ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सरकार तैयार, विपक्ष का हंगामा जारी
राज्यसभा में ९ और लोकसभा में १६ घंटे होगी बहस
नई दिल्ली, 21 जुलाई (एजेंसी)। संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही माहौल गर्म हो गया। सरकार और विपक्ष की तीखी बहस के बीच ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सर्वोच्च स्तर पर तैयारियाँ तेज हो गईं। इसके लिए लोकसभा में १६ घंटे और राज्यसभा में ९ घंटे चर्चा निर्धारित की गई है, यानी दोनों सदनों में कुल २५ घंटे इस मामले पर वार्तालाप होगा।
शुरुआत और हंगामा
सत्र का प्रारंभ होते ही विपक्ष ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर फोकस रखा। कांग्रेस, टीडीपी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने मिलकर “अब चुनाव खुलेंगे” जैसे नारे लगाकर कार्रवाई स्थगित करने की मांग की। Lok Sabha की कार्यवाही स्क्रू किया गया, शोर शराबा बढ़ा, सांसद बोथलों में चले गए और लगभग चार बार सदन को स्थगित करना पड़ा। इसी दौरान राज्यसभा में भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तुरंत बहस की मांग उठी और वहां भी हंगामे से कार्रवाई प्रभावित हुई।
शाम को बाकायदा सभी राजनीतिक पार्टियों को शामिल कर ‘हाउस बिजनेस एडवाइजरी कमिटी’ की बैठक बुलाई गई और चर्चा के लिए मंथन हुआ। बैठक के निर्णय में तय किया गया कि लोकसभा में १६ तथा राज्यसभा में ९ घंटे इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।
सरकार की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय मंत्री जेपी नड्डा समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह तैयार है और बहस के लिए भागने का सवाल ही नहीं है। “ऑपरेशन सिंदूर स्वतंत्रता के बाद सबसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था, जिसकी सभी बारीकियाँ संसद और देश के सामने सामने आनी चाहिए” ऐसा तालुका दिया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ही ‘विजय उत्सव’ जैसे शब्दों का उपयोग करते हुए इस बहस की गरिमा और आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
विपक्ष की नाराजगी
विपक्ष का कहना था कि इस बहस की शुरुआत पहले दिन होनी चाहिए। वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री स्वयं संसद में उस पर बोलें। ओम बिड़ला ने बताया कि प्रश्नकाल के बाद इस बहस को शामिल किया जाएगा, लेकिन इसकी विधिवत प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। लोकसभा में विरोध नेता राहुल गांधी, Mallikarjun Kharge, KC Venugopal आदि ने तेज़ी से उठी पूछताछों और अभियान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के "मेरे हस्तक्षेप से हुई गोलीबारी बंद" वाले बयान को उन्होंने ‘राष्ट्र सम्मान के खिलाफ’ बताते हुए इसे बड़े स्तर की राष्ट्रीय गंभीरता बताया।
कार्रवाई और अगला रोडमैप
सभापति ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सभी पक्षों की सहमति से व्यवस्थित रूप से समय निश्चित किया गया है। बैठक के निर्णय पर सरकार ने भरोसा जताया कि यह निर्णय जनता की लड़ाई और राष्ट्रीय हितों के पक्ष में है। Lok Sabha में यह बहस तीन दिनों में चल सकती है, जब भी समय मिलेगा। वहीं, राज्यसभा में एक दिन निर्धारित है। चर्चा के बाद सबमिट किए गए प्रस्तावों, सवालों और जवाबों की संस्था आगे भी हो सकती है।
महत्वपूर्ण मुद्दे
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रक्षा क्षमता और रणनीति संबंधी निष्पक्ष जानकारी
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ट्रंप के दावों से ‘बाहरी हस्तक्षेप’ जैसी संवेदनशीलता
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Pahalgam आतंकी हमला और वास्तविक खुफिया चूक की पड़ताल
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सत्र में पहले दिन न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी पारित हुआ, जो संसद की मौलिक कार्यवाही में बढ़त बनाता है।
राजनीतिक और विधायी असर
इन घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि मानसून सत्र न केवल एक विधान संसद है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, खुफिया, न्यायपालिका जवाबदेही जैसे विषयों पर अपार बहसों का मंच है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में यह बहस रणनीतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुमूल्य रहेगी। समय की अल्पता, रणनीतिक मकसद और निर्वाचन काल जैसे राष्ट्रीय मुद्दे इस सत्र को ‘विजय उत्सव’ और ‘पंडाल संघर्ष’ दोनों बना देंगे।
परिणामस्वरूप, अगले हफ्तों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस से विस्तृत इन्वेस्टिगेशन की घोषणा हो सकती है, रिपोर्ट जारी हो सकती है, और घरेलू-विदेशी नीतिगत आयाम सामने आ सकते हैं।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ चलेगा महाभियोग
२०७ सांसदों ने प्रस्ताव का किया समर्थन
नई दिल्ली, 21 जुलाई (एजेंसी) । मानसून सत्र के पहले दिन ही न्यायिक प्रतिष्ठा पर भी संकट छाया जब हो गया हालात कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव के पन्ने छलक उठे। २०७ सांसदों — जिनमें १४५ लोकसभा और ६३ राज्यसभा सांसद — ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव सत्र प्रारंभ होते ही प्रस्तुत किया। ये प्रस्ताव दिल्ली और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विशिष्ट न्यायाधीश यशवंत वर्मा के अधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामदगी से सम्बंधित एक इन-हाउस जांच रिपोर्ट के बाद आया है।
जांच में पाया गया कि 2025 मार्च को उनके आवास में लाखों रुपए नगद रखे मिले, जिनमें से कई जल चुके पाए गए। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने इस रिपोर्ट को "गंभीर नैतिक उल्लंघन" करार दिया। वर्मा ने इस पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और दावा किया कि उन्हें “न्यायिक प्रक्रिया का उचित अवसर” नहीं मिला। इसके अलावा, यह भी आरोप है कि प्रक्रिया संविधान और कानून के अनुरूप नहीं थी।
महाभियोग प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की ओहदों और लोक विश्वास की मर्यादा समस्या का संकेत है। अब सांसदों ने लोकसभा में फ़ाइल राष्ट्रपति को भेजने की प्रक्रिया शुरू की है। अगर लोकसभा अध्यक्ष इसे स्वीकारते हैं, तब जांच कमेटी गठित होगी और रिपोर्ट आने के बाद दोनों सदनों में बहस एवं मतदान का मौका मिलेगा। सफलतापूर्वक यदि 2/3 बहुमत दोनों सदनों में मिलता है, तो राष्ट्रपति वर्मा को पद से हटाने का आदेश जारी करेंगे।
यह महाभियोग प्रस्ताव भारतीय न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही का नया अध्याय हो सकता है। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या इन-हाउस जांच सिस्टम पर्याप्त है; न्यायप्रणाली में सुधार की ज़रूरत है?
मानसून सत्र’ से पहले पीएम मोदी ने मीडिया से की बात, कहा
ऑपरेशन सिंदूर, नक्सलवाद, मेड-इन-इंडिया और अर्थव्यवस्था ये ‘विजय उत्सव का सत्र’ है
नई दिल्ली, 21 जुलाई (एजेंसी)।मानसून सत्र की शुरुआत से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सत्र “विजय उत्सव” जैसा है, क्योंकि सरकार ने देश में इन 4 प्रमुख क्षेत्रों—ऑपरेशन सिंदूर, नक्सलवाद, मेड-इन‑इंडिया और अर्थव्यवस्था—में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने मीडिया को बताया कि ये चार मुद्दे ही इस सत्र की मुख्य विषय सूची हैं।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवादियों पर निर्णायक प्रहार किया है, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है, मेड-इन‑इंडिया पहल से रक्षा और तकनीकी उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ी है, और आर्थिक संकेतक—जैसे GDP वृद्धि, मुद्रास्फीति नियंत्रण, और विदेशी निवेश—इनकी स्थिरता दिखाते हैं।
मोदी का यह भाषण सत्र की “पॉजिटिव एजेंडा” की दिशा में पहला संकेत माना गया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार विपक्ष की सभी चिंताओं को सुनेगी लेकिन इन 4 प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित काम करेगी।
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