पीएम मोदी ने 18 वें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड में भारत की खगो विज्ञान की विरासत को सराहा
श्री मोदी ने कहा कि भारत की लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची खगोलीय वेधशालाओं में से एक वेधशाला मौजूद है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यह वेधशाला सितारों के साथ हाथ मिलाने के लिए बहुत निकट है।" उन्होंने पुणे में विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप का उल्लेख करते हुए इसे दुनिया के सबसे संवेदनशील रेडियो टेलीस्कोप में से एक बताया, जो पल्सर, क्वासर और आकाशगंगाओं के रहस्यों को डिकोड करने में सहायता करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत गर्व से स्क्वायर किलोमीटर एरे और लिगो-इंडिया जैसी वैश्विक मेगा-विज्ञान परियोजनाओं में योगदान देता है। उन्होंने याद किया कि दो वर्ष पहले, चंद्रयान -3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला मिशन बनकर इतिहास रचा था। श्री मोदी ने कहा कि भारत ने आदित्य-एल1 सौर वेधशाला के साथ सूर्य पर अपनी दृष्टि भी स्थापित की है, जो सौर फ्लेयर्स, तूफान और सूर्य के मिजाज की निगरानी करता है। उन्होंने बताया कि पिछले महीने, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा किया, इसे सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण और युवा अन्वेषकों के लिए प्रेरणा बताया।
यह पुष्टि करते हुए कि भारत वैज्ञानिक जिज्ञासा को पोषित करने और युवा प्रतिभाओं को सशक्त बनाने के लिए मज़बूती से प्रतिबद्ध है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं में व्यावहारिक प्रयोग के माध्यम से 10 मिलियन से अधिक विद्यार्थी एसटीईएम यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की अवधारणाओं को समझ रहे हैं, जिससे सीखने और नवाचार की संस्कृति का निर्माण हो रहा है। ज्ञान तक पहुंच को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए, श्री मोदी ने बताया कि 'वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन' योजना शुरू की गई है। यह लाखों विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं तक मुफ्त पहुंच प्रदान करता है उन्होंने कहा कि भारत एसटीईएम डोमेन में महिलाओं की भागीदारी में एक अग्रणी देश है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न पहलों के अंतर्गत अनुसंधान इकोसिस्टम में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है। उन्होंने दुनिया भर के युवाओं को भारत में अध्ययन, शोध और सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया। श्री मोदी ने कहा, “कौन जानता है कि अगली बड़ी वैज्ञानिक सफलता ऐसी साझेदारियों से ही जन्म लेगी।”
प्रतिभागियों को मानवता को लाभ पहुंचाने के लक्ष्य के साथ अपने प्रयासों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, श्री मोदी ने युवा अन्वेषकों से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया कि अंतरिक्ष विज्ञान पृथ्वी पर जीवन को और बेहतर कैसे बना सकता है।
उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्न किए: किसानों को बेहतर मौसम पूर्वानुमान कैसे प्रदान किया जा सकता है? क्या हम प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी कर सकते हैं? क्या हम जंगल की आग और पिघलते ग्लेशियरों की निगरानी कर सकते हैं? क्या हम दूरस्थ क्षेत्रों के लिए बेहतर संचार का निर्माण कर सकते हैं? प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि विज्ञान का भविष्य युवा प्रतिभाओं के हाथों में है और वास्तविक दुनिया की समस्याओं को कल्पना और करुणा के साथ हल करने में निहित है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे पूछें "वहां क्या है?" और यह भी प्रतिबिंबित करें कि यह पृथ्वी पर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में हमारी सहायता कैसे कर सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की शक्ति में विश्वास करता है और यह ओलंपियाड उस भावना को दर्शाता है।" यह देखते हुए कि ओलंपियाड का यह संस्करण अब तक का सबसे बड़ा है। उन्होंने इस आयोजन को संभव बनाने के लिए होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र और टाटा मौलिक अनुसंधान संस्थान को धन्यवाद दिया। श्री मोदी ने प्रतिभागियों को ऊंचे लक्ष्य रखने और बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित किया। अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, "और याद रखें, भारत में, हम मानते हैं कि आकाश सीमा नहीं है, यह केवल शुरुआत है!"