चुनाव आयोग पर लगाए सभी आरोप झूठे निकले
राहुल गांधी की नकल में औंधे गिरे अखिलेश यादव
लखनऊ, 21 अगस्त (एजेंसियां)। राहुल गांधी की नकल पर वोट चोरी का राग अलापने में लगे सपा सांसद अखिलेश यादव के सारे आरोप आधिकारिक तौर पर झूठे साबित हुए। अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर कई लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गलत तरीके से हटाने का आरोप लगाया था। इसकी जांच चुनाव आयोग ने की और बताया कि वे या तो दोहरे नामांकन के कारण थे या फिर मतदाता की मृत्यु हो गई थी।
सपा नेता अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों लखनऊ, कासगंज, बाराबंकी और जौनपुर के बारे में आरोप लगाया था कि इन जिलों में वोटर लिस्ट से लोगों के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने फिर इन दावों को खारिज कर अखिलेश यादव के झूठ की पोल खोल दी। जांच में सारे आरोप झूठे निकले। इतना ही नहीं, इन जिलों के जिलाधिकारियों ने अखिलेश यादव के आरोपों को लेकर जवाब भी दिया है।
अखिलेश यादव ने 17 अगस्त यह आरोप लगाया कि यूपी के कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं, जो वोट चोरी का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने इस संबंध में चुनाव आयोग को कई सबूत दिए हैं, लेकिन आयोग इन्हें नजरअंदाज कर रहा है। इसके अलावा अखिलेश यादव ने 4 तस्वीरें भी पोस्ट में शेयर की, जो लखनऊ, कासगंज, बाराबंकी, जौनपुर की हैं। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि लखनऊ के बख्शी का तालाब में 13 मतदाताओं के नाम हटाए गए। कासगंज के अमांपुर में 8 मतदाताओं के नाम हटाए गए। बाराबंकी के कुर्सी में 2 मतदाताओं के नाम हटाए गए। जौनपुर में 5 मतदाताओं के नाम हटाए गए। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग द्वारा दी गई डिजिटल रसीद अगर गलत साबित होती है तो डिजिटल इंडिया की विश्वसनीयता भी खतरे में है।
अखिलेश का दावा था कि लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र में 13 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए। लखनऊ के जिलाधिकारी ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि सिर्फ एक मतदाता का नाम 2012 में हटाया गया था। इसका कारण यह था कि वह व्यक्ति उस क्षेत्र को छोड़ कर अन्यत्र चला गया। बाकी सभी 12 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं। इस तरह अखिलेश यादव का आरोप बेमानी साबित हुआ।
अखिलेश यादव ने दावा किया था कि कासगंज के अमांपुर क्षेत्र से 8 मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए थे। कासगंज के जिलाधिकारी इसकी जांच में पाया कि 7 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो बार लिखे हुए थे। नियमानुसार एक नाम को विलोपित (हटा दिया गया) किया गया। एक मतदाता का नाम अभी भी मतदाता सूची में है। इसी तरह अखिलेश यादव ने बाराबंकी को लेकर दावा किया था कि 266 कुर्सी विधानसभा क्षेत्र में 2 मतदाताओं ने शपथ पत्र दिया था कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। लेकिन जब बाराबंकी के जिलाधिकारी ने जांच की तो पाया कि दोनों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। किसी का भी नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया गया है। अखिलेश यादव ने जौनपुर में पांच मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाने के आरोप लगाए थे। जौनपुर के जिलाधिकारी ने जांच में पाया कि उक्त पांच मतदाताओं की मृत्यु 2022 में ही हो चुकी थी। इसकी पुष्टि उनके परिवार के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने भी की। इसलिए उन पांच मतदाताओं के नाम नियमानुसार हटाए गए थे।
आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमानुसार और पारदर्शी है। जिन मामलों में नाम हटाए गए, वे या तो दोहरे नामांकन के कारण थे या फिर मतदाता की मृत्यु हो गई थी। इस तरह के झूठे आरोप लगाकर अखिलेश यादव न केवल एक संवैधानिक संस्था पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि जनता को भी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
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