विश्वविद्यालयों को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय होना चाहिए: राज्यपाल

विश्वविद्यालयों को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय होना चाहिए: राज्यपाल

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने गुरुवार को विश्वविद्यालयों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया|

उन्होंने स्वच्छता बनाए रखने के लिए परिसर में नियमित सफाई अभियान चलाने का भी आह्वान किया| बल्लारी स्थित विजयनगर श्री कृष्णदेवराय विश्वविद्यालय के १३वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए, राज्यपाल, जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं, ने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कथन को उद्धृत करते हुए कहा राष्ट्र का निर्माण शैक्षणिक संस्थानों में होता है| गहलोत ने नवाचार, अनुसंधान, विकास और अंतःविषय सहयोग को बढ़ावा देकर विश्वविद्यालयों को उत्कृष्टता केंद्रों में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया|

२१वीं सदी की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालते हुए, गहलोत ने डिजिटल साक्षरता, नवीन सोच, वैश्विक दृष्टिकोण और सामाजिक उत्तरदायित्व के महत्व पर बल दिया| उन्होंने छात्रों से आजीवन शिक्षार्थी बनने का आग्रह किया और युवाओं से प्रतिभा, उद्यमिता और नवाचार के माध्यम से २०४७ तक भारत को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने में योगदान देने का आह्वान किया| राज्यपाल ने कहा हमारा देश हजारों वर्षों से ज्ञान का केंद्र रहा है, जहाँ वेदों, उपनिषदों, आयुर्वेद, योग, दर्शन और विधि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है|

राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० आधुनिक शिक्षा प्रणाली में इन धाराओं को मान्यता देती है| जैसे-जैसे भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, हमारे युवाओं को इस ज्ञान पर शोध करके इसे वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना चाहिए| उन्होंने चंद्रयान मिशन से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता नवाचारों, यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स और डिजिटल भुगतान प्रणालियों तक भारत की हालिया उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि युवा ही देश की प्रगति की प्रेरक शक्ति हैं| स्वामी विवेकानंद के कथन का हवाला देते हुए, उन्होंने छात्रों से "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए का आग्रह किया और उन्हें ज्ञान को कर्म में परिणत करने के लिए प्रेरित किया|

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दीक्षांत समारोह के दौरान, शिक्षा, साहित्य, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वसुंधरा भूपति, बाविहल्ली नागनगौड़ा और इरफान रजक को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई| इस कार्यक्रम में इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलरेटर सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक अविनाश चंद्र पांडे, विश्वविद्यालय के कुलपति एम. मुनिराजू और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए|

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