लोगों के मुफ्त इलाज के लिए मिले 50 करोड़, खर्च हुए 34 लाख
यूपी में आम जनता के स्वास्थ्य की देखभाल की असलियत
लखनऊ, 26 अगस्त (एजेंसियां)। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में शुरुआती 24 घंटे में निःशुल्क इलाज की व्यवस्था अब भी व्यवहार में नहीं है। निःशुल्क इलाज के लिए प्रदेश सरकार से केजीएमयू को दो साल में 50 करोड़ रुपए की धनराशि मिल चुकी है, लेकिन केजीएमयू ने इसमें से सिर्फ 34 लाख रुपए ही खर्च किए।
सरकार की मंशा ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीजों को बेहतर इलाज देने की है। इसके लिए सरकार की ओर से केजीएमयू प्रशासन को वित्तीय वर्ष 2023-24 से सालाना 25 करोड़ रुपए आवंटित करने की शुरुआत हुई थी। दो साल में केजीएमयू को 50 करोड़ रुपए की धनराशि मिली। इसमें से केजीएमयू प्रशासन ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 14.09 लाख और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 19.92 लाख रुपए ही खर्च किए। यह खर्च भी सिर्फ मरीजों को गिनी-चुनी दवाएं देने में ही आया। जांच शुल्क के साथ ही इलाज के बाकी खर्च मरीजों को खुद ही वहन करने पड़ रहे हैं। इस समय ट्रॉमा सेंटर में निर्धन वर्ग और आयुष्मान कार्ड धारकों को निःशुल्क इलाज मिलता है। जिन व्यक्तियों के पास कोई कार्ड नहीं होता है, उनको विपन्न श्रेणी में निःशुल्क इलाज दिया जाता है, लेकिन यह राशि और इसके लाभार्थी दोनों बेहद सीमित हैं।
केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में करीब चार सौ मरीज रोज आते हैं। एक महीने में यह आंकड़ा 12 हजार और साल भर में करीब डेढ़ लाख तक पहुंच जाता है। इनमें से करीब कुछ को प्राथमिक उपचार देकर छुट्टी दे दी जाती है या फिर अन्य विभाग या अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। यहां औसतन करीब 150 मरीज रोजाना भर्ती किए जाते हैं। राजधानी के अन्य दो चिकित्सा संस्थान डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की इमरजेंसी और संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में शुरुआती 24 घंटे पूरी तरह से निःशुल्क इलाज की व्यवस्था है। इसमें मुख्य दवाएं और सभी जांच शुल्क शामिल हैं।
दुर्घटना के बाद अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के लिए शुरुआती इलाज काफी महंगा होता है। ट्रॉमा प्रोटोकॉल के मुताबिक, दुर्घटना में घायल होने वाले सभी मरीजों का सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे अनिवार्य रूप से किया जाता है। इन पर ही ठीक-ठाक खर्च हो जाता है। इसके बाद खून संबंधी जांच अलग से होती है। एक बार जांच होने पर इलाज की दिशा तय हो जाती है और महंगी जांच के बजाय बड़ा खर्च दवाओं का ही रहता है। केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर में किसी भी दूसरे अस्पताल के मुकाबले मरीजों की संख्या बेहद ज्यादा रहती है। सभी मरीजों को निःशुल्क दवाएं दी जाती हैं। निःशुल्क इलाज में जांच भी शामिल करने के लिए नए सिरे से आकलन तैयार करना होगा। फिलहाल विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों को पूरा इलाज निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है।