ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख, चीन‑पाकिस्तान की गलबहरियों का देगा जवाब
दुश्मन के चप्पे‑चप्पे पर अब होगी बाज़ वाली नजर
नई दिल्ली, 21 जुलाई (एजेंसी)। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए यह स्पष्ट संदेश दिया है कि दुश्मन के हर कदम पर अब उसकी निगरानी करने और उसे जवाब देने की क्षमता और मजबूत हो चुकी है। इस ऑपरेशन के दौरान प्राप्त अनुभवों को देखते हुए भारतीय सेना ने अपनी निगरानी एवं हमला क्षमताओं में बड़े बदलाव किए हैं, जो भविष्य की चार-तरफ़ा चालों में बेहद अहम साबित होंगे।
दरअसल, मई माह में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देते समय पाकिस्तान की तरफ से आए ड्रोन और मिसाइल हमलों ने यह सिखाया कि अब पारंपरिक हवाई हमलों और युद्ध रणनीतियों से परे देखते हुए तेज़, स्मार्ट और डेटा-चालित तकनीकों की बेहद आवश्यकता है। इस सीख के आधार पर भारतीय सेना ने "स्मार्ट वॉर रूम" की रूपरेखा तैयार की है जहाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML) और बिग डेटा एनालिटिक्स को युद्ध योजना और निगरानी में इस्तेमाल किया जाएगा।
इस स्मार्ट वॉर रूम में ड्रोनों, सैटेलाइट्स, एयरक्राफ्ट और ग्राउंड सेंसर से प्राप्त जानकारी को तुरंत प्रोसेस करके वास्तविक‑समय में कमांड सेंटर तक पहुँचाया जाएगा। इससे सेना को अभियान स्थल पर तेजी से और अधिक सटीक निर्णय लेने में मदद मिलेगी। AI-पावर्ड टूल्स जैसे टेक्ट रिपोर्ट संक्षेपक, चैटबॉट्स, वॉयस‑टू‑टेक्स्ट प्रणाली, और चेहरा पहचान तकनीक को भी रणनीति में शामिल किया जा रहा है।
इस दिशा में अगले साल 2026‑27 तक एक विशेष टास्क फ़ोर्स गठित की जाएगी, जो डाइरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (DGIS) के अंतर्गत काम करेगी। इस टास्क फ़ोर्स का उद्देश्य AI/ML के ज़रिए प्रशिक्षण, डेटा‑शेयरिंग, रख‑रखाव और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में व्यापक बदलाव लाना होगा।
ऑपरेशन सिंदूर से जो प्रभावशाली सबक मिले, उनमें ड्रोन स्वॉर्मिंग की रणनीतियों का विकास भी शामिल है—जहाँ एक साथ कई छोटे ड्रोन स्वायत्त रूप से उभरकर अभियान की दिशा बदलने में मदद करते हैं। इन तकनीकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास ज़ोर देकर किया जा रहा है।
इस ऑपरेशन से एक और महत्वपूर्ण सीख यह मिली कि चीन और पाकिस्तान का गठबंधन वास्तविक है—जहां दोनों देश पीओके में ड्रोन हमलों के साथ-साथ सैटेलाइट इंटेलिजेंस भी बाँटते हैं। इसलिए अब निगरानी प्रणाली को और अधिक सतर्क, सुरक्षित और लगातार देखने योग्य बनाया जा रहा है।
इसके साथ ही रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ड्रोन क्षमताओं को घरेलू रूप से विकसित करने पर भी जोर बढ़ा है। इसके तहत छोटे-छोटे मॉड्यूलर ड्रोन प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं, जो निगरानी, खोज‑बचाव, रसद और यहां तक कि "कमारिकज़ ड्रोन्स" के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
स्मार्ट वॉर रूम से जुड़ी प्रमुख तकनीकों में:
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AI-संचालित टेक्स्ट संक्षेपक और चैटबॉट
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ड्रोन एवं सैटेलाइट डेटा का रीयल‑टाइम विश्लेषण
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चेहरे और पैटर्न पहचान
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GPS जामिंग में नेविगेशन सहायता
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लॉजिस्टिक्स एवं उपकरणों का पूर्वानुमानित रख‑रखाव
इन खूबियों को क्रियान्वित करने के लिए सेनाध्यक्षों ने यह अभियान 2026‑27 तक व्यापक पैमाने पर पूरी करने की रणनीति बनाई है। बलों को तकनीकी रूप से मजबूत करना और अपनी युद्धक तैयारी को और तेज़ एवं प्रभावी बनाना इस पहल का केंद्र है।
इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान की ओर से की गई "ड्रोन और मिसाइल" हमले भारत द्वारा विकसित "इंटीग्रेटेड काउंटर‑UAS ग्रिड" और S‑400 एयर‑डिफेंस सिस्टम के ज़रिए विफल कर दिए गए थे । युद्ध का तीसरा सबक यही था कि पारंपरिक हवाई रक्षा अब आधुनिक ड्रोन हमलों के ख़िलाफ़ कारगर है।
कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर ने ना सिर्फ एक अद्वितीय सैन्य प्रतिक्रिया दिखाई बल्कि इसने भारतीय सेना को अगले दशक की युद्ध रणनीति के लिए एक नई दिशा भी प्रदान की—जहां डेटा, AI और स्वायत्त तकनीकें ड्रम रोल की तरह सहयोग करेंगी।
स्मार्ट वॉर रूम में ड्रोन की एंट्री…
एआई टास्क फोर्स से 2 साल में बदलेगा सेना की तस्वीर
नई दिल्ली, 21 जुलाई (एजेंसी)। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मुंहतोड़ हमला करने के बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन अटैक्स किए, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन प्रयासों को पोल खोल दिया। अब भारतीय सेना “स्मार्ट वॉर रूम” की तैयारी में जुट चुकी है।
यह वॉर रूम 2026‑27 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों को अपनाकर युद्ध‑क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में काम करेगा। इसका लक्ष्य एआई‑टास्क फोर्स गठित कर इन तकनीकों को प्रशिक्षण से लेकर लॉजिस्टिक्स और डेटा विश्लेषण तक हर क्षेत्र में एकीकृत करना है ।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सेना यह सुनिश्चित करेगी कि स्मार्ट वॉर रूम में शामिल तकनीकें भविष्य के युद्ध क्षेत्रों में रीयल‑टाइम ऑपरेशनल सहायता दें—जैसे कि ड्रोन स्वॉर्मिंग, सैटेलाइट फ्यूज़न, चैटबॉट‑सहायता और फेशियल रिकग्निशन ।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इन प्रणालियों के जरिए भविष्य में हमले करते समय निर्णय अधिक त्वरित और सटीक होंगे। यह पहल रणनीतिक, ऑपरेशनल और टैक्टिकल कार्यों को स्वचालित रूप देगी।
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