तो गुफा को क्यों नहीं करते वातानुकूलित?

फेंसिंग और लोहे की ग्रिल भी नहीं रोक पाई हिमलिंग की पिघलन

तो गुफा को क्यों नहीं करते वातानुकूलित?

एसी लगाने का प्रस्ताव श्राइन बोर्ड ने ठंडे बस्ते में रख दिया

सुरेश एस डुग्गर

जम्मू12 जुलाई (ब्यूरो)। इस बार भी अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के सारे उपाय धरे के धरे रह गए। जिस लोहे और  शीशे की ग्रिल का सहारा लेकर हिमलिंग को बचाने की कोशिश की गई थी, वह उसे पिघलने से बचा नहीं पाया। 22 फुट का हिमलिंग पिघल कर अब अंतर्ध्यान हो चुका है। भक्तों की सांसों की गर्मी के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऐसा हुआ। इससे निपटने का तरीका अब अत्याधुनिक तकनीक ही है, पर श्राइन बोर्ड फिलहाल तकनीक का सहारा नहीं ले रहा है।

अमरनाथ गुफा को तकनीक के सहारे ठंडा और वातानुकूलित बनाने की योजना श्राइन बोर्ड ने उसी समय तैयार की थी जब वह अस्तित्व में आया था। लेकिन यह मामला कई साल तक कोर्ट में रहा जिस कारण श्राइन बोर्ड इस संबंध में कोई कदम उठाने से परहेज कर रहा है। श्राइन बोर्ड के अधिकारी कहते हैं कि गुफा को पूरी तरह से वातानुकूलित करने के लिए आइस स्केटिंग रिंक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना है। इसी के तहत कई अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया गया था जिनमें एयर कर्टनरेडियंटस कूलिंग पैनलस और अन्य आधुनिक तरीके इस्तेमाल करने का था।

इनमें से कई तकनीकों का सफल प्रयोग मुंबईश्रीनगर तथा गुलमर्ग में कर लिया गया था लेकिन अमरनाथ गुफा में इनका प्रयोग करने से पूर्व ही अदालत ने इन तैयारियों पर रोक लगा दी। उस समय गुफा में कृत्रिम हिमलिंग बनाने की अफवाह फैला दी गई थी। हालांकि श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को रेडियंट कूलिंग पेनलस का विकल्प बहुत ही जायज लगा था लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दिए जाने के कारण मामला अंतिम चरण में जाकर रुक गया था।

Read More  आतंकियों को वो सजा दी कि आकाओं की नींद उड़ी हुई है

अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंका रहती है। इससे ग्लेशियर जल्दी पिघलने लगता है। साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के अमरनाथ पहुंचने से हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फीट के रह गए थे। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे। साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था। जो अमरनाथ यात्रा के शुरूआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे।

Read More #Draft: Add Your Title

साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट के थे। लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतरध्यान हो गए थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था। इस बार कश्मीर को 37 डिग्री सहन करना पड़ा है।

Read More जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश नाकाम, दो आतंकवादी ढेर

2018 में भी बाबा बर्फानी के तेजी से पिघलने का सिलसिला जारी था। इस बार 3 जुलाई से शुरू हुई 38 दिवसीय इस यात्रा में एक सप्ताह में ही पौने दो लाख यात्रियों ने दर्शन किए हैं। 7 दिनों के बाद ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन नहीं हुए क्योंकि बाबा दर्शन देने से पहले ही अंतरध्यान हो गए हैं।

अमरनाथ यात्रा में बीएसएफ की भूमिका भी सराहनीय

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने कश्मीर में चल रही अमरनाथ यात्रा के दौरान ऊंचाई पर होने वाली बीमारियोंनिर्जलीकरण और थकावट से पीड़ित दर्जनों तीर्थयात्रियों को बचाया है। बीएसएफ बचाव और राहत दल को समय पर जीवनरक्षक चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए चुनौतीपूर्ण पहलगाम और बालटाल मार्गों पर रणनीतिक रूप से तैनात किया गया है। ये दल हिमालय में पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

बीएसएफ के प्रवक्ता ने कहा, सुरक्षाबल ने प्रशिक्षित पैरामेडिक्स और विशेष चिकित्सा दलों को तैनात करके अपने बचाव अभियान को तेज कर दिया है। हमारी टीमें हर यात्री की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे सहायता प्रदान करते हुए हाई अलर्ट पर हैं। हम अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित और निर्बाध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीएसएफ की चिकित्सा टीमें 48 किलोमीटर लंबे पहलगाम-चंदनवाड़ी मार्ग और 14 किलोमीटर लंबे बालटाल-दोमेल मार्ग पर प्रमुख स्थानों पर तैनात हैं। प्राथमिक चिकित्सा किटऑक्सीजन सिलेंडर और आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति से लैसइन टीमों ने तीव्र पर्वतीय बीमारी के कई मामलों में महत्वपूर्ण ऑक्सीजन सहायता प्रदान की हैजिससे गंभीर जटिलताओं को रोका जा सका है और ज़रूरत पड़ने पर सुरक्षित निकासी संभव हुई है।

#अमरनाथगुफा, #हिमलिंगपिघलन, #श्राइनबोर्ड, #ग्लोबलवार्मिंग, #वातानुकूलितगुफा