3.69 लाख करोड़ रुपये के उपकर फंड का हस्तांतरण नहीं
सीएजी रिपोर्ट में हुआ खुलासा
नई दिल्ली, 12 अगस्त, (एजेंसी)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने पाया है कि 2023-24 तक, केंद्र सरकार ₹3.69 लाख करोड़ मूल्य के उपकर संग्रह को उन संबंधित निधियों में स्थानांतरित करने में विफल रही है जिनके लिए उपकर लागू किया गया था। उपकर, कर के अतिरिक्त एक शुल्क होता है और इसका उपयोग किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जाना होता है।
ये अल्प आवंटन 1974 में लगाए गए उपकरों के समय से हैं और इस प्रकार यह विभिन्न सरकारों में हुई चूक को दर्शाता है।
मंगलवार (12 अगस्त, 2025) को संसद में पेश की गई 2023-24 के लिए केंद्र सरकार के खातों पर अपनी रिपोर्ट में, सीएजी ने निवेशक शिक्षा और संरक्षण, राष्ट्रीय राजमार्गों के मुद्रीकरण, तेल उद्योग के विकास और देश में स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिए बनाए गए धन से संबंधित हस्तांतरण में ऐसी कमियां पाईं।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "31 मार्च 2024 तक नमूना जांच की गई निधियों का कुल प्रभाव लोक लेखा में निर्दिष्ट आरक्षित निधि में 3,69,307 करोड़ रुपये का कम हस्तांतरण था।"
हस्तांतरण में इस कमी का सबसे बड़ा कारण तेल उद्योग विकास बोर्ड (ओआईडीबी) था। तेल उद्योग (विकास) अधिनियम, 1974 में तेल उद्योग के विकास के लिए ओआईडीबी की स्थापना का प्रावधान किया गया था। इसी उद्देश्य से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर उपकर लगाया गया था।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, “हमने पाया कि ओआईडीबी की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, वित्त वर्ष 1974-75 से वित्त वर्ष 2023-24 तक, सरकार द्वारा कच्चे तेल पर एकत्रित कुल उपकर ₹2,94,850.56 करोड़ (वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ₹18,845.98 करोड़ सहित) था।” रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “यह भी महत्वपूर्ण है कि वित्त वर्ष 1974-75 से वित्त वर्ष 1991-92 तक, ओआईडीबी को केवल ₹902.40 करोड़ ही हस्तांतरित किए गए हैं और उसके बाद से प्रत्येक वर्ष एकत्रित उपकर में से कोई धनराशि ओआईडीबी को हस्तांतरित नहीं की गई है।”