पाँच गारंटी के बावजूद राज्य में पिछले एक साल में ९८१ किसानों ने आत्महत्या की!
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कृषि, बागवानी, चावल और पशुपालन विभागों द्वारा मुफ्त बिजली, शून्य ब्याज दर पर फसल ऋण, सब्सिडी और रियायतें जैसी कई योजनाओं के क्रियान्वयन के बावजूद, राज्य में किसानों की आत्महत्या के मामले थम नहीं रहे हैं| इसके अलावा, राज्य सरकार ने पाँच गारंटी योजनाओं को लागू करके लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है| हालाँकि, पिछले एक साल में राज्य में ९८१ किसानों ने आत्महत्या की है| किसानों ने कर्ज के बोझ और फसल नुकसान जैसे कारणों से आत्महत्या की है|
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, १ अप्रैल से २५ मई, २०२४ तक राज्य में ९८१ किसान आत्महत्या के मामले सामने आए हैं| इनमें से ८०७ मामलों में सरकार ने मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा प्रदान किया है| किसानों की आत्महत्या के १३८ मामलों को खारिज कर दिया गया है और उन्हें अन्य कारणों से हुई आत्महत्या का मामला माना गया है|
८२५ मामलों को पात्र माना गया है| १८ और मामलों में, सरकार द्वारा अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है| इस अवधि के दौरान हावेरी जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की, जबकि बेंगलूरु ग्रामीण, बेंगलूरु शहरी, कोलार और उडुपी जिलों में किसी भी किसान द्वारा आत्महत्या की सूचना नहीं मिली| चिक्कबल्लापुर जिले में एक किसान ने आत्महत्या की| २१ जिलों में दस से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की और छह जिलों में दस से कम किसानों ने आत्महत्या की|
इसमें हावेरी १२८, कलबुर्गी ८२, मैसूरु ७३, धारवाड़ ७२, बेलगावी ७१, हासन ४७, बीदर ४५, शिवमोग्गा ४५, गदग ४४, यादगीर ४३, दावणगेरे ४२, चिक्कमगलूरु ३९, मांड्या ३९, बागलकोट ३५, चित्रदुर्ग ३४, रायचूर २६, कोप्पल २५, विजयपुरा २३, विजयनगर, तुमकुर १७ और उत्तर कन्नड़ १४ शामिल है|