पुलिस आयुक्त ने कॉलेजों से नशा विरोधी समितियां बनाने का किया आग्रह
मेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| शहर पुलिस ने एनएसएस इकाई, रोटरी क्लब ऑफ मेंगलूरु, एनआईटीटीई इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर और एनसीओआरडी के सहयोग से सोमवार को टाउनहॉल में नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर एक जागरूकता कार्यक्रम और कॉलेज स्तर की नशा विरोधी समितियों के लिए एक अभिविन्यास सत्र आयोजित किया|
पुलिस आयुक्त सुधीर कुमार रेड्डी ने कहा पिछले साल, हमने पाया कि ५०० से ज्यादा कॉलेज छात्र नशीली दवाओं के सेवन में लिप्त थे| हमारी हालिया समीक्षा में, लगभग १५० छात्र अभी भी नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं| हमने १५० कॉलेजों से नशा विरोधी समितियाँ बनाने का आग्रह किया है| इनमें से १०७ कॉलेजों ने पहले ही समितियाँ बना ली हैं, जबकि ४३ ने खुद को नशा मुक्त परिसर घोषित कर दिया है| लेकिन इसका वास्तव में क्या मतलब है? उन्होंने आगे कहा हम सभी कॉलेजों से नशा-विरोधी समितियाँ गठित करने का आग्रह करते हैं, क्योंकि हम सीधे तौर पर परिसरों में हस्तक्षेप करके असुविधा पैदा नहीं करना चाहते| इससे गलत संदेश जाता है|
अगर सिर्फ १० छात्र ही नशा करते हैं, तो हम बाकी ९० को परेशान नहीं करना चाहते| हालाँकि, अगर संस्थान कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हमें हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा| हाल ही में एक जेल के अपने दौरे को याद करते हुए, कमिश्नर ने बताया कुछ कैदियों ने जिज्ञासावश नशा करना शुरू किया, लेकिन जल्द ही वे इसके आदी हो गए| मैं एक ऐसे कैदी से मिला, जिस पर धारा ३०२ और ३०७ के तहत मामला दर्ज है| उसने स्वीकार किया कि नशा उसके आपराधिक व्यवहार को प्रभावित करता है|
अब वह खुद नशा सप्लायर बन गया है| उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा अपना भविष्य बदलने का हमेशा मौका होता है| नशा छोड़ने और मेंगलूरु के शीर्ष ५० नशा देने वालों में शामिल होने का लक्ष्य रखने का फैसला करने में बस एक सेकंड लगता है| लेकिन अगर आप इसी रास्ते पर चलते रहे, तो आप जेल पहुँच जाएँगे, जहाँ हम काउंसलिंग सत्र आयोजित करते हैं| उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से सतर्क रहने और छात्रों के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर नजर रखने का आग्रह किया| उन्होंने कहा नशा-विरोधी समिति का उद्देश्य नशा-मुक्त परिसर बनाना है| शहर में हाल ही में एक मेडिकल छात्र की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए, उन्होंने कॉलेजों से पूर्व छात्रों पर भी नजर रखने और संभावित तस्करों की पहचान करने का आग्रह किया| उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा संस्थानों को ऐसे मुद्दों को अभिभावकों से नहीं छिपाना चाहिए| इसे छिपाने से छात्रों का भविष्य ही खतरे में पड़ता है| उन्होंने कहा नशा-विरोधी समितियों का गठन अनिवार्य है और इसकी समय-समय पर समीक्षा की जाएगी| कॉलेजों को नियमित रूप से जाँच भी करनी चाहिए|
उन्होंने अभिभावकों से व्यवहार में आने वाले बदलावों के प्रति सचेत रहने का आह्वान किया और उन्हें प्रोत्साहित किया कि अगर उन्हें कुछ भी असामान्य लगे तो वे कॉलेजों या स्कूलों से संपर्क करें| उन्होंने आश्वासन दिया गुमनाम शिकायतों के लिए एक क्यूआर कोड उपलब्ध कराया गया है| हमें पहले ही कुछ शिकायतें मिल चुकी हैं, लेकिन हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे अपराधियों का नाम बताने में संकोच न करें| उन्होंने निष्कर्ष निकाला हमें माँग कम करनी होगी‡ तभी आपूर्ति कम होगी| आइए हम सब मिलकर इस समस्या से लड़ें| पुलिस अधीक्षक डॉ. अरुण के. ने कहा कई मामलों में, सिर्फ जागरूकता से कार्रवाई नहीं होती|
अगर शिक्षा व्यवस्था मजबूत दिखती है, लेकिन छात्र फिर भी नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, तो यह व्यवस्था विफल हो रही है| हमें समस्या की जड़ तक पहुँचना होगा| उन्होंने आगे कहा इनकार करने से कोई फायदा नहीं होगा| समस्या को दबाने से यह और भी बदतर हो जाएगी| बिना नतीजे के जागरूकता कार्यक्रमों को बार-बार चलाना व्यर्थ है| संस्थानों को नई रणनीतियाँ बनानी होंगी और संकाय सदस्यों को इसमें आगे आना होगा| डॉ. अरुण ने पुनर्वास सहायता और अनिवार्य रिपोर्टिंग का भी आह्वान किया| उन्होंने कहा अगर कोई छात्र पहली बार नशीले पदार्थों का सेवन करते हुए पकड़ा भी जाए, तो पुलिस को सूचित करें| रैंडम जाँच करें और प्रवेश के समय छात्रों और अभिभावकों से शपथ पत्र भरवाएँ|