विपक्ष की बेमानी चिल्लपों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया

आधार कार्ड नागरिकता का सबूत नहीं है

 विपक्ष की बेमानी चिल्लपों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया

आधार कार्ड की वैधता की जांच कर सकता है चुनाव आयोग

प्रमाणित नागरिकों के नाम ही मतदाता सूची में शामिल होंगे

नई दिल्ली, 08 सितंबर (एजेंसियां)। विपक्ष की तमाम चिल्लपों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड को देश की नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड की वैधता की जांच करने का पूरा अधिकार चुनाव आयोग को है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जो व्यक्ति भारत का आधिकारिक नागरिक होगा, उसे ही मताधिकार प्राप्त होगा।

बिहार मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि आधार कार्ड को देश की नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता। आधार कार्ड मतदाता सूची के लिए वैध पहचान पत्र हो सकता है, लेकिन उसकी वैधता की जांच करना चुनाव आयोग का अधिकार है। बिहार मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वे आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज मानें ताकि मतदाता वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के लिए आधार कार्ड को भी पेश कर सकें, लेकिन आधार कार्ड की वैधता की जांच चुनाव आयोग कर सकता है।

चुनाव आयोग पहले ही 11 दस्तावेजों की सूची जारी कर चुका हैजिन्हें दिखाकर मतदातावोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कर सकते हैं। पहले इन दस्तावेजों में आधार कार्ड शामिल नहीं थालेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को बतौर 12वां दस्तावेज मानने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से अपने सभी अधिकारियों को निर्देश जारी करने को भी कहा है ताकि आधार कार्ड को स्वीकार किया जा सके। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि आधार कार्ड को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता।

चुनाव आयोग को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को आधार कार्ड की वैधता जांचने का पूरा अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल वास्तविक नागरिकों को ही वोट देने की अनुमति होगीजाली दस्तावेजों के आधार पर असली होने का दावा करने वालों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि चुनाव आयोग अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची में शामिल करे। चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आधार कार्ड को नागरिकता के सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर जस्टिस बागची ने भी साफ किया कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़करचुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध किए गए 11 दस्तावेज भी नागरिकता के सबूत नहीं माने जाएंगे।  

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चुनाव आयोग ने जिन दस्तावेजों को मान्यता दी है उनमें (1) केंद्रराज्य सरकार एवं सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत कर्मियों के पहचान पत्रपेंशन भुगतान आदेश, (2) एक जुलाई 1987 के पूर्व सरकारीस्थानीय प्राधिकारबैंकपोस्ट ऑफिसएलआईसी एवं पब्लिक सेक्टर उपक्रमों से जारी आई कार्डदस्तावेज, (3) सक्षम प्राधिकार से जारी जन्म प्रमाणपत्र, (4) पासपोर्ट, (5) मान्यता प्राप्त बोर्डविश्वविद्यालय से जारी मैट्रिक व अन्य शैक्षिक प्रमाणपत्र, (6) स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र, (7) वन अधिकार प्रमाणपत्र, (8) सक्षम प्राधिकार द्वारा जारी ओबीसी/एससी/एसटी जाति प्रमाणपत्र, (9) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध हो), (10) राज्य/स्थानीय प्राधिकार द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर और (11) सरकार का कोई भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र शामिल है। अब उसमें 12वें नंबर पर आधार कार्ड भी शामिल हो गया है, लेकिन वह नागरिकता की पुष्टि नहीं करेगा और उसकी वैधता की जांच की जा सकती है।

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