अब लखनऊ से होगी ब्रह्मांड की रोमांचक सैर

जुरासिक युग से लेकर हजारों साल तक का मिलेगा अनुभव

अब लखनऊ से होगी ब्रह्मांड की रोमांचक सैर

लखनऊ, 19 अगस्त (एजेंसियां)। लखनऊ से ब्रह्मांड की सैर अब और रोमांचक होने वाली है। जुरासिक युग से लेकर हजारों साल आगे तक का जबरदस्त अनुभव मिलने वाला है। इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला दो साल बाद नए रूप और अत्याधुनिक तकनीक के साथ दर्शकों के लिए फिर से खुल गई है।

अगर आप अंतरिक्षग्रह-नक्षत्र और ब्रह्मांड के रहस्यों को करीब से देखना चाहते हैंतो अब इसका और भी शानदार अनुभव मिलने जा रहा है। प्रदेश की सबसे अनूठी नक्षत्रशाला राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला दो साल बाद नए रूप और अत्याधुनिक तकनीक के साथ मंगलवार से दर्शकों के लिए फिर से खुल रही है। यहां दर्शक थ्रीडी इफेक्ट्स और टाइम मशीन जैसे अनुभवों के जरिये लाखों साल पीछे जुरासिक युग तक और हजारों साल आगे भविष्य तक की यात्रा कर सकेंगे।

नक्षत्रशाला के नवीनीकरण पर अब तक लगभग 42 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उत्तर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार इसका लोकार्पण करेंगे। राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल और प्रमुख सचिव पंधारी यादव भी मौजूद रहेंगे। इस मौके पर अटल आवासीय विद्यालय मोहनलालगंज के 110 विद्यार्थी शो देखने के लिए पहुंचेंगे। नया तारामंडल दर्शकों को समय में पीछे और आगे ले जाएगा। लाखों साल पुराने जुरासिक युग के डायनासोरों की दुनियातारों की टूटनउल्कापिंडों की बौछारग्रहों की चाल और सूर्य-चंद्र ग्रहणहजारों साल आगे-पीछे जाकर खगोलीय पिंडों की वास्तविक स्थिति देख सकेंगे।आभासी और वास्तविक दुनिया का फर्क मिटाते हुए दर्शक खुद को अंतरिक्ष यात्री की तरह महसूस करेंगे। विज्ञान अधिकारी डॉ. सुमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नक्षत्रशाला में अब न केवल एस्ट्रोनॉमी और स्पेस साइंसबल्कि भौतिकीजीव विज्ञानरसायन विज्ञानकला आदि से संबंधित चीजों के भी तह में जा सकेंगे।

नक्षत्रशाला में कुल 216 सीटों की क्षमता होगी और इसमें 8के डिजिटल टूडी और थ्रीडी तकनीक से लैस नया सिस्टम लगाया गया है। अमेरिका की इवांस एंड सदरलैंड कंप्यूटर्स की मदद से 12 ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिटआधुनिक साउंड सिस्टम और क्रिस्टी मिराज थ्रीडी प्रोजेक्टर लगाए गए हैं। इसमें नया नैनोसीम डोम और परफोरेटेड एल्युमिनियम का विशाल पर्दाजिस पर सब कुछ बिल्कुल असली जैसा दिखेगा। नए सॉफ्टवेयर से रात का आकाश दस हजार साल आगे और दस हजार साल पीछे तक दिखाया जाएगा। वर्ष 2003 से संचालित नक्षत्रशाला अब तक लाखों दर्शकों को खगोल विज्ञान से जोड़ चुकी है। पहले जापान की गोटो कंपनी का ऑप्टोमैकेनिकल प्रोजेक्टर थाजिसकी जगह अब डिजीस्टार-7 संस्करण लगाया गया है। विश्वभर में 700 से अधिक नक्षत्रशालाएं इस तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं। भारत में पटनाजयपुरहैदराबादअहमदाबामुंबईनासिकमंगलुरु में यह प्रणाली कार्यरत है।

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यहां पहले एल्युमिनियम फाइबर का डोम थाजिसमें शो के दौरान जोड़ दिखाई देते थे। अब नया 15 मीटर व्यास का सीमलेस नैनोसीम डोम शो को और जीवंत बनाएगा। प्लैनेटोरियम डोमकास्टिंग की सुविधा से यहां से दुनिया के अन्य तारामंडलों में लाइव शो प्रसारित हो सकेंगे। नासा और ईसा (यूरोपियन स्पेस एजेंसी) के जियोस्पेशियल डेटा का भी रियल-टाइम प्रदर्शन संभव होगा। नक्षत्रशाला में पांच साल तक के बच्चों के लिए निशुल्क प्रवेश रखा गया है। सामान्य दर्शकों के लिए दो अलग-अलग स्लैब रखे गए हैं। टू-डी शो के लिए 100 रुपए और थ्री-डी शो के लिए 200 रुपए का शुल्क रखा गया है। वहीं दिव्यांगजनों और 18 वर्ष तक के विद्यार्थियों के लिए टू-डी शो के लिए 50 रुपए और थ्री-डी शो के लिए 100 रुपए का शुल्क रखा गया है। सौ या उससे अधिक के समूह में आने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रति विद्यार्थी 30 रुपए और सामान्य समूहों के लिए 60 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क निर्धारित किया गया है।

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