ग्रामीणों ने लश्कर आतंकियों को खदेड़ भगाया

 पीओके में ऑप्स-सिंदूर का खौफ या आतंकियों से मोहभंग!

ग्रामीणों ने लश्कर आतंकियों को खदेड़ भगाया

आतंकी हबीब के जनाजा-ए-गायब में आए थे आतंकी

श्रीनगर04 अगस्त (एजेंसियां)। ऑपरेशन सिंदूर का खौफ कह लें या आतंकवादियों से मोहभंगया दोनों ही वजहों से अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में भी आतंकवादियों के खिलाफ भारी जनाक्रोश देखा जा रहा है। पहलगाम हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकी हबीब ताहिर के जनाजा-ए-गायब में शामिल होने गए लश्करे तैयबा के आतंकी रिजवान हनीफ को पीओके के लोगों ने खदेड़ भगाया। पहलगाम हमले के तीन महीने बाद मारे गए तीन पाकिस्तानी आतंकियों में हबीब ताहिर शामिल था। जनाजे में पाकिस्तानी सेना के कई अधिकारी भी पहुंचे थे। वे भी स्थानीय लोगों का आक्रोश देख कर वहां से चलते बने। पीओके के गांव से लश्कर के आतंकियों को खदेड़ा जाना यह साबित करता है कि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान था और आतंकियों से पीओके की जनता त्रस्त है।

भारतीय सुरक्षा बल के हाथों ऑपरेशन महादेव के तहत मारे गए आतंकी हबीब ताहिर का पीओके के रावलकोर्ट स्थित खाई गाला गांव में जनाजा-ए-गायब निकाला गया। यह आम जनाजा नहीं बल्कि शव की गैरमौजूदगी में किए जाने वाले सुपुर्दे खाक की औपचारिकता होती है। जनाजा ए गायब में लश्करे तैयबा के आतंकियों को देख कर रावलकोट के खाई गाला गांव के लोगों का गुस्सा भड़क उठा। गांव वालों ने लश्कर के कमांडर रिजवान हनीफ के वहां होने का विरोध किया। इस पर कहासुनी और हाथापाई की नौबत आ गई। फिर लोगों ने एकजुट होकर आतंकियों को वहां से खदेड़ भगाया। हबीब ताहिर के परिवार ने भी साफ मना कर दिया था कि जनाजा-ए-गायब में कोई भी आतंकी शामिल न हो पाए। इसके बावजूद लश्कर का स्थानीय कमांडर रिजवान हनीफ अपने हथियारबंद गुर्गों के वहां पहुंच गया था। विरोध होने पर उसके साथियों ने गांव वालों को बंदूक दिखा कर डराना चाहा। इस पर गांव वाले भड़क गए। आतंकियों और ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। उसके बाद लोगों ने लश्कर के आतंकियों को गांव से खदेड़ दिया।

घटना से साफ पता चलता है कि पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान शामिल थावहीं यह भी सामने आया कि पीओके की जनता अब आतंकियों के खिलाफ खुल कर अपना विरोध जता रही है। आतंकी ताहिर के जनाजा-ए-गायब को आतंकियों की भर्ती का जरिया बनाना चाहते थे। भारत के खिलाफ जहर उगलना चाहते थे। लेकिन ग्रामीणों ने उनकी नहीं सुनी। लोग अब हर हाल में अपने बच्चों को आतंकी बनने से बचाना चाहते हैं। इसलिए ग्रामीण अब आतंकियों के खिलाफ सार्वजनिक बहिष्कार की योजना बना रहे हैं। ये पीओके में आई नई सोच और जागरूकता को दर्शाता है।

हबीब ताहिर पाकिस्तान का आतंकी था। लश्कर ए तैयबा में शामिल होने से पहले वह पाकिस्तानी फौज में था। वह पाकिस्तानी छात्र संगठन इस्लामी जमीयत तलाबा का सदस्य भी रहा है। उसके स्टूडेंट लिबरेशन फ्रंट से भी कनेक्शन थे। भारत सरकार ने उसे मोस्ट वॉटेड आतंकी घोषित किया था। पहलगाम हमले में उसने अहम भूमिका निभाई थी। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ देश में छुपे आतंकियों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन महादेव शुरू किया गया।

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स्थानीय लोगों और घटना के चश्मदीदों के मुताबिकपीओके के कुइयां गांव में हबीब ताहिर के जनाजे की रस्म के बीच आतंकी रिजवान हनीफ अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ पहुंच गया। स्थानीय लोगों ने उसका विरोध किया। विरोध होता देख रिजवान हनीफ और उसके गुर्गों ने राइफलें तान लीं। इस पर स्थानीय लोगों का गुस्सा और भड़क गयाउन लोगों ने आतंकियों को वहां से खदेड़ भगाया। तमाम स्थानीय लोगों ने लश्कर के आतंकियों को शोक सभा छोड़ कर भागते हुए देखा। हबीब ताहिर के जनाजे की खुलेआम रस्म अदायगी से आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान का चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ।

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स्थानीय लोगों ने बताया कि लश्करे तैयबा (एलईटी) का कमांडर रिजवान हानिफ अपने भतीजे और गुर्गों के साथ ताहिर के जनाजे में पहुंचा था। उसके और उसके गुर्गों के हाथ में खुली बंदूकें देख कर लोगों ने विरोध किया। इस पर उसने कुछ लोगों के ऊपर राइफलें तान दीं। इस पर लोगों का गुस्सा भड़क गया। फिर बात हाथापाई से लेकर हथियार छीनने तक पहुंच गई। आतंकियों वहां से भागना ही बेहतर समझा। लोगों ने आतंकियों को खदेड़ कर शोक सभास्थल से दूर भगा दिया। पहलगाम हमले में शामिल आतंकी लश्करे तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के सदस्य थे। टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी।

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22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में तीन मुख्य आतंकियों ने एक नेपाली नागरिक समेत 26 हिंदुओं को उनका धर्म पूछ कर मौत के घाट उतार दिया था। पहलगाम हमले में पाकिस्तानी आतंकियों के शामिल रहने की पुष्टि होने के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चला कर पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकाने और कई सैन्य ठिकाने ध्वस्त कर दिए। जिन आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गयाउनमें पीओके स्थित आतंकी ठिकाने भी शामिल थे। उसमें सैकड़ों आतंकी मारे गए। उसी ऑपरेशन सिंदूर में लश्करे तैयबा का खूंखार आतंकी अब्दुल रौफजिसे अमेरिका ने वैश्विक आतंकी घोषित किया थावह भी मारा गया। ऑपरेशन सिंदूर का खौफ पहले से छाया ही था कि पहलगाम हमले के 3 महीने बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन महादेव चला कर जंगर में छुपे तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया। टीआरएफ के आतंकी हबीब ताहिर को पाकिस्तान में लश्करे तैयबा ने ही ट्रेनिंग दी थी। द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। अमेरिका ने भी टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब पीओके में भी आम जनता आतंकियों के खिलाफ खड़ी होने लगी है। आतंकियों की सार्वजनिक मौजूदगी के खिलाफ सरकारी अमला भी कार्रवाई करता नजर आ रहा है। जम्मू कश्मीर के दाचीगाम में ऑपरेशन महादेव के दौरान मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्करे तैयबा के सदस्य थे।

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