मुख्यमंत्री सिद्धरामैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार दिल्ली के लिए हुए रवाना
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं और विभिन्न पार्टी व सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दो दिन दिल्ली में रहेंगे| पिछले एक महीने में सिद्धरामैया और डी.के. शिवकुमार का यह पाँचवाँ दिल्ली दौरा है| हालाँकि ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों नेता विभिन्न पार्टी बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहे हैं, कहा जा रहा है कि वे सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि दिल्ली में दोनों के बीच की नाराजगी को दूर करने की कवायद चल रही है|
नेतृत्व के मुद्दे को लेकर डी.के. शिवकुमार गुट द्वारा सिद्धरामैया के खिलाफ कई तरह की अफवाहें फैलाई गई थीं| दिल्ली के नेताओं के साथ चर्चा से पहले, सिद्धरामैया ने कहा था कि वह पाँच साल तक सत्ता में बने रहेंगे और डी.के. शिवकुमार को ज्यादा विधायकों का समर्थन नहीं है| इसके बाद, सिद्धरामैया ने विधायकों और जिला प्रभारी मंत्री के साथ बैठक से डी.के. शिवकुमार को बाहर कर दिया था| हालाँकि इसे सामान्य दिखाने की कोशिश की गई, लेकिन यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच सामंजस्य नहीं है| एआईसीसी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बेंगलूरु में विधायकों और मंत्रियों के साथ एक अलग बैठक की और कुछ राय ली| इसके बाद, सिद्धरामैया ने विधायकों और मंत्रियों के संबंध में एक बैठक की|
इस बैठक में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव नजीर अहमद और आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी मौजूद थे| पार्टी के एक प्रमुख नेता डी.के. शिवकुमार को बैठक में शामिल न किए जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हुईं| मुख्यमंत्री ने ७ अगस्त को होने वाली रामनगर जिले के विधायकों और मंत्रियों की बैठक में डी.के. शिवकुमार को आमंत्रित किया है| इससे ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री का यह मानना है कि डी.के. शिवकुमार भी सभी विधायकों की तरह एक विधायक हैं| यही कारण है कि डी.के. शिवकुमार गुट में उथल-पुथल मची हुई है और अंदर ही अंदर असंतोष पनप रहा है|
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला बेंगलूरु पहुँच चुके हैं और उन्होंने ५ अगस्त को बेंगलूरु में होने वाले विशाल विरोध प्रदर्शन की तैयारियों को लेकर बैठक और स्थल का निरीक्षण किया है| इस समय भी, ऐसा लग रहा है कि डी.के. शिवकुमार और सिद्धरामैया के बीच सुलह नाममात्र की ही हुई है| नेतृत्व के मुद्दे पर दोनों के बीच शुरू से ही परोक्ष टकराव रहा है और दिल्ली में बार-बार मध्यस्थता बैठकें करने की नौबत आ गई है|