संगठन के स्कूलों का सरकार ने किया अधिग्रहण
प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और फलाह-ए-आम ट्रस्ट पर कार्रवाई
छात्रों को पढ़ा रहे थे धार्मिक कट्टरता का पाठ
श्रीनगर, 24 अगस्त (एजेंसियां)। जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और उसके सहयोगी फलाह-ए-आम ट्रस्ट से जुड़े 215 स्कूलों का अधिग्रहण कर लिया है। यह कदम छात्रों के भविष्य की सुरक्षा के लिए उठाया गया है। इन स्कूलों में छात्रों को मूल शिक्षा देने के बजाय धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा था। शुक्रवार 22 अगस्त 2025 को जारी औपचारिक आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा कि अब इन स्कूलों का प्रबंधन संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों के अधीन होगा। वे सत्यापन के बाद नई प्रबंधन समितियों का गठन करेंगे।
आदेश के अनुसार, खुफिया एजेंसियों ने पाया कि ये स्कूल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले 28 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2024 को जमात-ए-इस्लामी को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था। इसी आधार पर इन स्कूलों की मौजूदा प्रबंधन समितियों की वैधता समाप्त कर दी गई। सरकार ने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। जिला मजिस्ट्रेट शिक्षा विभाग के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जारी रहे। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव राम निवास शर्मा ने कहा कि बच्चों का शैक्षणिक जीवन किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होने दिया जाएगा।
फलाह-ए-आम ट्रस्ट जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर द्वारा बनाया गया था। 1972 से पहले जमात-ए-इस्लामी खुद स्कूल चलाता था, लेकिन बाद में इन स्कूलों को फलाह-ए-आम ट्रस्ट के हवाले कर दिया। जमात-ए-इस्लामी को भारत सरकार ने पहले से ही गैर-कानूनी संगठन घोषित कर रखा है। साल 2019 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया था और 2024 में यह बैन दोबारा बढ़ा दिया गया। प्रतिबंध को ठेंगा दिखाते हुए यह संगठन फलाह-ए-आम ट्रस्ट के जरिए अपना काम करता रहा। सरकारी और खुफिया एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि फलाह-ए-आम ट्रस्ट के ये स्कूल सीधे या परोक्ष रूप से प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही, इन स्कूलों की जो मैनेजिंग कमेटियां थीं, जिनकी वैधता भी खत्म हो चुकी थी। खुफिया एजेंसियों ने यह भी कहा कि इन स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है क्योंकि ये संगठन के प्रभाव में चल रहे थे।
सरकार ने इन 215 स्कूलों को फिलहाल सीधे जिला प्रशासन के नियंत्रण में ले लिया है। अब इन स्कूलों की देखरेख संबंधित जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) या डिप्टी कमिश्नर (डीसी) करेंगे। आगे चलकर सरकार इन स्कूलों के लिए एक नई मैनेजिंग कमेटी बनाएगी जो पूरी तरह वैध और पारदर्शी तरीके से काम करेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि यह कदम किसी राजनीतिक या धार्मिक कारण से नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। सबसे बड़ा सवाल यह था कि इन स्कूलों के संचालन में बदलाव से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर न पड़े। इस पर सरकार ने आश्वासन दिया है कि किसी भी छात्र की पढ़ाई नहीं रुकेगी। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर इन स्कूलों को पहले की तरह चलाते रहेंगे। सभी छात्रों को नियमित रूप से कक्षाएं मिलेंगी और किसी को भी स्कूल छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार का यह भी कहना है कि अब इन स्कूलों में नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
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