क्या राज्य की खुफिया एजेंसी कोमा में पहुँच गई है?
अगर सरकार नहीं चला पा रहे हैं तो इस्तीफा दे दें: सी.टी. रवि
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद सदस्य सी.टी. रवि ने सवाल उठाया है कि क्या राज्य की खुफिया एजेंसी कोमा में पहुँच गई है| यहां भाजपा के प्रदेश कार्यालय ’जगन्नाथ भवन’ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि कर्नाटक किसी अच्छे कारण से चर्चा में नहीं है| यह अच्छी बात नहीं है कि कर्नाटक सामूहिक बलात्कार, भगदड़, आत्महत्या और हत्या जैसे कारणों से चर्चा में है|
उन्होंने मांग की कि अगर यह सरकार, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री शासन नहीं चला पा रहे हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए| उन्होंने कहा कि राज्य और देश को आप बर्बाद नहीं कर सकते| तीन महीने में ३४० बलात्कार के मामले सामने आए हैं| क्या यह अच्छी खबर है? उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार, महंगाई, बलात्कार, हत्या और आतंकवादी गतिविधियों के लिए चर्चा में है|
दो दिन पहले, मंगलवार को, एनआईए ने राज्य के दो हिस्सों में छापेमारी की थी| आजीवन कारावास की सजा पाए तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया| इनमें मनोचिकित्सक डॉ. नागराज, एएसआई चांद भाषा और फरार आतंकवादी जुनैद अहमद की माँ अनीस फातिमा भी शामिल हैं| एनआईए को राज्य से जानकारी मिल रही है| परप्पना अग्रहारा जेल में अवैध गतिविधियाँ चल रही हैं| एनआईए को जानकारी मिली है कि एक राष्ट्र-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी तंत्र तैयार किया गया है| हमारी खुफिया एजेंसी को यह जानकारी क्यों नहीं मिल रही है? रवि ने कहा दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी खुफिया एजेंसी को पता ही नहीं चलता कि लोग कब शामिल होते हैं| उन्हें यह भी पता नहीं चलता कि लोग कब मरते हैं|
उन्होंने जेल को ही सुपरमार्केट बना दिया है| जेल में सब कुछ उपलब्ध होना रक्षा क्षेत्र की विफलता का एक उदाहरण है| रान्या राव मामले के बाद, जबकि यह ज्ञात था कि संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश करने वालों की जाँच होनी चाहिए, उस डॉक्टर डॉ. नागराज की लगातार जाँच क्यों नहीं की जा रही थी? क्या राज्य का खुफिया विभाग यह सब जानने में अक्षम हो गया है? नासिर एक एलईटी आतंकवादी है| उसके खिलाफ आरोप सिद्ध हो चुके हैं| ऐसे आतंकवादी को हमारी जेलों में हर तरह की मदद मिलती है|
क्या हम राज्य और देश को अपनी मर्जी से इस्तेमाल करने दे रहे हैं? हो सकता है कि बंदियों के अलावा जेल के कुछ अन्य कर्मचारी भी ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हों| ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ असामाजिक तत्वों ने जेल के बाहर अपनी केंद्रीय स्थिति बना ली है| हालाँकि, यह मानना असंभव लगता है कि जेल अधिकारी और खुफिया अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि जेल से ही असामाजिक तत्वों की गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं, जेल के माध्यम से ही षड्यंत्र रचे जा रहे हैं, जेल के माध्यम से ही निर्देश दिए जा रहे हैं और जेल से ही नियंत्रण किया जा रहा है| आंतरिक सुरक्षा प्रभाग (आईएसडी) खोला गया है|
वहाँ कुशल अधिकारी होने चाहिए थे| लेकिन, यह दोषियों के स्थानांतरण का केंद्र बन गया है| कुशल अधिकारियों को उपयुक्त स्थान नहीं मिल रहे हैं| इस सरकार में सरकारी खुफिया तंत्र, आईएसडी, विफल हो गया है क्योंकि पैसे देने वालों को रेट कार्ड के आधार पर महत्वपूर्ण पद दिए जा रहे हैं|
अगर आप मुख्यमंत्री से पूछें, तो वे कहते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है| अगर आप गृह मंत्री से बेलगावी और मेंगलूरु सहित किसी भी मामले के बारे में पूछें, तो वे कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं पता| अगर आप उपमुख्यमंत्री से पूछें, तो वे कहते हैं कि वे मामले की तह तक जाएँगे| मुख्यमंत्री एक सर्वज्ञ व्यक्ति हैं जो भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सब कुछ जानते हैं|
उन्होंने पूछा कि इस स्थिति में हमारी खुफिया जानकारी का क्या हुआ है? ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी और यह सरकार आतंकवाद को लेकर गंभीर नहीं हैं| यह संदिग्ध है कि क्या उनमें आतंकवादी मामलों को भी गैर-गंभीर मामलों के रूप में देखने की मानसिकता है| कुकर बम विस्फोट उनके लिए कोई गंभीर मामला नहीं है| रामेश्वरम कैफे बम विस्फोट को जाँच से पहले एक आंतरिक विवाद बताया गया था| एक अन्य ने कहा कि यह एक सिलेंडर विस्फोट था| एक आजीवन कारावास की सजा पाए व्यक्ति को मोबाइल फोन और सब कुछ मिल रहा है| वह तंबूओं का दौरा करके राजनीतिक गतिविधियाँ कर रहे हैं| तंबू मैसूरु, बेंगलूरु, दिल्ली, कलबुर्गी स्थानांतरित किए जा रहे हैं| प्रशासन चरमरा गया है| उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि खुफिया विभाग को नहीं पता कि किससे कहना है|
अगर कुछ सच बोला जाए, तो उन्हें तकलीफ होगी| जब लोग मरते हैं, तो वे मसाला डोसा खाते हैं| या तो उन्होंने अपनी मानवता खो दी है, या वे इस मानसिकता में आ गए हैं कि उनका हमसे कोई लेना-देना नहीं है|
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