बोम्मई ने आंतरिक आरक्षण को लेकर कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई ने शनिवार को राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक लाभ के लिए आंतरिक आरक्षण नीति को तोड़-मरोड़ रही है और प्रमुख आयोगों की रिपोर्टों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी करके ‘घोर सामाजिक अन्याय‘ कर रही है|
बोम्मई ने घोषणा की कि भाजपा कांग्रेस सरकार के हालिया आरक्षण वर्गीकरण में कथित रूप से हाशिए पर पड़े अनुसूचित जाति समुदायों को न्याय दिलाने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन का नेतृत्व करेगी| उन्होंने कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के दिसंबर २०२४ के आदेश का उल्लंघन किया है और न्यायमूर्ति नागमोहन दास, न्यायमूर्ति सदाशिव और मधुस्वामी आयोगों की रिपोर्टों को दरकिनार कर दिया है| बोम्मई ने कहा, ‘इसके बजाय, उन्होंने विशुद्ध रूप से राजनीतिक निर्णय लिया है जिससे उनके वोट बैंक को फायदा होता है और सबसे वंचित समुदायों को इससे बाहर रखा गया है|‘
उन्होंने याद दिलाया कि २०२२ में मुख्यमंत्री के रूप में उनके अपने कार्यकाल के दौरान, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण १५% से बढ़ाकर १७% और अनुसूचित जनजातियों के लिए ३% से बढ़ाकर ७% कर दिया गया था, जिसे उन्होंने एक ‘ऐतिहासिक निर्णय‘ बताया| इसके विपरीत, बोम्मई ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने जनसंख्या-आधारित औचित्य के बिना उप-कोटा में फेरबदल किया है, अनुसूचित जाति (ए) और अनुसूचित जाति (बी) को ६-६% और अनुसूचित जाति (सी) को ५% आरक्षण दिया है, जबकि सबसे गरीब खानाबदोश समूहों की अनदेखी की है, जो आयोग के निष्कर्षों के अनुसार कम से कम १% आरक्षण के हकदार थे|
बोम्मई ने कहा, ‘यह विश्वासघात के अलावा और कुछ नहीं है| सरकार आंतरिक आरक्षण को स्थायी न्याय के बजाय एक राजनीतिक सौदे के रूप में देख रही है| खानाबदोश समुदायों को बेसहारा छोड़ दिया गया है| इसका फायदा किसे होगा? केवल उन्हें जो पहले से ही प्रभुत्व रखते हैं|
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