कांग्रेस ने दाखिल नहीं की एक भी आपत्ति

बिहार वोटर लिस्ट पर राहुल गांधी का दावा फेल

कांग्रेस ने दाखिल नहीं की एक भी आपत्ति

वोट चोरी के नाम पर फूहड़ राजनीतिक-नौटंकी कर रहे राहुल गांधी

वोटर अधिकार यात्रा में आने के लिए लोगों को दिए 5-5 सौ रुपए

पटना, 31 अगस्त (एजेंसियां)। बिहार वोटर लिस्ट को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके पिछलग्गू बने कुछ खास दलों का दावा पूरी तरह फेल साबित हुआ। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग के बार-बार कहने के बावजूद एक भी आपत्ति दाखिल नहीं की। इससे यह स्पष्ट हो गया कि वोट चोरी के नाम पर राहुल गांधी सिर्फ सियासी-नौटंकी कर रहे हैं।

चुनाव आयोग के बुलेटिन के मुताबिकअब तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की राजनीतिक पार्टियों ने जो दावे-आपत्तियां दर्ज कींवे काफी कम हैं। नेशनल पार्टियों में आम आदमी पार्टी ने 1, बहुजन समाज पार्टी ने 74, भारतीय जनता पार्टी (भाजपाने 53,338, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने 899, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने शून्य दावे-आपत्तियां दर्ज कीं। बिहार की पार्टियों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी लिबरेशन) ने 1,496 (जिनमें 103 बहिष्करण के लिए)जनता दल (यूनाइटेड) ने 36,550, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने 1,210, राष्ट्रीय जनता दल ने 47,506 (जिनमें सिर्फ 10 बहिष्करण के लिए)राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने 1,913, और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 270 दावे-आपत्तियां दर्ज कीं। सबसे हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस ने एक भी दावा या आपत्ति नहीं की जबकि राहुल गांधी एसआईआर को लेकर लगातार हमलावर रहे हैं।

1 से 30 अगस्त तक ड्राफ्ट रोल पर सिर्फ 2.27 लाख दावे-आपत्तियां आईंजिनमें 1.97 लाख नाम हटाने के और 29 हजार नाम जोड़ने के। नए वोटरों के लिए 13 लाख से ज्यादा फॉर्म आए। भाजपा ने 53 हजारराजद ने 47 हजार आपत्तियां कींलेकिन कांग्रेस का खाता जीरो ही रहा। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआरको लेकर चल रही सियासी बहस अब एक नए मोड़ पर आ गई है। चुनाव आयोग ने 30 अगस्त 2025 को एक डेली बुलेटिन जारी किया हैजो राहुल गांधी और विपक्ष के उन दावों पर सवाल उठाता हैजिनमें एसआईआर प्रक्रिया को वोट चोरी का हथियार बताया गया था।

इस बुलेटिन के मुताबिक, 1 अगस्त से 30 अगस्त तक ड्राफ्ट रोल पर दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया में सिर्फ 2 दिन बचे हैं और जो आंकड़े सामने आए हैंवे चौंकाने वाले हैं। सामान्य मतदाताओं की ओर से दायर दावों-आपत्तियों में भी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। कुल 2,27,636 दावों में से सिर्फ 29,872 नामों को शामिल करने और 1,97,764 नामों को हटाने के लिए आवेदन आए। 7 दिन के निपटान के बाद सिर्फ 33,771 मामले सुलझे। नई वोटरों के लिए 18 साल या उससे अधिक उम्र के 13,33,793 फॉर्म-6 और डिक्लेरेशन आएजिनमें से 61,248 का निपटान हो चुका है। यह आंकड़ा साफ करता है कि ज्यादातर आवेदन नाम हटाने के लिए हैं न कि जोड़ने के लिएजो विपक्ष के 65 लाख वोटरों के नाम कटने के दावों के उलट है।

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अब बात करते हैं राहुल गांधी के उन दावों कीजो एसआईआर को लेकर हवा में लहरा रहे थे। राहुल गांधी ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान बार-बार आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और भाजपा के बीच साठगांठ है और एसआईआर के जरिए 65 लाख वोटरों के नाम जानबूझकर काटे गए। उन्होंने दावा किया कि यह गरीबदलितऔर अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है। लेकिन चुनाव आयोग का बुलेटिन इन दावों को खोखला साबित करता है। कांग्रेस ने एक भी दावा दायर नहीं कियाजो उनके आरोपों की गंभीरता पर सवाल उठाता है। क्या यह दर्शाता है कि उनके दावे महज प्रचार थे?

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राहुल गांधी ने एक और वीडियो वायरल किया थाजिसमें उन्होंने दावा किया कि मृत वोटरों के नाम सूची में बने हुए हैं और एसआईआर उनकी सफाई नहीं कर रहा। इस वीडियो में उन्होंने बीएलओ रानी कुमारी पर सवाल उठाएलेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि रानी कुमारी सिर्फ सत्यापन कर रही थींन कि कोई गड़बड़ी। यह वीडियो फर्जी निकला और राहुल के दावों पर सवाल उठे। इसके अलावाउन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा में एक लाख फर्जी वोटरों का डेटा पेश कियालेकिन चुनाव आयोग ने जवाब मांगाजो अब तक नहीं आया। क्या यह उनकी तैयारी की कमी को दर्शाता है?

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राहुल ने विदेशी मीडिया मसलन अल जजीरा, न्यूयॉर्क टाइम्स, बीबीसी को इस्तेमाल करके वोट चोरी का प्रोपेगैंडा फैलाया और दावा किया कि एसआईआर से लाखों असली नाम कट रहे हैं। ये सब राहुल गांधी का मनगढ़ंत नैरेटिव था। चुनाव आयोग की रिपोर्ट्स से साफ हुआ कि राहुल गांधी के पास कोई सबूत नहीं है। यानि, सब सियासी नौटंकी है। राहुल ने चुनाव आयोग की चुनौती पर आजतक हलफनामा तक नहीं दिया।

राहुल गांधी ने एक और बड़ा दावा यह किया कि एसआईआर के जरिए संस्थागत वोट चोरी हो रही हैऔर उन्होंने इसे गुजरात मॉडल बताया। उन्होंने अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। लेकिन चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि 22 लाख मृत वोटर पिछले 20 साल की गलतियों से जुड़े हैं और एसआईआर इनको ठीक करने की प्रक्रिया है। राहुल के दावों के जवाब में आयोग ने चुनौती दी कि अगर गड़बड़ी थीतो ड्राफ्ट जारी होने पर आपत्ति क्यों नहीं की गईयह सवाल अब जनता के सामने है।

राहुल गांधी ने मिंता देवी और शकुन रानी के नाम लेकर भी हंगामा मचाया। उन्होंने दावा किया कि मिंता देवी की उम्र 124 साल बताई गईजो फर्जीवाड़ा हैऔर शकुन रानी ने दो बार वोट डाला। लेकिन जांच में पता चला कि मिंता देवी का नाम सही था और शकुन रानी का मामला डुप्लिकेट एपिक नंबर से जुड़ा थाजो तेजस्वी यादव के साथ भी हुआ। चुनाव आयोग ने तेजस्वी के दो वोटर कार्ड का खुलासा कियाजो उनके अपने दावों पर सवाल उठाता है। क्या यह विपक्ष की अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश थी? योगेंद्र यादव जैसे विश्लेषकों ने भी दावा किया था कि एसआईआर से 2 करोड़ वोटरों के नाम कटेंगेऔर यह जनता को वोट से वंचित करने की साजिश है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 1.97 लाख नाम हटाने के लिए आवेदन आएजो उनके दावों से कोसों दूर है। राहुल गांधी की 16 अगस्त से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा जो 1 सितंबर को पटना में खत्म होगीको जनता का समर्थन नहीं मिल रहा। नवादा में एक शख्स सुबोध कुमार ने दावा किया कि उनका नाम कटालेकिन आंकड़ों से यह साबित नहीं होता।

चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर एक पारदर्शी प्रक्रिया हैजिसमें हर मतदाता और दल के लिए दरवाजे खुले हैं। उन्होंने कहा कि 90,817 मतदान केंद्रों की सूची शेयर की गई और 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गईं। बुलेटिन में यह भी कहा गया कि कोई भी नाम 1 अगस्त की सूची से बिना जांच के नहीं हटाया जाएगा। यह दर्शाता है कि आयोग हर एलिजिबल वोटर को शामिल करने की कोशिश कर रहा हैजैसा कि 13.33 लाख नए फॉर्म से जाहिर होता है।

जनता के मन में सवाल है कि अगर वाकई 65 लाख नाम कटेतो इतने कम दावे-आपत्तियां क्योंक्या यह विपक्ष की नाकामी है या उनके दावों में दम नहीं थाराहुल गांधी की यात्रा और बयानों ने सियासी माहौल गरम कियालेकिन आंकड़े उनकी बातों को चुनौती दे रहे हैं। बिहार की जनता अब सचाई को समझ रही है और यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ दिन में क्या नया मोड़ आता है। यह आंकड़ा राहुल गांधी को पूरी तरह एक्सपोज़ कर रहा है। बिहार में कोई वोट चोरी नहींबल्कि चुनाव आयोग ने पारदर्शिता से काम किया। योगेंद्र यादव की बातें भी हवा हो गईं। लोग एसआईआर का सपोर्ट कर रहे हैंफर्जी नाम हटाने चाहते हैं। चुनाव आयोग ने लाख संदिग्ध वोटर्स को नोटिस भेजेलेकिन सही लोगों को लेकर कोई समस्या नहीं। ये रिपोर्ट बताती है कि चुनाव प्रक्रिया मजबूत है और प्रोपेगेंडा फैलाने वाले अब चुप हैं। बिहार के लोग समझदार हैंवे ऐसे झूठ में नहीं फँसते। कुल मिलाकर एसआईआर सफल हो रहा है और राजनीतिक शोर सिर्फ चुनावी स्टंट था।

बिहार में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने के लिए युवकों को पांच-पांच सौ रुपए बांटे गए। यात्रा में शामिल कई युवकों ने ही यह बात कह कर राहुल की इस सियासी यात्रा की पोल खोल दी। इस तरह राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा चर्चा से ज्यादा विवादों में फंस गई है। शनिवार को सारण जिले (छपरा) में जब यह यात्रा पहुंची तो वहां एक अजीब नजारा देखने को मिला। मंच और सड़कों पर जुटी भीड़ को यह तक मालूम नहीं था कि वे किसकी रैली में आए हैं और उसका मकसद क्या है। रैली में शामिल कई लोगों ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों को 500-500 रुपए देकर यात्रा में शामिल किया गया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि लोकतंत्र और वोटरों के अधिकार की बात करने वाली यह यात्रा असल में भीड़ दिखाने का राजनीतिक कार्यक्रम भर है। रैली में शामिल एक शख्स ने कहाहमें रैली में आने के लिए 500 रुपए मिले हैं। दिन भर की मजदूरी मिल गई। हमारे साथ 20-25 आदमी आए थेहमें झंडा लेकर खड़ा रहने को कहा गया था। हालांकिजब इस शख्स ने पूछा गया कि वोटर अधिकार क्या है तो यह नहीं बता सका। शख्स ने टीशर्ट मिलने की बात भी कही।

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