अब सोनिया गांधी से कानून पूछेगा यह सवाल
ऐतिहासिक पत्रों से भरा 51 बक्सा कहां गायब है सोनिया जी!
सोनिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा पीएमएमएल
नई दिल्ली, 27 जून (एजेंसियां )। क्या कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पर चोरी का मुकदमा दर्ज होगा? नेहरू और एडविना माउंटबेटन एवं अरुणा आसफ अली के पत्रों को गायब करने के मामले में प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी सोनिया गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने जा रही है। यूपीए के शासनकाल में लाइब्रेरी से ऐतिहासिक दस्तावेजों से भरे 51 बक्से गायब कर दिए गए थे। इन्हें लौटाने का लगातार आग्रह किया जाता रहा, लेकिन सोनिया ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
इस विवाद की जड़ पंडित जवाहरलाल नेहरू के निजी संग्रह से जुड़े उन ऐतिहासिक दस्तावेजों में है, जिनमें कई मशहूर हस्तियों के साथ उनका पत्र-व्यवहार शामिल है। इनमें एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, विजय लक्ष्मी पंडित, बाबू जगजीवन राम और अरुणा आसफ अली जैसी हस्तियां शामिल हैं। ये बेशकीमती दस्तावेज वर्ष 2008 में यूपीए सरकार के दौरान हटाए गए थे। 23 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्षता में हुई पीएमएमएल सोसाइटी की बैठक में इस गंभीर मसले पर चर्चा हुई। बैठक में यह तय किया गया कि अब इस मामले को कानूनी रास्ते से सुलझाया जाना चाहिए।
पीएमएमएल ट्रस्ट इन दस्तावेजों की चोरी को लेकर कानूनी जांच कराने पर विचार कर रहा है। पीएमएमएल का कहना है कि ये दस्तावेज संस्थान को दान किए गए थे, इसलिए ये कानूनी रूप से संस्थान की सम्पत्ति हैं। आग्रह और अपील के बावजूद सोनिया गांधी इन दस्तावेजों को वापस नहीं कर रही हैं। कानूनी जांच में अगर यह साबित होता है कि इन दस्तावेजों को गैरकानूनी तरीके से संस्थान से हटाया गया, तो सोनिया गांधी को इस मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
ये दस्तावेज 1971 से लेकर 2008 तक नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) में रखे गए थे। एनएमएमएल का नाम बदल कर अब प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) हो गया है। यह विवाद वर्ष 2008 में चालू हुआ जब बेशकीमती दस्तावेज 51 बक्सों में पैक कर सोनिया गांधी द्वारा संग्रहालय से निकाल लिए गए। इनमें वे दस्तावेज भी शामिल थे जिन्हें पहले इंदिरा गांधी और बाद में सोनिया गांधी ने एनएमएमएल को दान किया था, क्योंकि गांधी परिवार उत्तराधिकारी के रूप में काम कर रहा था। पीएमएमएल इससे पहले कई बार सोनिया गांधी के कार्यालय को कई बार पत्र भेजकर उन दस्तावेजों को लौटाने की अपील कर चुका है।
गुजरात के इतिहासकार और पीएमएमएल सोसाइटी के सदस्य प्रोफेसर रिजवान कादरी ने भी सितंबर 2024 में सोनिया गांधी और फिर दिसंबर 2024 में राहुल गांधी को पत्र लिखे। उन्होंने निवेदन किया कि अगर दस्तावेज वापस नहीं दिए जा सकते, तो कम से कम उनकी फोटोकॉपी या डिजिटल स्कैन ही भेज दिए जाएं। लगातार कहने के बावजूद सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया। क्रमशः यह मामला काफी गंभीर हो गया। अब पीएमएमएल इस मामले में कानूनी रास्ते तलाश रहा है और जल्द कार्रवाई कर सकता है।
प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी की 47वीं वार्षिक आम बैठक हाल ही में तीन मूर्ति भवन में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इसमें सोसाइटी के उपाध्यक्ष केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए। अन्य प्रमुख सदस्यों में भाजपा नेता स्मृति ईरानी, गीतकार प्रसून जोशी और रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अश्विनी लोहानी भी मौजूद थे। लोहानी अब पीएमएमएल के निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं। बैठक में इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा की गई। इससे पहले फरवरी 2024 की आम बैठक में भी यह मामला उठा था। पीएमएमएल के सदस्यों का मानना है कि ये दस्तावेज सिर्फ परिवार की निजी सम्पत्ति नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय धरोहर हैं और इन्हें संस्थान के पास सुरक्षित रहना चाहिए। इस पर सभी सदस्यों की आम सहमति बनी।
फरवरी की बैठक के बाद इस मामले में कानूनी सलाह ली गई और इसी के आधार पर सोनिया गांधी के कार्यालय को एक औपचारिक पत्र भेजा गया था। इसमें पहली बार आधिकारिक तौर पर यह रिकॉर्ड में रखा गया कि दस्तावेज वापस ले लिए गए हैं और उन्हें लौटाने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, गांधी परिवार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया।
अब पीएमएमएल सोसाइटी के सदस्य 2014 से पहले की प्रशासनिक चूक को सुधारने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, ताकि नेहरू से जुड़े ये ऐतिहासिक दस्तावेज दोबारा सार्वजनिक संग्रह में आ सकें। प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) ट्रस्ट अब कानूनी सलाह पर विचार कर रहा है। इसके अनुसार, एक बार जो दस्तावेज दान कर दिए जाते हैं, उनको वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए ट्रस्ट का मानना है कि नेहरू गांधी परिवार द्वारा दान किए गए दस्तावेज अब भी संग्रहालय की वैध सम्पत्ति हैं। बैठक में इन कागजों के मालिकाना हक, इनके संरक्षण, कॉपीराइट और इन ऐतिहासिक दस्तावेजों को शोधकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने से जुड़ी चिंताओं पर भी चर्चा हुई। खासतौर पर नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच हुए पत्राचार की पूरी जानकारी रखने पर जोर दिया गया।
सदस्यों ने यह भी मांग की कि जो दस्तावेज संग्रहालय से लिए गए थे, उनकी फोरेंसिक ऑडिट कराई जाए ताकि यह साफ हो सके कि कहीं कोई अहम कागज गुम तो नहीं हो गया। जनवरी 2025 में पीएमएमएल की कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन हुआ था। इसमें कई नए और प्रमुख लोगों को शामिल किया गया था। स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, फिल्म निर्देशक शेखर कपूर और कलाकार वासुदेव कामथ को इसमें सदस्य बनाया गया था। नृपेंद्र मिश्रा को परिषद का अध्यक्ष बनाए रखा गया और उन्हें 5 साल का नया कार्यकाल दिया गया। इस बैठक में सिर्फ नेहरू पेपर्स का मामला ही नहीं उठा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के संग्रहालयों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए दो नए सुझाव भी दिए। उन्होंने पूरे देश में म्यूजियम मैप बनाने और सभी संग्रहालयों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने का प्रस्ताव रखा। इसके साथ ही उन्होंने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर उससे जुड़े सभी कानूनी दस्तावेजों और घटनाओं को इकट्ठा करने की योजना भी पेश की।
दिसंबर 2024 में भाजपा सांसद संबित पात्रा ने नेहरू से जुड़े दस्तावेजों के मामले पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने साफ कहा कि ये सिर्फ पारिवारिक पत्र नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व के दस्तावेज हैं। पात्रा ने यह भी कहा कि जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उन कागजों में क्या लिखा है। यह मुद्दा पहले भी संसद में उठ चुका है, जिससे साफ होता है कि अगर सोनिया गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू होती है तो मामला और तूल पकड़ सकता है।
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