बिहार में बसना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप
बिहार सरकार ने रोक दिया...
निवास प्रमाण-पत्र का आवेदन खारिज
पटना/समस्तीपुर, 07 अगस्त (एजेंसियां)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बिहार में बसना चाहते हैं। उन्होंने खुद को बिहार के समस्तीपुर जिले के हसनपुर गांव का मूल निवासी बताया और जिला प्रशासन से निवास प्रमाण पत्र की जारी करने के लिए आवेदन दाखिल दिया। समस्तीपुर जिला प्रशासन ने डोनाल्ड ट्रंप का आवेदन खारिज कर दिया है। यह तथ्य और कथ्य आपको सत्य भी लग सकता है और कटाक्ष भी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मानसिक-असंतुलन से भरी हरकतें देख कर भारत के लोगों को ऐसा लग सकता है कि ट्रंप यह भी कर सकते हैं लेकिन बिहार सरकार भी उन्हें झेलने के लिए तैयार नहीं, इसलिए उनका आवेदन खारिज कर सकती है। यह कथ्य सत्य भी है और कटाक्ष भी है।
डोनाल्ड ट्रंप के नाम से बाकायदा ऑनलाइन आवेदन कर निवास प्रमाण पत्र जारी करने की मांग की गई। आवेदन पत्र बिल्कुल सटीक है। आवेदक का नाम, आवेदक के पिता का नाम वगैरह सब दुरुस्त है। लेकिन समस्तीपुर जिला प्रशासन का कहना है कि यह आवेदन फर्जी है, इसलिए खारिज किया जाता है। जिला प्रशासन ने यह नहीं बताया कि डोनाल्ड ट्रंप से बात करने के बाद आवेदन के फर्जी होने का पता चला या खुफिया जांच से... यह सवाल रह ही गया कि कहीं वाकई ट्रंप बिहार में तो नहीं बसना चाहते! कहीं ट्रंप मूल रूप से समस्तीपुर के हसनपुर गांव के ही तो नहीं हैं? बहरहाल, आधिकारिक तौर पर यही बताया गया कि ट्रंप के नाम से फर्जी आवेदन देने वाले अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है।
जिला प्रशासन को दिए आवेदन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर लगी है। उन्हें हसनपुर गांव का मूल निवासी बताया गया था। उनके पिता का नाम फ्रेडरिक क्राइस्ट ट्रंप और माता का नाम मैरी ऐनी मैकलियोड बताया गया है। ये दोनों नाम अमेरिकी राष्ट्रपति के पिता और माता के असली नाम हैं। आवासीय प्रमाण-पत्र के लिए ट्रंप का ऑनलाइन आवेदन 29 जुलाई को दाखिल हुआ था। जिला प्रशासन के राजस्व विभाग ने इस आवेदन को बेसाख्ता खारिज कर दिया। पूरा सरकारी तंत्र ट्रंप सरीखे राहुल गांधी की हरकतों से परेशान है। जिला प्रशासन को लगा कि चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को बदनाम करने के लिए तो यह फर्जीवाड़ा नहीं किया गया, इसी आशंका से डोनाल्ड ट्रंप का आवेदन खारिज कर दिया गया।
चुनाव आयोग की ओर से एसआईआर कवायद शुरू किए जाने के बाद से बिहार में ऐसी कई घटनाएं हो चुकीं, इसलिए शासन-प्रशासन का चौकन्ना रहना वाजिब और स्वाभाविक है। हाल ही में पटना में एक डॉग बाबू और नवादा में डॉगेश बाबू नाम से आवेदन मिले थे। डॉग बाबू और डॉगेश बाबू तो बिना प्रमाण पत्र के भी जहां चाहे रह सकते हैं, इसके लिए उन्हें आवेदन करने की क्या जरूरत थी। यह विचार करते हुए प्रशासन ने डॉग बाबू और डॉगेश बाबू के आवेदनों को भी खारिज कर दिया था। इसी लपेटे में फिल्म अभिनेत्री सोनालिका ट्रैक्टर भी आ गईं। पूर्वी चंपारण जिले में भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री सोनालिका ट्रैक्टर ने निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। लेकिन सोनालिका के नाम के साथ ट्रैक्टर उपनाम लगा था, इसलिए प्रशासन ने उनका आवेदन खारिज कर दिया।
शासन-प्रशासन को जैसा संदेह था वैसा ही हुआ। इन सबके पीछे खेल किन तत्वों का था फौरन ही समझ में आ गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बिहार की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को इस फर्जीवाड़ा से जोड़ते हुए फौरन ही प्रतिक्रिया जता दी। सुरजेवाला ने कहा, यह सबसे बड़ा सबूत है कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण एक धोखाधड़ी है, जिसका उद्देश्य वोट चुराना है। कांग्रेस और राहुल गांधी इस साजिश को विफल करने के लिए लड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में चुप रहना एक अपराध है। आप समझ गए न... डोनाल्ड ट्रंप, डॉग बाबू, डॉगेश बाबू और फिल्म अभिनेत्री सोनालिका ट्रैक्टर किन शक्तियों के हाथों में खेल रही हैं। बिहार में कौआ, राम-सीता जैसे कई नामों से दाखिल किए गए आवेदन इन्हीं षडयंत्रकारियों की दिमागी उपज हैं, जो देश में अराजकता का सृजन करने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
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