एस-400 घातक मिसाइलों की बड़ी खेप आएगी
भारत और रूस के बीच हुई रक्षा और तेल डील पर चर्चा
ट्रंप-टैरिफ के जवाब में रूस ने भारत को दी तेल पर छूट
नई दिल्ली/मॉस्को, 03 सितंबर (एजेंसियां)। पाकिस्तान की मिसाइलों को ढेर करने वाली एस-400 मिसाइलों की बड़ी खेप भारत आने वाली है। एस-400 मिसाइल सिस्टम की अतिरिक्त आपूर्ति को लेकर भारत और रूस के बीच बातचीत चल रही है। अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ का बोझ लादे जाने के जवाब में रूस ने भारत को तेल पर छूट देने की घोषणा की है।
रूस की फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने कहा, भारत के पास पहले से ही हमारा एस-400 सिस्टम है और इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावना है। इस पर बातचीत हो रही है। उल्लेखनीय है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल किया था और पाकिस्तान एवं पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह सिस्टम भारत को हवाई हमलों से बचाने के लिहाज से काफी अहम है। भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.5 अरब (लगभग 45,000 करोड़) की डील की थी, जिसके तहत पांच एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम मिलने थे। भारत का कहना है कि यह सिस्टम चीन से खतरे का मुकाबला करने के लिए जरूरी है। इस डील की डिलीवरी में कई बार देरी हुई। अब माना जा रहा है कि अंतिम दो सिस्टम 2026 और 2027 में भारत को मिलेंगे।
हाल ही में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रिय मित्र कहा। इसके जवाब में मोदी ने कहा, भारत और रूस ने मुश्किल समय में भी एक-दूसरे का साथ निभाया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी कहा कि भारत ने अमेरिका के दबाव में आकर रूस से संसाधन (जैसे कि हथियार और तेल) खरीदना बंद नहीं किया, रूस इसकी सराहना करता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच भारत के कुल हथियार आयात में 36 प्रतिशत हिस्सा रूस का था, जबकि फ्रांस से 33 प्रतिशत और इजराइल से 13 प्रतिशत हथियार भारत ने खरीदे।
अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ का बोझ लादे जाने के जवाब में रूस ने भारत को तेल पर छूट देने की घोषणा की है। रूसी कच्चे तेल की कीमत भारत के लिए और घटा दी गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यूराल्स ग्रेड तेल की कीमत अब सितंबर-अक्टूबर की डिलीवरी के लिए 3-4 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर मिल रही है। यह छूट तब दी गई है, जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर टैरिफ दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है।
2022 से भारत, रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने वाला एक बड़ा ग्राहक बन गया है। अमेरिका ने इसे लेकर कई बार नाराजगी जताई और टैरिफ का बोझ लादा। व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि भारत सस्ता रूसी तेल खरीद कर उसे रिफाइन करता है और विदेशों में बेचता है, जिससे पुतिन की युद्ध मशीन को फायदा हो रहा है। भारत ने इस आलोचना का जवाब देते हुए कहा है कि ऐसी खरीद पर कोई अंतरराष्ट्रीय पाबंदी नहीं है, यहां तक कि अमेरिकी रिफाइनरी भी अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल का फायदा उठाते हैं।
उल्लेखनीय है कि अगस्त में थोड़े समय के लिए खरीदारी रुकी थी, लेकिन अब भारत के रिफाइनरी फिर से रूस से तेल खरीदना शुरू कर चुके हैं, क्योंकि यह अमेरिका के तेल के मुकाबले काफी सस्ता है, जो 3 डॉलर (लगभग 264.52 भारतीय रुपए) प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। भारत को मिल रहे तेल का सस्ता किया जाना इस बात की सनद है कि भारत और रूस के बीच रिश्ते मजबूत हैं। इसी का नतीजा है कि भारत को रूस से मिलने वाले कच्चे तेल पर अब और ज्यादा छूट मिलने जा रही है। इसके साथ ही, भारत और रूस के बीच एक बार फिर एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर बातचीत तेज हो गई है।
भारत रूस से पहले से ही रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीद रहा है लेकिन अब यह छूट और बढ़ रही है। रूस का यूराल क्रूड ऑयल अब ब्रेंट क्रूड ऑयल के मुकाबले 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता मिलने वाला है। यह छूट सितंबर के अंत और अक्टूबर के महीने में मिलने की संभावना है। पिछले सप्ताह यह छूट 2.50 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि जुलाई में यह केवल 1 डॉलर प्रति बैरल थी। इस छूट से भारत को बड़ा आर्थिक लाभ हो सकता है। क्योंकि भारत हर महीने लाखों बैरल कच्चा तेल आयात करता है, और प्रति बैरल कुछ डॉलर की बचत भी कुल मिलाकर हजारों करोड़ रुपए की बचत बन सकती है। अगर रूस भारत को और सस्ती दरों पर तेल देगा, तो भारत पर अमेरिका के टैरिफ से जो आर्थिक दबाव पड़ा है, वह कुछ हद तक कम हो सकता है। सितंबर में भारत ने अगस्त के मुकाबले रूस से 10-20 प्रतिशत ज्यादा तेल खरीदा। रिपोर्ट के मुताबिक, यह बढ़ोतरी करीब 1.5 से 3 लाख बैरल की रही। अगर रूस और छूट देता है, तो खरीद और बढ़ सकती है।
जहां तक एस-400 डिफेंस सिस्टम की नई खेप लाने का प्रसंग है, इसे लेकर बातचीत अब निर्णायक स्तर पर पहुंच चुकी है। साल 2018 में दोनों देशों के बीच करीब 5.5 अरब डॉलर की डील हुई थी, जिसमें भारत को 5 एस-400 सिस्टम मिलने थे। इनमें से 3 सिस्टम भारत को पहले ही मिल चुके हैं। बाकी दो सिस्टम भारत को 2026 और 2027 में मिलने की उम्मीद है। रूसी सैन्य सहयोग एजेंसी (फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन) के प्रमुख दिमित्री सुगायेव के अनुसार, दोनों देश इस सिस्टम को लेकर आगे सहयोग बढ़ाने की योजना बना रहे हैं और नई डील की संभावना पर बातचीत चल रही है। ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 सिस्टम ने अहम भूमिका निभाई थी। यह सिस्टम दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को दूर से ही पहचान कर उन्हें मार गिराने में सक्षम है। इसके चलते पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को भारत के खिलाफ कोई दुस्साहस करने की हिम्मत नहीं हुई। यही कारण है कि भारत अब और एस-400 सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है।
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