दुर्गम क्षेत्र में अब होगी सुगम यात्रा

पहली बार मिजोरम की राजधानी आइजोल पहुंचेगी रेल

 दुर्गम क्षेत्र में अब होगी सुगम यात्रा

पीएम मोदी 13 सितंबर को करेंगे नायाब प्रोजेक्ट का उद्घाटन

48 सुरंगों और 142 पुलों से गुजरेगी 52 किमी की रेल लाइन

विशाल केशरवानी

आइजोल, 08 सितंबर। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को उनकी राजधानियों से जोड़ने के अपने संकल्प को पूरा करने की दिशा में केंद्र सरकार ने मजबूत कदम बढ़ाया है।  मिजोरम की राजधानी आइजोल के पास सायरंग स्टेशन को बइरबी शहर से रेल द्वारा जोड़ा जाएगा। यह नई रेल लाइन 52 किलोमीटर लंबी है और इसमें 48 सुरंगें और 142 पुल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को इस रेल लाइन का उद्घाटन करेंगे। इस परियोजना पर 8070 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस रेल लाइन से मिजोरम के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने वाला है।

सायरंग से बइरबी की दूरी 52 किलोमीटर है। नई ट्रेन की गति सौ किलोमीटर होगी। यह रेलमार्ग पूरी तरह से जंगलोंघाटियों और पहाड़ों से होकर गुजरता है। इसीलिए इसमें 48 सुरंगें हैं। 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल हैं। मिजोरम के शहरों को जोड़ने वाली पांच सड़कें रेलवे लाइन के ऊपर से और छह सड़कें रेलवे लाइन के नीचे से गुजरती हैं। वर्तमान में वहां के लोग बइरबी से सायरंग तक की यात्रा सड़क मार्गों से पूरा करते हैं। इस रेल मार्ग के आने से वहां के लोगों को भी काफी लाभ पहुंचेगा और उनकी यात्रा सुलभ हो जाएगी।

 इस नई और मिजोरम के लिए पहली परियोजना की जानकारी देने के लिए कर्नाटक के पत्रकारों के लिए एक अध्ययन दौरे का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के कई पत्रकारों ने भाग लिया। इस दौरे में दक्षिण पश्चिम रेलवे की जनसम्पर्क अधिकारी राधा रानीदक्षिण पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी पवन कुमार और पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कपिंजल के शर्मा भी शामिल थे, जिन्होंने परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2014 को मिजोरम में बइरबी से सायरंग तक की नई रेल लाइन की आधारशिला रखी थी। 21 मार्च 2016 को असम से बइरबी तक रेल मार्ग को ब्रॉड गेज में परिवर्तित करने के साथ पहली मालगाड़ी मिजोरम के बइरबी पहुंची। 10 जून 2025 को हरतकी से सायरंग तक अंतिम सेक्शन चालू किया गया। इससे 51.38 किलोमीटर रेल मार्ग पूरी हो गई और आइजोल पहली बार भारतीय रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गया। परियोजना की कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है। परियोजना लाइन कोलासिब और आइजोल जिलों से होकर गुजरती है। जिसमें हरतकीकॉनपुईमुअलखांगसायरंग स्टेशन शामिल हैं।

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पूरी रेल पटरी घने जंगल से होकर गुजरती है जिसमें खड़ी पहाड़ियां और गहरी खाइयां हैं। 70 मीटर से अधिक और 114 मीटर तक की अधिकतम ऊंचाई वाले छह ऊंचे पुल हैं। प्रतिकूल भूगर्भीय परिस्थितियों में 45 सुरंगें हैंसभी सुरंगों में बलास्ट रहित ट्रैक का निर्माण किया गया है। कुल 45 सुरंगें हैंजिनकी कुल लंबाई 15.885 किमी है। उसमें सबसे लंबी सुरंग 1.868 किलोमीटर है। दुर्गम भौगोलिक स्थिति और भारी मानसून के कारण अप्रैल से अक्टूबर तक रेल ट्रैक के निर्माण का काम रुका रहा। यह मार्ग पहाड़ी इलाकोंगहरी घाटियों और घाटियों से होकर गुजरती हैजिसके लिए सुरंगों और ऊंचे पुलोंपुलों के निर्माण की आवश्यकता होती है। अस्थिर कमजोर चट्टानें (शेलसिल्टस्टोन और बलुआ पत्थर) जिनमें त्रुटीदरारें और पानी का प्रवेश होने से धराशाई होती रहती हैं। ऐसी दुर्गम स्थिति में परियोजना की कामयाबी अत्यंत सराहनीय है।

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इस परियोजना के होने से मिजोरम के आइजोल जिले को पहली बार रेल कनेक्टिविटी मिलेगी और यह राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा। कोलासिब और आइजोल निवासियों के लिए आसानकुशल और सस्ती यात्रा हो जाएगी। सिलचरगुवाहाटी और दिल्ली जैसे शहरों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा केंद्रों तक लोगों की बेहतर पहुंच हो जाएगी। इसके अलावा मालगाड़ियों की आवाजाही सुगम हो जाएगीजिससे इस क्षेत्र में व्यापार और लॉजिस्टिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

आईआरसीटीसी ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिजोरम के साथ अगस्त 2025 में दो वर्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। योजनाओं में गुवाहाटी से आगे पूर्वोत्तर की खोज के तहत एक स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन शामिल हैजिसमें आइजोल एक प्रमुख गंतव्य होगा। सहयोग में संयुक्त प्रचारआसान ट्रैवेल लॉजिस्टिक्स और क्यूरेटेड यात्रा कार्यक्रम शामिल हैं। पर्यटन विकास से आतिथ्यगाइडिंग और होटल में स्थानीय नौकरियों का सृजन होगा। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से हस्तशिल्पवस्त्र और कृषि जैसे स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा।

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