मानव अंगों का अवैध धंधा रोकने में सरकार फेल
बिना झेंपे हवा-हवाई बातें करते स्वास्थ्य मंत्री नड्डा
मानव अंगों का धंधा चला रहे नेता, नौकरशाह, डॉक्टर और दलाल
नई दिल्ली, 03 अगस्त (एजेंसियां)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अंगदान दिवस पर बड़े गौरव से कहा कि भारत ने अंग प्रत्यारोपण में शानदार उपलब्धि हासिल की है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने यह नहीं कहा कि इस तथाकथित शानदार उपलब्धि के बरक्स अंग प्रत्यारोपण का अवैध धंधा पूरे देश को ग्रसता जा रहा है। नड्डा यह जानते हैं कि अंग प्रत्यारोपण का अवैध धंधा नेताओं, नौकरशाहों, डॉक्टरों और दलालों के आपराधिक गठबंधन के कारण बहुत ही खतरनाक तरीके से फैल रहा है। इसी धंधे के कारण मानव तस्करी जैसा अमानवीय धंधा हो रहा, लेकिन सरकार उपलब्धियां गिनाने में लगी रहती है। नड्डा का स्वास्थ्य मंत्रालय मानव अंगों के अवैध प्रत्यारोपण पर अंकुश लगाने में पूरी तरह फेल है, लेकिन सार्जनिक मंचों पर गुणगान करने के अलावा नड्डा में सच स्वीकार करने का नैतिक बल नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि भारत ने 2024 में 18,900 से अधिक अंग प्रत्यारोपण करने की शानदार उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि यह 2013 में 5,000 से भी कम प्रत्यारोपण की तुलना में एक महत्वपूर्ण छलांग है। उन्होंने कहा कि अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है, तथा केवल अमेरिका और चीन से पीछे है। नड्डा ने राष्ट्रीय अंग एवं उतक प्रत्यारोपण संगठन द्वारा 15वें भारतीय अंगदान दिवस के मौके पर कहा कि भारत ने 2024 में 18,900 से अधिक अंग प्रत्यारोपण करने की शानदार उपलब्धि हासिल की है। एक वर्ष में अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। उन्होंने अंगदानकर्ताओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि उनके निस्वार्थ कार्य ने समाज में कई लोगों के लिए दुख को आशा और क्षति को जीवन में बदल दिया है। नड्डा ने बड़े गौरव से कहा कि वर्ष 2013 में अंग प्रत्यारोपण 5,000 से भी कम था, जबकि महज 10 साल में यह बढ़ कर 18,900 से अधिक हो गया। लेकिन इस बढ़े हुए आंकड़े की सच्चाई बखान करने से नड्डा ने बड़ी चालाकी से परहेज कर लिया। स्वैच्छिक अंगदान के पीछे भी एक सुसंगठित सिंडिकेट काम कर रहा है और यह पूर्ण रूप से निःस्वार्थ सेवा का काम नहीं रह गया। इसके पीछे भी भयंकर धंधा चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने बड़े गौरव से कहा, अंग प्रत्यारोपण के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। अब भारत केवल अमेरिका और चीन से पीछे है। भारत में प्रतिवर्ष 17,000-18,000 अंग प्रत्यारोपण होते हैं, जो भारत को विश्व स्तर पर शीर्ष दावेदारों में से एक बनाता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद चिकित्सकों और नागरिकों को यह नहीं बताया कि भारत में अंगदान की प्रतीक्षा कर रहे अनगिनत रोगियों की दुर्दशा देश की दर्दनाक सच्चाई है और यह स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए एक चेतावनी है कि वह प्रत्यारोपण के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाए। बढ़ती मांग के साथ दाताओं की संख्या में कमी के कारण, इसके भयावह परिणाम सामने आ रहे हैं। हर साल तीन लाख से ज्यादा रोगियों की चौंका देने वाली प्रतीक्षा सूची और उम्मीद की किरण के बीच हर रोज कम से कम 20 लोगों की मौत, देश में अंगदान की भयावह तस्वीर पेश करती है, जिसे नड्डा जैसे स्वास्थ्य मंत्री सार्वजनिक मंच पर स्वीकार नहीं करते। अंग प्रत्यारोपण के धंधे में निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के वर्चस्व ने इस संकट को और गहरा कर दिया है, जिससे असमानता का चक्र लगातार जारी है। निजी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी अत्यधिक लागत इस जीवन रक्षक प्रक्रिया को आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए दुर्गम बना रही है। आंकड़े इस कठोर वास्तविकता को उजागर करते हैं। वर्ष 2019 में 95 प्रतिशत से अधिक लिवर (यकृत) प्रत्यारोपण 175 निजी क्षेत्र के अस्पतालों में किए गए। सालाना एक से दो लाख किडनी (गुर्दा) प्रत्यारोपण की अनुमानित आवश्यकता के बावजूद वर्ष 2019 से हर साल बहुत मुश्किल से 10,000 से कम किडनी प्रत्यारोपित की जा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्री यह समझते हुए भी समझना नहीं चाहते कि प्रत्यारोपण सेवाओं का यह असमान वितरण न केवल सामाजिक-आर्थिक विभाजन को गहरा करता है, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था को भी कायम रखता है जहां जीवन रक्षक उपचार तक पहुंच व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करती है। दुखद बात यह है कि इस असमानता से सबसे ज्यादा प्रभावित अक्सर वही लोग होते हैं जो निजी स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी ऊंची लागत वहन नहीं कर सकते।
अवैध अंग व्यापार का अभिशाप हमारे देश के सामने एक गंभीर चुनौती बन कर खड़ा है, जो हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर कालिख पोत रहा है। बंद दरवाजों के पीछे, अवैध अंग प्रत्यारोपण रैकेट का एक भूमिगत नेटवर्क खतरनाक स्तर पर फल-फूल रहा है। यह धंधा खुलेआम कानून, नैतिकता और मानव अधिकार को ठेंगा दिखा रहा है। चिंताजनक बात यह है कि ऐसी नापाक गतिविधियों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन सरकार इनके सामने नाकाम है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि जो मामले सामने आते हैं, वे एक बहुत बड़ी और अधिक घातक समस्या की सतह खरोंचने मात्र हैं।
अंगों के फलते-फूलते समानांतर अवैध बाजार से जाहिर है कि अंगों की खरीद के कानूनी रास्ते अत्यंत जटिल हैं जिसका फायदा अवैध धंधा करने वाले सफेदपोश उठा रहे हैं। डेटा रिपोर्टिंग में गंभीर कमियां, खास तौर पर अस्पतालों और राज्यों द्वारा राष्ट्रीय रजिस्ट्री में जानकारी की ऑनलाइन प्रविष्टि के संबंध में लचर रवैया अंग प्रत्यारोपण गतिविधियों की प्रभावी निगरानी और विनियमन के प्रयासों को कमजोर करता है।
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