मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने पर लोग मजबूर
जम्मू कश्मीर में सरकारी तंत्र पूरी तरह नाकाम
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 21 अगस्त (ब्यूरो)। जम्मू कश्मीरवासी मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने को मजबूर हो रहे हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने में राज्य सरकार का तंत्र पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। खाद्य पदार्थों की जांच में प्रत्येक सात में से एक नमूना फेल साबित हुआ है। संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में खाद्य पदार्थों में मिलावट का स्तर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। जांचे गए 41,717 नमूनों में से 6,200 से ज्यादा खाद्य नमूने सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे।
आंकड़े बताते हैं कि 2020 और 2025 के बीच विश्लेषण किए गए लगभग 15 प्रतिशत खाद्य पदार्थ उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाए गए। 2020-21 में, 4,094 नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें से 871 को मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 573 पर जुर्माना लगाया गया। 2021-22 में, जांच का दायरा बढ़कर 8,109 नमूनों तक पहुंच गया, जिनमें से 1,735 मानकों पर खरे नहीं उतरे। उस वर्ष सबसे ज्यादा प्रवर्तन भी हुआ, जिसमें 1,931 पर जुर्माना लगाया गया।
2022-23 में, अधिकारियों ने 13,502 नमूनों का परीक्षण किया, जो इस अवधि में सबसे ज्यादा था, लेकिन 1,195 सुरक्षा मानदंडों पर खरे नहीं उतरे। कुल 1,592 पर जुर्माना लगाया गया। अगले वर्ष (2023-24) 9,057 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 750 मिलावटी पाए गए और 1,612 पर जुर्माना लगाया गया, जिनमें पिछले वर्षों के कुछ लंबित मामले भी शामिल हैं।
चालू वर्ष (2024-25) में 6,955 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 651 असुरक्षित पाए गए, जिसके परिणामस्वरूप 1,239 पर जुर्माना लगाया गया। कुल मिलाकर, जम्मू कश्मीर में 2020 और 2025 के बीच 6,202 गैर-अनुरूप नमूने और 6,900 से अधिक जुर्माना दर्ज किया गया। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करने और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने का आग्रह कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया कि जब भी नमूने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाए जाते हैं, तो चूककर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और जुर्माना लगाया जाता है।
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