चीनी राजदूत से ट्यूशन लेकर बन गए चीन-गुरु
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में जयशंकर का राहुल पर तीखा कटाक्ष
सिंधु जल संधि कर देश का नुकसान किसने किया था?
नई दिल्ली, 30 जुलाई (एजेंसियां)। राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा कटाक्ष करते हुए उन्हें चीन-गुरु बताया और कहा कि कुछ नेता चीनी राजदूत से निजी ट्यूशन लेकर चीन पर ज्ञान हासिल करते हैं। जयशंकर ने साफ-साफ कहा कि एससीओ समिट के दौरान उन्होंने चीन जाकर सभी मुद्दों को पारदर्शी तरीके से उठाया, कोई गुप्त सौदा नहीं किया। जयशंकर ने कहा कि वे 41 साल तक विदेश सेवा में रहे हैं और चीन में भारत के सबसे लंबे समय तक राजदूत रहे हैं। लेकिन अब कुछ लोग चीन-गुरु बन रहे हैं, जो चीन को लेकर ज्ञान बांटते फिरते हैं। जयशंकर का सीधा इशारा राहुल गांधी और कांग्रेस की तरफ था। जयशंकर ने यह भी कहा कि 2008 बीजिंग ओलंपिक में राहुल गांधी और सोनिया गांधी बतौर विशेष अतिथि शामिल हुए थे और वहीं से उनकी चीन की दीक्षा शुरू हुई।
जयशंकर ने कहा, मैंने चीन दौरे के दौरान जो भी किया, वह सब कुछ सार्वजनिक था। मैंने आतंकवाद, तनाव कम करने और चीन की तरफ से व्यापार पर लगाए गए प्रतिबंधों पर बात की। मैंने साफ कहा कि भारत-चीन संबंध तीन मूल बातों पर आधारित होंगे आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता। जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, मैं ओलंपिक क्लास में नहीं गया, क्योंकि मैं विशेष व्यक्ति नहीं था। कुछ लोग ओलंपिक में जाकर चीन से ज्ञान प्राप्त करते हैं और फिर चीनी राजदूत को घर बुलाकर ट्यूशन लेते हैं। जयशंकर ने कहा कि चीन और पाकिस्तान की नजदीकी 1960 के दशक में शुरू हुई थी, लेकिन कांग्रेस सरकारें इस पर ठीक से काम नहीं कर पाईं। उन्होंने कहा कि चीन-गुरु अब कहते हैं कि चीन और पाकिस्तान बहुत करीब आ गए हैं, लेकिन असल में यह सब तब हुआ जब हमने पीओके को छोड़ दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि विपक्ष बार-बार राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करता है, लेकिन सच्चाई यह है कि श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर चीन का कब्जा देश की सबसे बड़ी रणनीतिक चूक थी, जो कांग्रेस सरकार के समय हुआ। इसके साथ ही जयशंकर ने दो टूक कहा, मैं गुप्त बैठकें नहीं करता, न कोई डील करता हूं। ये काम ओलंपिक वाले लोग और चीन-गुरु करते हैं, न कि मेरे जैसे सामान्य लोग।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चल रही बहस का दूसरा सत्र राज्यसभा में शुरू हुआ। चर्चा के दूसरे दिन विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद के घटनाक्रम और सरकार की ओर से उठाए गए कदम एवं देश की विदेश नीति के बारे में सदन में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने विपक्ष के आरोपों पर भी पलटवार किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की तरफ से कई कदम उठाए गए। इसके तहत कई राजनयिकों को वापस भेजा गया और पाकिस्तानी नागरिकों को भी वापस भेजा गया। सबसे अहम कदम था सिंधु जल समझौते को स्थगित करना।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनोखा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सुना या सोच सकता हूं, जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना जरूरी है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक बातें भुला दी जाएं। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे बस कुछ बातों को याद रखना पसंद करते हैं।
सिंधु जल संधि पर जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को अपना समर्थन पूरी तरह से बंद नहीं कर देता। खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। सिंधु जल समझौते के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री (नेहरू) ने लोकसभा में दिए अपने भाषण में पाकिस्तान के हितों की बात की थी। उन्हें पाकिस्तान के पंजाब की फिक्र थी, लेकिन उन्होंने भारतीय राज्यों के हितों की अनदेखी की। तत्कालीन पीएम ने उस वक्त लोकसभा में कहा था कि संसद को यह हक नहीं कि कितना पैसा दिया जाए और कितना पानी। कहा गया था कि सिंधु जल समझौता अच्छी भावना और दोस्ती के तहत किया गया, लेकिन 1960 के बाद से पाकिस्तान ने लगातार भारत पर हमले किए और आतंकवाद को बढ़ावा दिया।
अपने वक्तव्य में विदेश मंत्री ने साफ-साफ कहा कि संघर्ष विराम को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से लेकर 16 जून 2025 के दौरान कोई बातचीत नहीं हुई। इस मसले पर शोर करने वाले विपक्षी सदस्यों से विदेश मंत्री ने कहा, मैं आपको कहना चाहता हूं, आप कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच एक बार भी फोन पर बात नहीं हुई। हमारी राष्ट्रीय नीति है कि कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए। पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से संघर्ष विराम का अनुरोध किया गया था।
जयशंकर ने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो कई देश यह जानना चाहते थे कि स्थिति कितनी गंभीर है और ये हालात कब तक चलेंगे, लेकिन हमने सभी को एक ही संदेश दिया कि हम किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा। हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे हैं और देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है तो पाकिस्तान को इसका अनुरोध करना होगा और यह अनुरोध केवल डीजीएमओ के माध्यम से ही आ सकता है। विदेश मंत्री ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और सिंधु जल समझौता, मुंबई आतंकी हमला और चीन-पाकिस्तान गठजोड़ पर विपक्षी पार्टी की तीखी आलोचना की। सिंधु जल समझौता स्थगित करने के सरकार के फैसले पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनोखा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं जानता, जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदी के पानी को दूसरे देश में बहने दिया। जयशंकर ने इसके लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार ने अपने देश के हितों की अनदेखी कर पड़ोसी देश के हितों का ध्यान रखा था।