"उदयपुर फाइल्स: सुप्रीम कोर्ट की रिलीज को हरी झंडी, दिल्ली हाई कोर्ट में विशेष स्क्रीनिंग निर्देशित"

दयपुर के दर्जी कन्हैया लाल साहू की जून 2022 में हुई निर्मम हत्या पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ को लेकर देश में गंभीर विवाद छिड़ गया है। फिल्म का ट्रेलर जून अंत में जारी हुआ, और इसे 11 जुलाई 2025 को लगभग 4,000 सिनेमाघरों में रिलीज़ करने की घोषणा की गई है

कई मुस्लिम संगठनों, विशेषकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी, ने दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात हाई कोर्ट में याचिकाएँ दायर की हैं। उनका आरोप है कि फिल्म में आपत्तिजनक सामग्री है जो झूठे, इस्लाम विरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकती है और देश में सांप्रदायिक तनाव फैला सकती है । महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी नेता अबू आसिम आजमी ने विधानसभा में भी फिल्म पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है, उनका कहना है कि यह नफरत और कानून-व्यवस्था में खलल पैदा कर सकती है

इन आपत्तियों के मद्देनज़र दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेंसर बोर्ड (CBFC) और निर्माताओं द्वारा हटाए गए कथित विवादित हिस्सों को सत्यापित करने के लिए याचिकाकर्ताओं के वकीलों को आज ही फिल्म की स्क्रीनिंग देखनी चाहिए। अदालत ने कहा कि जांच के बाद ही आगे सुनवाई होगी, जो गुरुवार (10 जुलाई) को होगी

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद जावेद की फिल्म रिलीज रोकने की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को सुनवाई का निर्देश दिया और तब तक फिल्म को रिलीज़ होने देने की अनुमति दी है

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CBFC ने फिल्म में कुल 150 कट्स करके इसे प्रमाणित किया है

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फिल्म निर्माता और कन्हैया लाल के बेटे यश तेली ने बार-बार कहा है कि यह फिल्म किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरोध में है। उनका कहना है कि यह घटना की सच्चाई पेश करती है और यह उनके परिवार के न्याय की लड़ाई का हिस्सा है

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अभी दिल्ली हाई कोर्ट में दलीलें चल रही हैं, और कोर्ट की अगली सुनवाई भी इसी सप्ताह अवश्य होगी। फिल्म की रिलीज़ 11 जुलाई की योजना अनुसार अभी तय है, लेकिन अदालत की रोक या अन्य आदेश फिलहाल नहीं आए हैं।

या कहना चाहें तो ‘उदयपुर फाइल्स’ सिर्फ सिनेमा नहीं, यह एक सामाजिक परीक्षा बनकर उभरी है—जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी, न्यायिक प्रक्रिया और सामाजिक सौहार्द के बीच संवेदनशील संतुलन तलाशा जा रहा है।

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