अन्यत्र स्थानांतरित भी किया जा सकता था। भारत के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा, हम इस बात से दुखी हैं कि बांग्लादेश में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि हिंदुओं, उनकी सम्पत्तियों और उनके धार्मिक संस्थानों की रक्षा करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है।
#TempleDemolition #ExtremistGovt #ReligiousIntolerance #ProtectMinorities #StopTempleDestruction #ReligiousFreedom #HumanRights #FaithUnderAttack #SpeakUp #JusticeForAll