गोरखा सैनिकों की वीरगाथा संजोएगी योगी सरकार

सीएम योगी और सीडीएस जनरल अनिल चौहान चार को करेंगे शिलान्यास

 गोरखा सैनिकों की वीरगाथा संजोएगी योगी सरकार

गोरखपुर में होगा गोरखा युद्ध स्मारक का सौंदर्यीकरण, संग्रहालय भी बनेगा

गोरखपुर02 सितंबर (एजेंसियां)। मां भारती की आनबान व शान में सर्वस्व न्योछावर करने का जज्बा रखने वाले गोरखा सैनिकों की वीरगाथा को संजोने के लिए योगी सरकार ने बड़ी पहल की है। इसके तहत प्रदेश का संस्कृति विभाग गोरखा रेजिमेंट के गोरखा भर्ती डिपो (जीआरडी) गोरखपुर में स्थित गोरखा युद्ध स्मारक का सौंदर्यीकरण कराने के साथ यहां एक भव्य संग्रहालय (म्यूजियम) बनवाने जा रहा है। इसका शिलान्यास 4 सितंबर (गुरुवार) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के हाथों होने जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि आम जनता के अवलोकनार्थ बनने वाला यह गोरखा रेजिमेंट का पहला संग्रहालय होगा। इस तरह देश विदेश में अपने शौर्य से खास पहचान बनाने वाले गोरखा रणबाकुरों की कहानी से आम लोग पहली बार रूबरू हो सकेंगे। उस तरह का यह देश का पहला संग्रहालय होगा। गोरखा युद्ध स्मारक के सौंदर्यीकरण और संग्रहालय निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में उत्तर प्रदेश जलनिगम नगरीय की सीएंडडीएस यूनिट 42 का चयन किया गया है। स्मारक के सौंदर्यीकरण और संग्रहालय के निर्माण पर 44 करोड़ 73 लाख 37 हजार रुपए की लागत आएगी। इसके तहत संग्रहालयटॉयलेट ब्लॉकटिकट काउंटरवर्तमान भवन का जीर्णोद्धारवाटर बॉडीचहारदीवारीलिफ्ट आदि का निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा लाइट एंड साउंड शोसेवन डी थिएटरम्यूरल पेंटिंग आदि की व्यवस्थाएं भी रहेंगी।

गोरखा सैनिक भारतीय सेना में अपने विशेष युद्ध कौशल के लिए विख्यात हैं। ब्रिटिश काल से लेकर अब तक भारतीय सेना में गोरखा जवानों ने 2700 से अधिक वीरता पुरस्कार प्राप्त किए हैं। गोरखा जवानों ने प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। देश के आजाद होने के बाद गोरखा सैनिकों ने युद्ध के साथ ही शांति अभियानों में अतुलनीय भूमिका का निर्वहन किया है। वर्तमान समय में करीब 40000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना के माध्यम से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं।

Gorkha Yoddha Smarak - 2

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1866 में स्थापित गोरखा भर्ती डिपो गोरखपुरसबसे पुराना भर्ती डिपो है। यहां अभी जो युद्ध स्मारक है उसकी स्थापना प्रथम विश्वयुद्ध में गोरखा जवानों के योगदान की स्मृति में 1925 में हुई थी। इस स्मारक में अब तक आठ ऐसे रणबांकुरों की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है जिन्होंने युद्धकाल में अपूर्व शौर्य का परिचय दिया और उल्लेखनीय पुरस्कार प्राप्त किए। इनमें पहले फील्ड मार्शल मानेकशॉपरमवीर चक्र विजेता कैप्टन जीएस सलारियालेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापाकैप्टन मनोज पांडेयअशोक चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल जेआर चिटनिसलेफ्टिनेंट पुनीत नाथ दत्तमेजर मान बहादुर राय और नायक नर बहादुर की प्रतिमा स्थापित है।

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