संविधान से 'दो' शब्द हटाने की तैयारी का शिगूफा

जेबी संविधान वाले बिहार चुनाव के पहले फैलाने लगे जहर

संविधान से 'दो' शब्द हटाने की तैयारी का शिगूफा

कानून मंत्री ने कहा, यह सरकार के विचार में ही नहीं

नई दिल्ली, 25 जुलाई (एजेंसियां)। बिहार चुनाव के पहले राजनीति के गलियारे में फिर से उस चर्चा को हवा दी जा रही है कि क्या भारत सरकार संविधान से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाने जा रही है। जेब में संविधान लेकर चलने वाले नेता राहुल गांधी और उसकी पिछलग्गू जमात की तरफ से यह चर्चा ऐन बिहार चुनाव के पहले वायरल की जा रही है ताकि इसका असर चुनाव पर पड़े और विपक्ष को उसका कुछ फायदा मिल जाए। पिछले चुनाव के समय आरक्षण वाला मुद्दा चमकाया गया था और उसका लाभ हासिल किया गया था। जबकि देश के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने साफ-साफ कह दिया है कि भारत सरकार की ऐसी कोई योजना या ऐसा कोई इरादा नहीं है। कानून मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि कुछ लोग संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की वकालत कर रहे हैंलेकिन सरकार के स्तर पर ऐसा कोई विचार नहीं है।

राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने कानून मंत्री से इस बारे में पूछा था। रामजी लाल सुमन के इस सवाल को जिज्ञासा या जानकारी चाहने वाला सवाल नहीं समझना चाहिए। यह सवाल जानबूझ कर सदन में रखा गया ताकि इस पर तूल मचे और फिर यह मुद्दा संसद से सड़क तक जाए और संविधान का बोनसाई एडिशन पॉकेट से निकल कर ईवीएम तक नाचना शुरू कर दे। लेकिन इस सवाल को निर्मूल साबित करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहाभारत सरकार ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने के लिए औपचारिक रूप से कोई कानूनी या संवैधानिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है।

राहुल गांधी और उनके पिछलग्गू विपक्षी नेता आरएसएस महाचचिव दत्तात्रेय होसबोले के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण को आधार बना कर संविधान संशोधन का शिगूफा छोड़ रहे हैं। होसबोले ने आपातकाल की चर्चा पर कहा था कि समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द इमरजेंसी के दरम्यान ही संविधान में जोड़े गए थे। जबकि इस पर पहले जनता की रायशुमारी होनी चाहिए थी। बस विपक्ष को यह पतंग मिल गया और वे उसे ही उड़ाने लगे और सरकार से जोड़ने का खेल करने लगे। सपा सांसद रामजी लाल सुमन के सवाल पर अर्जुन मेघवाल ने कहा भी कि सेमिनार या विचार गोष्ठियों में कुछ सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी अगर ऐसी चर्चा करते हैं तो इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि इसका सरकार की योजना से कोई लेना देना है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नवंबर 2024 में डॉ. बलराम सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया। इस फैसले में कोर्ट ने 42वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। अर्जुन राम मेघवाल ने कहान्यायालय ने स्पष्ट किया है कि भारतीय संदर्भ में समाजवाद एक कल्याणकारी राज्य का प्रतीक है और निजी क्षेत्र के विकास में बाधा नहीं डालताजबकि धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का अभिन्न अंग है। लिहाजा, सरकार का आधिकारिक रुख यही है कि संविधान की प्रस्तावना से सोशलिस्ट और सेकुलर शब्दों पर पुनर्विचार करने या उन्हें हटाने की कोई योजना या इरादा नहीं है।

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