-संयुक्त कार्रवाई समिति की चेतावनी
अगर हड़ताल में शामिल परिवहन कर्मचारियों को नोटिस जारी करना बंद नहीं किया, तो डिपो बंद कर देंगे
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| संयुक्त कार्रवाई समिति ने चेतावनी दी है कि अगर आपने हड़ताल में शामिल परिवहन कर्मचारियों को नोटिस जारी करना बंद नहीं किया, तो सभी डिपो बंद करके विरोध प्रदर्शन करना होगा| परिवहन निगमों के कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर हड़ताल स्थगित कर दी है| इस मामले की गुरुवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी और संयुक्त कार्रवाई समिति के नेता अदालत में पेश होंगे| उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद हड़ताल की गई, और अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए श्रमिक नेताओं को फटकार लगाई|
इससे सरकार को बड़ी राहत मिली है| परिवहन निगमों ने मंगलवार शाम से हड़ताल में शामिल परिवहन कर्मचारियों और स्टाफ को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है| हड़ताल में शामिल लोगों को बर्खास्तगी की धमकी दी जा रही है| संयुक्त कार्रवाई समिति पर भरोसा करके हड़ताल में शामिल हुए हजारों लोग अब अपनी नौकरी जाने के डर से परेशान हैं| निगमों के वरिष्ठ अधिकारी व्हाट्सऐप के जरिए नोटिस भेजकर तुरंत कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं| चूँकि उच्च न्यायालय ने हड़ताल पर व्यक्तिगत रूप से रोक लगा दी है, इसलिए आने वाले दिनों में निगम के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों का असर दिखने की उम्मीद है|
नोटिस पाने वाले कर्मचारी चिंतित हैं और उन्होंने सुरक्षा के लिए संयुक्त कार्रवाई समिति से संपर्क किया है| पहले भी कई मौकों पर जब हड़ताल हुई है, तो कई कर्मचारियों की नौकरी चली गई है| कुछ ने तो अपने खर्चे पर कानूनी लड़ाई भी लड़ी है और दोबारा नौकरी पर रखे गए हैं| हजारों कर्मचारी चिंतित हैं कि मौजूदा हालात में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है| हम किसी भी कर्मचारी या मजदूर को असुविधा नहीं होने देंगे| बताया जा रहा है कि संयुक्त कार्रवाई समिति कर्मचारियों के समर्थन में है| अगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी सरकार के आदेशानुसार नोटिस जारी करना बंद नहीं करते हैं, तो आने वाले दिनों में सभी डिपो के सामने संघर्ष किया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी| नेताओं ने चेतावनी दी है कि वे डिपो बंद करके शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे|
हमने सरकार को २२ दिन पहले ही नोटिस दे दिया है और हड़ताल पर चले गए हैं| संयुक्त कार्रवाई समिति के नेता इस बात का बचाव कर रहे हैं कि नियमों के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया गया है| सरकार द्वारा उचित वेतन न देकर और हमें धमकाकर हड़ताल में बाधा डालना उचित नहीं है| अगर वेतन संशोधन होता, तो हमें विरोध प्रदर्शन करने का अवसर ही नहीं मिलता| नेता कह रहे हैं कि वे उच्च न्यायालय को इस बारे में समझाएँगे|