आलंद निर्वाचन क्षेत्र में कथित मतदाता धोखाधड़ी का मुद्दा

अब सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करने पर विचार

आलंद निर्वाचन क्षेत्र में कथित मतदाता धोखाधड़ी का मुद्दा

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कांग्रेस विधायक बी. आर. पाटिल, जिन्होंने २०२३ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कलबुर्गी जिले के अपने आलंद निर्वाचन क्षेत्र में कथित मतदाता धोखाधड़ी का सबसे पहले मुद्दा उठाया था, अब सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को राज्य के जांचकर्ताओं द्वारा मांगे गए तकनीकी आंकड़ों को साझा करने का निर्देश देने की मांग की गई है ताकि धोखाधड़ी के दोषियों का पर्दाफाश किया जा सके|

ईसीआई द्वारा आंकड़े साझा न करने के कारण कथित तौर पर कर्नाटक आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा की जा रही जांच रुक गई है| पाटिल ने दोनों नेताओं के गृह जिले कलबुर्गी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की| पाटिल ने बताया कानूनी रास्ता अपनाने से पहले मैं पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और कानूनी विशेषज्ञों के साथ आगे चर्चा करूँगा| उन्होंने आगे कहा कि मामले की तह तक पहुँचने से उम्मीद है कि ‘चुनावों में धांधली‘ करने के व्यवस्थित प्रयास के पीछे के लोग बेनकाब हो जाएँगे| खड़गे ने बाद में एक्स पर पोस्ट किया और पूछा कि चुनाव आयोग, जिसने "पहले जालसाजी का पता लगाने के लिए जरूरी दस्तावेजों का कुछ हिस्सा साझा किया था, अब महत्वपूर्ण जानकारी को क्यों छुपा रहा है‡ और वोट चोरी के पीछे के लोगों को प्रभावी ढंग से बचा रहा है| उन्होंने पूछा क्या चुनाव आयोग अब वोट चोरी के लिए भाजपा का बैक-ऑफिस बन गया है? व्यक्ति के मतदान के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए| भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की जानी चाहिए| कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग पर ‘महत्वपूर्ण दस्तावेजों को रोकने‘ का आरोप लगाया, जिससे बड़े पैमाने पर वोटों में धांधली साबित करने के लिए जरूरी सबूतों को छिपाने में उसकी संलिप्तता साबित होती है| निर्वाचन आयोग द्वारा साक्ष्य छिपाना स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी के विरुद्ध है|

उन्हें पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए| फरवरी २०२३ में, पाटिल ने एक शिकायत दर्ज कराई जिसमें दावा किया गया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के नाम पर जाली प्रपत्र ७ दाखिल किए जा रहे हैं, जिनमें कथित तौर पर अन्य मतदाताओं के नाम हटाने की मांग की जा रही है, जबकि किसी भी मतदाता समूह को इस कार्रवाई की जानकारी नहीं है| जमीनी स्तर पर सत्यापन से पता चला कि निर्वाचन क्षेत्र में दाखिल किए गए ६,०१८ प्रपत्र ७ में से ५,९९४ जाली थे| जाली आवेदनों को खारिज कर दिया गया और एक प्राथमिकी दर्ज की गई| कर्नाटक सीआईडी इस मामले की जाँच कर रही है और उसने निर्वाचन आयोग से उन सत्रों के गंतव्य आईपी और गंतव्य बंदरगाहों के बारे में कई अनुरोध किए हैं जिनके माध्यम से ये जाली आवेदन किए गए थे, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है|

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