लखनऊ और कानपुर में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर होगा ई-बसों का संचालन

लखनऊ और कानपुर में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर होगा ई-बसों का संचालन

लखनऊ, 02 सितंबर (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश सरकार ने आज अपनी कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए जनपद लखनऊ और जनपद कानपुर नगर के साथ-साथ उनके समीपवर्ती महत्वपूर्ण कस्बों में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल के तहत इलेक्ट्रिक बसों (ई-बस) के संचालन को मंजूरी प्रदान की है। इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य नगरीय परिवहन को पर्यावरण-अनुकूलव्यवस्थितऔर उपभोक्ता-केंद्रित बनाना हैसाथ ही सरकारी वित्तीय बोझ को कम करते हुए निजी निवेश को प्रोत्साहित करना है।

नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री अमृत अभिजात ने इस निर्णय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहानेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल नागरिकों के आवागमन की सुविधा सुनिश्चित करते हुए निजी ऑपरेटरों को अधिक व्यावसायिक स्वतंत्रता और प्रोत्साहन प्रदान करके परिवहन सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार लाएगा। यह योजना पर्यावरण संरक्षणतकनीकी नवाचारऔर उपभोक्ता संतुष्टि को बढ़ावा देगीजिससे नगरीय परिवहन और अधिक सुलभ और टिकाऊ बनेगा। नगरीय परिवहन निदेशालय इस परियोजना को लागू करेगा। वर्तमान में निदेशालय द्वारा प्रदेश के 15 नगर निगमों में 743 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा हैजिनमें से 700 बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल के तहत संचालित हो रही हैं। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर जनपद लखनऊ तथा जनपद कानपुर नगर एवं उसके समीपवर्ती महत्वपूर्ण कस्बों में ई-बसों को संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

इस पायलट प्रोजेक्ट के तहतजनपद लखनऊ और जनपद कानपुर नगर में 10-10 मार्गों (कुल 20 मार्ग) पर 9 मीटर की वातानुकूलित (एसी) इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा। प्रत्येक मार्ग पर न्यूनतम 10 बसें होंगीजिसका अर्थ है कि दोनों जनपदों में कुल 200 ई-बसें संचालित की जाएंगी। कॉन्ट्रैक्ट की अवधि वाणिज्यिक संचालन तिथि से 12 वर्ष की होगी। साथ ही सरकार द्वारा चयनित मार्गों पर किसी अन्य निजी ऑपरेटर को संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगीजिससे ऑपरेटरों को व्यावसायिक स्थिरता और एकाधिकार प्राप्त होगा। प्रत्येक मार्ग पर 10 ई-बसों के संचालन के लिए अनुमानित लागत लगभग 10.30 करोड़ हैजिसमें से 9.50 करोड़ बसों की खरीद और 0.80 करोड़ चार्जर व अन्य उपकरणों पर खर्च होंगे। वित्तीय की व्यवस्था निजी ऑपरेटर द्वारा व्यवस्था को इक्विटीवाणिज्यिक उधारीया लीजिंग के माध्यम से की जाएगी|

प्रमुख  सचिव अमृत अभिजात ने कहाई-बसों का संचालन न केवल वायु प्रदूषण को कम करेगाबल्कि यात्रियों को आधुनिकआरामदायकऔर समयबद्ध परिवहन सेवाएं प्रदान करेगा। निजी ऑपरेटरों की प्रतिस्पर्धा से नवीनतम तकनीकों का उपयोग और सेवा में निरंतर सुधार होगाजिसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा।निजी ऑपरेटरों को दक्षतासमयबद्धताऔर उपभोक्ता संतुष्टि पर ध्यान देना होगाजिससे परिवहन सेवाएं और अधिक विश्वसनीय बनेंगी। ऑपरेटरों का चयन पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगाजिससे प्रतिस्पर्धा और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी। सरकार द्वारा नियमित निगरानी के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सेवाएं निर्धारित मानकों के अनुरूप हों और यात्रियों को कोई असुविधा न हो। यह पायलट प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश में नगरीय परिवहन के क्षेत्र में एक नया मॉडल स्थापित करेगा। यदि यह परियोजना सफल रहती हैतो इसे प्रदेश के अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है। इससे न केवल परिवहन सेवाएं और सुलभ होंगीबल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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