‘जागन मोहन रेड्डी ने ली रिश्वत’, आंध्र प्रदेश शराब घोटाले में पूर्व सीएम भी फंसे
एसआईटी ने चार्जशीट में बनाया आरोपी
विशाखापत्तनम, 21 जुलाई (एजेंसी)। आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान ₹3,500 करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) ने एक हैरान करने वाला आरोप-प्रस्ताव पेश किया है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का नाम रिश्वत स्वीकार करने वाले के रूप में सामने आया है। इस घोटाले का प्रारंभिक चार्जशीट अदालत में दाखिल हो चुका है और इसमें लगभग 305 पृष्ठों में विस्तृत विवरण दिया गया है जिसके अनुसार मई 2019 से मई 2024 के बीच हर माह लगभग ₹50–60 करोड़ की भारी रकम रिश्वत के रूप में जुटाई जाती थी। यह रकम ड्रिंक लाइसेंस और डिस्टिलरी लाइसेंस की सुविधा देने के एवज में वसूली गई और कथित रूप से कई दलों के बीच बाँटी गई।
जगन मोहन रेड्डी का नाम चार्जशीट में प्रत्यक्ष तौर पर अभियुक्त के रूप में नहीं दिया गया; हालांकि, दस्तावेज़ में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि बड़ी रकम उनके पास पहुंची। चार्जशीट में दावा किया गया है कि यह धन अनेक मध्यस्थों — जैसे कि उनके पूर्व IT सलाहकार केशिरेड्डी राजशेखर रेड्डी — के माध्यम से आगे बढ़ा और अंततः रेड्डी की ओर ले जाया गया।
जगन सरकार ने लाइसेंस की स्वीकृति प्रक्रिया को ‘ऑर्डर फॉर सप्लाई’ (OFS) नामक ऑटोमैटेड सिस्टम से हटाकर मैन्युअल मोड में बदल दिया। इससे उन कंपनियों को लाभ मिला जो रिश्वत देने में सहज थीं। चार्जशीट के अनुसार इसके तहत मैन्युअल सिस्टम के बजाए मैन्युअल प्रक्रिया अपनाई गई और इसमें प्रमुख भूमिका केशिरेड्डी राजशेखर रेड्डी और वी विजयसाई रेड्डी तथा सांसद पी.वी. मिधुन रेड्डी ने निभाई।
चार्जशीट में यह भी उल्लेख है कि ₹250–300 करोड़ की राशि 2024 विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए नकद रूप में निकाली गई। इस रकम का इस्तेमाल चुनावी अभियान के खर्चों, विदेशों में संपत्ति खरीदने, और सोना-चांदी-भूमि जैसे संपत्ति निवेशों पर किया गया। इस धन का प्रवाह 30 से अधिक शेल कंपनियों के ज़रिए अमल में लाया गया, जिनमें से अधिकांश का संचालन घोर गुप्तता से किया गया।
दोषियों को मिली भारी रकम के साथ, चार्जशीट में आरोप लगाया गया कि केशिरेड्डी राजशेखर रेड्डी ने APSBCL (आंध्र प्रदेश स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड) में अपने समर्थकों को तैनात किया और डिस्टिलरी लाइसेंस वितरण में गड़बड़ी की। जिन लाइसेंसधारकों ने रिश्वत से इनकार किया, उन्हें जानबूझकर परेशान किया गया — आपूर्ति में देरी या मनमर्ज़ी से अनुमति रोक दी गई ।
अब तक SIT ने कुल मिलाकर 48 लोगों और कंपनियों को आरोपित किया है, जिनमें से चार्जशीट में फिलहाल 16 लोगों के नाम दर्ज हैं। इसके साथ ही 12 प्रत्यक्ष गिरफ्तारी हुई हैं जिनमें सांसद पी.वी. मिधुन रेड्डी भी शामिल हैं, जिन्हें न्यायालय ने एक अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
जगन मोहन रेड्डी और यSRसीपी ने इन आरोपों को “राजनीतिक साजिश” व “पत्ती आरोप” करार दिया है। उन्होंने संवाद माध्यमों के माध्यम से सफाई दी है कि जांच की प्रक्रिया न्याय-मुक्त है और यह केवल विपक्षी दलों को निशाना बनाने का एक प्रयास है । साथ ही आरोप लगाया गया कि यह मामला टीडीपी सरकार द्वारा बनाया गया है ताकि अपनी कमजोरियां छिपाई जा सकें।
राजकीय रूप से SIT का कहना है कि शुरुआती चार्जशीट में जगन को अभियुक्त नहीं घोषित किए जाने के बावजूद उन्हें प्रमुख “रिश्वत प्राप्तकर्ता” बताया गया है। आगामी सप्ताहों में अगली चार्जशीट दाखिल होने की संभावना जताई जा रही है, जिसमें संभावित रूप से और अधिक नाम सम्मिलित होंगे ।
इस पूरे घटना क्रम में स्थान-विशेष, जैसे विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा में SIT द्वारा छापे, गवाहों के बयानों की विस्तृत विवेचना और डिजिटल व वित्तीय दस्तावेजों की जाँच में सहयोग प्राप्त हुआ। FIR और चार्जशीट में यह भी अलग से उल्लेख किया गया कि लाइसेंस फ़र्मों द्वारा नकद, सोना, बुलियन व अन्य संपत्तियों के माध्यम से भुगतान हुए ।
विशेष जांच दल आगे की जांच में स्थानीय अधिकारियों, लाइसेंस डीलरों, और शेल कंपनियों के संबंधों की पड़ताल कर रहा है। ED भी मनी लॉन्ड्रिंग की अलग जाँच कर रही है। इस कारण प्रकरण न्यायपालिका के अलावा, आर्थिक अपराध इकाईयों तथा मानवाधिकार और पारदर्शिता संस्थाओं की निगरानी में भी है।
राजनीतिक घटनाक्रम भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहे। जगन और यSRसीपी ने कल विधान परिषद में आंकलन रिपोर्ट प्रस्तुत कर विरोधी दलों और मीडिया को घोटाले में टाइप करने का आरोप लगाया, लेकिन इस बीच कोर्ट में प्रकिया पूरी तरह से चल रही है।
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