पाकिस्तानी लड़की से सिपाही की शादी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

पाकिस्तानी लड़की से सिपाही की शादी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

जम्मू01 अगस्त (ब्यूरो)। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में कांस्टेबल मुनीर अहमद को बर्खास्त करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए एक पाकिस्तानी महिला से गुप्त विवाहजाली दस्तावेज और संवेदनशील जानकारी छिपाने जैसे गंभीर कदाचार का हवाला दिया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

अदालत को दिए अपने आधिकारिक जवाब मेंसीआरपीएफ ने आरोप लगाया कि मुनीर अहमद ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किए बिना फरवरी 2025 में पर्यटक वीजा पर भारत आई पाकिस्तानी नागरिक मेनल खान से शादी कर ली। बल का दावा है कि अहमद ने न केवल शादी की बात छिपाईबल्कि निकाहनामा (विवाह दस्तावेज) पर उसके जाली हस्ताक्षर भी किए। उनका तर्क है कि यह एक गंभीर कानूनी और अनुशासनात्मक उल्लंघन है। चिंता को और बढ़ाते हुएसीआरपीएफ ने कहा कि मेनल का वीजा समाप्त हो गया थाऔर अधिकारियों को सूचित करने के बजायअहमद ने बल को सूचित किए बिना उसे दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) के लिए आवेदन करने में मदद की। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद यह मुद्दा और भी गंभीर जांच के दायरे में आ गयाजब सरकार ने भारत में रहने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित करने का आदेश दिया। इसी दौरान मुनीर अहमद कथित तौर पर अपनी कानूनी स्थिति का खुलासा किए बिना छह दिनों की छुट्टी पर चले गए थे।

सीआरपीएफ ने यह भी तर्क दिया कि निकाहनामे में उस तारीख का जिक्र था जब मेनल खान कथित तौर पर पाकिस्तान में ही थींजिससे यह संकेत मिलता है कि दस्तावेज पर उनके हस्ताक्षर जाली थे। बल ने जोर देकर कहा कि अहमदअपने पद के कारणसंवेदनशील स्थानों और संचालन संबंधी जानकारी तक पहुंच रखते थेऔर उनके कार्यों से सुरक्षा में संभावित सेंध लग सकती थीखासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान को एक शत्रुतापूर्ण राष्ट्र माना जाता है।

अपने बचाव मेंमुनीर अहमद ने बर्खास्तगी को चुनौती दी हैऔर अपने साफ-सुथरे सेवा रिकार्डअपनी शादी की योजनाओं के बारे में सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ पूर्व संवाद और अपनी पत्नी के लिए वीजा नियमितीकरण के समर्थन में भाजपा सांसदों के पत्रों का हवाला दिया है। उनका तर्क है कि उनके कार्यों से किसी भी स्पष्ट आचरण नियम का उल्लंघन नहीं हुआ और बर्खास्तगी अनुचित थी। हालांकिसीआरपीएफ का कहना है कि यह मुद्दा सेवा आचरण से परे राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में आता हैजिसके लिए उनके अनुसार शून्य सहनशीलता की आवश्यकता है।

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