संसद भवन में घुस गए उपद्रवी, हिंसा में 14 मरे   

 सांप्रदायिक हरकतों और अफवाहबाजी पर सख्ती का नतीजा

 संसद भवन में घुस गए उपद्रवी, हिंसा में 14 मरे   

काठमांडू को ढाका बनाने की साजिशी हिंसा

काठमांडू, 08 सितंबर (एजेंसियां)। अफवाहबाजी, कट्टर सांप्रदायिक हरकतें और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बेजा इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ नेपाल में अराजक तत्वों ने काठमांडू को ढाका बनाने की कोशिश की। सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ आंदोलन के नाम पर उपद्रवियों की भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया और बिल्कुल बांग्लादेश की तरह काठमांडू में भी संसद भवन में घुस गए। उग्र भीड़ पर पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। लेकिन भीड़ का इरादा कुछ और था। इसे देखते हुए पुलिस को उपद्रवियों पर बल प्रयोग करना पड़ा। उपद्रवियों द्वारा भड़काई गई हिंसा में 14 लोगों के मारे जाने की खबर है। 50 लोगों के घायल होने की भी जानकारी मिली है।

नेपाल में सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शनकारियों सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, सरकार के खिलाफ उग्र नारेबाजी की और संसद भवन में घुस गए। सुरक्षा बलों की ओर से जब उन्हें रोकने की कोशिश की गईतब वे और हिंसक हो गए और बैरिकेड कूदकर इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान सुरक्षाबलों पर पथराव भी किया गया। पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया। आंसू गैस के गोले छोड़े। पानी की बौछार की और कुछ जगहों पर फायरिंग भी की। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिकविरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 14 लोगों की मौत हो गई और 42 लोग घायल हो गए। काठमांडू के न्यू बानेश्वर और झापा जिले के दमक में सबसे ज्यादा हालात खराब हैं।

द हिमालयन टाइम्स के मुताबिकन्यू बानेश्वर में हिंसक झड़पों के दौरान गोली लगने से घायल हुए प्रदर्शनकारी ने सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस समय कई घायल व्यक्तियों की पहचान अब भी ज्ञात नहीं है। दमक में प्रदर्शनकारियों ने दमक चौक से नगरपालिका कार्यालय की ओर मार्च कियाजहां उन्होंने नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला फूंका और कार्यालय के द्वार तोड़ने का प्रयास किया। हालात और न बिगड़ेंइसके लिए सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है।

न्यू बानेश्वर में प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हुए हैं। घायलों को इलाज के लिए एवरेस्ट अस्पतालसिविल अस्पताल और आसपास के अन्य अस्पतालों में ले जाया गया है। कार्यकर्ता रोनेश प्रधान ने बताया कि हामी नेपाल संगठन ने प्रदर्शनकारियों को प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिए मैतीघर में एक प्राथमिक चिकित्सा शिविर स्थापित किया है। प्रधान ने कहामैतीघर में छह से सात लोगों का इलाज चल रहा हैजबकि ज्यादातर घायल एवरेस्ट अस्पताल में हैं।हालांकिघायलों की सटीक संख्या की पुष्टि अब तक नहीं हुई है।

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बताया गया कि सोमवार सुबह 9 बजे से प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में एकत्रित होने लगे। हाल के दिनों में नेपो किड और नेपो बेबीज जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इसमें और तेजी आई है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसारहामी नेपाल ने इस रैली का आयोजन किया था। इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी। समूह के अध्यक्ष सुधन गुरुंग ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन सरकारी कार्रवाइयों और भ्रष्टाचार के विरोध में था। देश भर में इसी तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने छात्रों से भी अपनी यूनिफॉर्म पहनकर और किताबें लेकर प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया।

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सरकार के मुताबिकनेपाल में सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया गया था। बीते बुधवार को जब समय सीमा समाप्त हो गईतब भी किसी भी बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म - जिसमें मेटा (फेसबुकइंस्टाग्रामव्हाट्सएप)अल्फाबेट (यूट्यूब)एक्स (पूर्व में ट्विटर)रेडिट और लिंक्डइन शामिल थेपंजीकरण नहीं कराया। जिसके बाद सरकार ने गुरुवार से इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार का कहना है कि फर्जी आईडी से जुड़े यूजर्स इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल नफरत फैलानेअफवाहें फैलाने और साइबर अपराधों के लिए कर रहे थे। इससे समाज में अशांति और असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही थीं।

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