बिल के कारण शव को बंधक नहीं रख सकेंगे अस्पताल

बिल के कारण शव को बंधक नहीं रख सकेंगे अस्पताल

गुवाहाटी, 11 जुलाई (एजेंसियां)। असम सरकार ने फैसला किया है कि अब अस्पताल या नर्सिंग होम बिल बकाया होने के कारण किसी भी रोगी के शव को बंधक बनाकर नहीं रख सकेंगे। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि अब राज्य का कोई भी नर्सिंग होम या अस्पताल बिल बकाया होने पर शव को बंधक बना कर नहीं रख सकेगा। अस्पताल को रोगी की मृत्यु होने के दो घंटे के भीतर उसका शव परिजनों को सौंपना होगा।

कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि निजी अस्पतालों द्वारा शवों को रोककर नहीं रखा जाएगा। उन्हें बकाया बिलों की परवाह किए बिना मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के दो घंटे के भीतर शव परिजनों को सौंपना होगा। इससे अधिक देरी होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। सरमा ने कहा कि सरकार 24 घंटे वाली टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर-104 स्थापित करेगी। शव न मिलने पर कोई भी परिवार इस नंबर पर सूचना दे सकेंगे। इस मामले को तुरंत जिला स्वास्थ्य अधिकारीस्थानीय पुलिस और अस्पताल शिकायत प्रकोष्ठ तक पहुंचाया जाएगा। शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित अधिकारी को घटनास्थल का दौरा करना होगा। यदि शव को गलत तरीके से रखा गया हो तो उसे मुक्त कराना होगा और कानूनी कार्रवाई शुरू करनी होगी। सीएम सरमा ने कहा कि दोषी अस्पतालों का लाइसेंस 3 से 6 महीने के लिए निलंबित किया जाएगा और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। अपराध दोहराने पर उनका पंजीकरण स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है।

सीएम ने कहा कि कैबिनेट ने असम में निजी नर्सिंग होम द्वारा की जा रही जबरदस्ती की गतिविधियों को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और नियामक दिशानिर्देशों के मसौदे को मंजूरी दे दी है। ऐसी घटनाओं की सूचना चार घंटे के भीतर पुलिस और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को दी जानी चाहिए। इसके अलावा असम कैबिनेट ने मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए आठ जिलों में गज मित्र योजना शुरू करने को मंजूरी दी। सीएम ने कहा कि राज्य के आठ सबसे अधिक मानव-हाथी संघर्ष वाले जिले गोलपाराउदलगुरीनागांवबक्सासोनितपुरगोलाघाटजोरहाट और विश्वनाथ में गज मित्र योजना को भी मंजूरी दी गई है।

उन्होंने कहा कि प्रभावित गांवों में समुदाय आधारित स्वैच्छिक निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया दल बनाए जाएंगे। प्रत्येक दल में स्थानीय समुदाय के आठ सदस्य होंगे जो छह महीने की अवधि के लिए 80 स्थानों पर काम करेंगे। जिस दौरान संघर्ष चरम पर होता है और धान की खेती का मौसम भी होता है। सरमा ने कहा कि गज मित्र योजना सक्रियप्रशिक्षित और समुदाय-आधारित सहायता प्रणाली स्थापित करने में मदद करेगी।

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