133 साल बाद नीदरलैंड से अपने पैतृक गांव पहुंचा परिवार

133 साल बाद नीदरलैंड से अपने पैतृक गांव पहुंचा परिवार

बलिया, 19 अगस्त (एजेंसियां)। नीदरलैंड से एक परिवार की छठवीं पीढ़ी 133 साल बाद बलिया स्थित अपने पैतृक गांव पहुंची। स्वदेश आने पर परिवार के लोगों ने पहले अयोध्या में भगवान राम के दर्शन किएउसके बाद गांव पहुंचे।

सुंदर प्रसाद के वंशज जितेंद्र छत्ता गत नौ अगस्त को अपनी पत्नी शारदा रामसुखपुत्री ऐश्वर्या और पुत्र शंकर के साथ दिल्ली पहुंचे। अयोध्या में रामलला का दर्शन करने के बाद अपने पूर्वजों की धरती बेल्थरा रोड पहुंचे लेकिन उनके परिवार का कोई नहीं मिला। छठवीं पीढ़ी के जितेंद्र छत्ता ने बताया कि 133 साल पहले परिवार के सदस्यों से झूठ बोलकर अंग्रेज उन्हें नीदरलैंड ले गए थे।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1892 में बलिया के सीयर गांव के रहने वाले उनके पूर्वज सुंदर प्रसाद को 35 वर्ष की उम्र में अंग्रेज अपने साथ सूरीनाम ले गए थे। उनकी पत्नी अनुरजिया बिहारी और तीन साल का बेटा भी उनके साथ गए थे। उन्हें पहले बेल्थरा रोड रेलवे स्टेशन ले जाया गयावहां से कोलकाता ले जाया गया। वहां से पानी के जहाज से सूरीनाम भेजे गए। उन्होंने बताया कि पूर्वजों के अनुसार अंग्रेजों ने वादा किया था कि परिवार को महल में रखा जाएगा तथा सोने की थाली में भोजन परोसा जाएगा लेकिन सूरीनाम में मजदूरी करवाई गई। इसके बाद उन लोगों को अंग्रेजों ने नीदरलैंड भेज दिया।

जितेंद्र छत्ता डिफ्ट साउथ हॉलैंड में मेंबर ऑफ सुपरवाइजिंग बोर्ड पद पर कार्यरत हैं। जितेंद्र ने बताया कि नीदरलैंड में पूर्वज सुंदर की सात साल बाद मौत हो गईउसके एक साल बाद उनकी पत्नी भी गुजर गईं। सिर्फ उनका बेटा बचा थाजिनके संघर्ष से हम वशंज इस मुकाम पर पहुंचे। सुंदर के बेटे का नाम दुखी था। उनके बेटे कल्याणफिर पृथ्वीराज और उसके बाद धर्मराज ने वंश को आगे बढ़ाया। जितेंद्र की पुत्री ऐश्वर्या ने बताया कि पहली बार भारत आई हूं। बहुत खुशी हो रही है। हमारे घर में राम की पूजा होती है। अयोध्या में रामलला के दर्शन से जीवन धन्य हो गया।

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