गढ़मुक्तेश्वर का कार्तिक मेला: आस्था, अनुशासन और स्वच्छता का संगम बनेगा ‘मिनी कुंभ’: योगी

गढ़मुक्तेश्वर का कार्तिक मेला: आस्था, अनुशासन और स्वच्छता का संगम बनेगा ‘मिनी कुंभ’: योगी

लखनऊ, 26 अक्टूबर (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले वार्षिक कार्तिक पूर्णिमा मेले और अमरोहा के तिगरी मेले की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने हवाई सर्वेक्षण और गढ़ गंगा मेला स्थल का निरीक्षण किया तथा संबंधित अधिकारियों को सख्त दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गढ़मुक्तेश्वर का यह मेला उत्तर प्रदेश की आस्था, अध्यात्म और सांस्कृतिक विरासत का जीवन्त प्रतीक है, और सरकार का लक्ष्य है कि यह आयोजन श्रद्धा, अनुशासन और स्वच्छता के साथ सम्पन्न हो, ताकि हर आगंतुक इस पावन तीर्थ से शान्ति और आशीर्वाद लेकर लौटे।

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मुख्यमंत्री ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष लगभग 40 से 45 लाख श्रद्धालु गंगा तट पर स्नान और दीपदान के लिए पहुँचते हैं, ऐसे में सभी व्यवस्थाएँ समयबद्ध और समन्वित ढंग से पूरी की जाएं। उन्होंने यातायात, सुरक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य, पेयजल और प्रकाश व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। इस वर्ष 30 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक चलने वाले गढ़मुक्तेश्वर मेले को ‘मिनी कुंभ’ के रूप में आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। गंगा घाटों पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की तैनाती, सीसीटीवी व ड्रोन से निगरानी, रेस्क्यू बोट और हेल्पलाइन सेंटर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मेले को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के संदेश से जोड़ा जाए तथा सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। घाटों पर पर्याप्त चेकर्ड प्लेट लगाने, पांटून पुल की व्यवहार्यता का परीक्षण करने और कटान क्षेत्रों में ड्रेजिंग कार्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश भी दिए गए।

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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गहराई वाले जल क्षेत्रों में बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जाए तथा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फ्लड यूनिट सतर्क रहें। श्रद्धालुओं को अनुशासित व्यवहार हेतु प्रेरित करने के लिए काउंसिलिंग सत्र आयोजित किए जाएं। पूरे मेले में सीसीटीवी, पब्लिक एड्रेस सिस्टम और इंटीग्रेटेड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से सतत निगरानी की व्यवस्था रहे। उन्होंने पार्किंग स्थलों पर वाहनों की सुरक्षा, प्रसारण व्यवस्था और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।

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मुख्यमंत्री ने अस्थायी शौचालयों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम लागू करने, घाटों पर भीड़ प्रबंधन, चेंजिंग रूम, स्वच्छ शौचालय, प्लास्टिक प्रतिबंध, कचरा और बोतल संग्रहण की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। विद्युत विभाग को निर्बाध बिजली आपूर्ति और इलेक्ट्रिक सेफ्टी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि मेले में आकर्षक सजावट की जाए और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु होर्डिंग्स लगाई जाएं।

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मुख्यमंत्री ने फायर सेफ्टी सिस्टम, अस्थायी अस्पताल, एंटी स्नेक वैनम और एंटी रेबीज वैक्सीन की पर्याप्त व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जल स्नान के दौरान पुलिस और एनडीआरएफ की पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए और 20 से 25 किलोमीटर के दायरे में यातायात डायवर्जन योजना प्रभावी रूप से लागू की जाए, ताकि जाम की स्थिति न उत्पन्न हो।

योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि श्रद्धालुओं से कोई अतिरिक्त शुल्क न वसूला जाए और ड्यूटी पर तैनात स्वयंसेवकों के खान-पान की उचित व्यवस्था की जाए। सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि गढ़मुक्तेश्वर का यह ऐतिहासिक मेला केवल आस्था का केन्द्र नहीं, बल्कि व्यवस्था, स्वच्छता और अनुशासन का आदर्श उदाहरण बनना चाहिए। पशुओं के चारे और पेयजल की व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान देने को कहा गया।

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने मेला क्षेत्र में गंगा पूजन किया और गढ़ मेला क्षेत्र में स्थापित सदर बाजार का निरीक्षण किया। उन्होंने मोढ़े के स्टोर का अवलोकन किया और वहां बनाए जा रहे मोढ़ों की गुणवत्ता की प्रशंसा की।

गढ़मुक्तेश्वर का धार्मिक और पौराणिक महत्व अत्यंत प्राचीन है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर, अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहीं गंगा में स्नान किया था। यही वह स्थान है जहाँ भगवान परशुराम ने मुक्तेश्वर महादेव की स्थापना की थी। स्कंद पुराण और महाभारत में गढ़मुक्तेश्वर का उल्लेख एक ऐसे तीर्थ के रूप में मिलता है जहाँ गंगा स्नान और तर्पण से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहाँ का कार्तिक पूर्णिमा मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तर भारत की सांस्कृतिक परंपरा और लोक जीवन की जीवंत धारा का उत्सव भी है, जहाँ हर दीप जलने के साथ भक्ति और श्रद्धा का आलोक फैलता है।

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