भाषा विवाद छोड़ें संस्कृत अपनाएं
मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने दिया संकेत
पीएम ने देशवासियों को महापर्व छठ की शुभकामनाएं दीं
वंदेमातरम् राष्ट्रगीत भारतीयों की प्रेरणा का शक्ति-स्रोत है
कोमरम भीम ने हैदराबाद के निजाम की चूलें हिला दी थीं
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत भाषा की विशालता और महानता को रेखांकित कर गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी भाषा को लेकर किए जा रहे सियासी विवाद पर मनों पानी उड़ेल दिया। संस्कृत ही ऐसी भाषा है, जिस पर न किसी तमिल, तेलुगु या मलयालम भाषी राज्य को ऐतराज होगा और न बांग्ला भाषी क्षेत्रों को। पीएम मोदी ने मन की बात के 127वें एपिसोड में संस्कृत भाषा, भारतीय संस्कृति, विभूतियों को याद किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने वंदेमातरम गीत के 150 साल पूरे होने और रवीन्द्रनाथ टैगोर को याद किया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर हैशटैग वंदेमातरम-150 के हिट होने की भी जानकारी दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, संस्कृत का नाम सुनते ही हमारे मन में हमारे धार्मिक ग्रंथ, वेद, उपनिषद, पुराण, शा
प्रधानमंत्री ने कहा, कमला और जान्हवी बहनों का काम भी शानदार है। ये दोनों बहनें अध्यात्म, दर्शन और संगीत पर कंटेट बनाती हैं। इंस्टाग्राम पर एक और युवा का चैनल है संस्कृत छात्रोहम्। इस चैनल को चलाने वाले युवा-साथी संस्कृत से जुड़ी जानकारियां तो देते ही हैं, वो संस्कृत में हास-परिहास के वीडियो भी बनाते हैं। युवा संस्कृत में ये वीडियो भी खूब पसंद करते हैं। आप में से कई साथियो ने समष्टि के वीडियो भी देखे होंगे। समष्टि संस्कृत में अपने गानों को अलग-अलग तरह से प्रस्तुत करती है। एक और युवा हैं भावेश भीमनाथनी। भावेश संस्कृत श्लोकों, आध्यात्मिक दर्शन और सिद्धांतों के बारे में बात करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, भाषा किसी भी सभ्यता के मूल्यों और परंपराओं की वाहक होती है। संस्कृत ने यह कर्तव्य हजारों वर्षों तक निभाया है। यह देखना सुखद है कि अब संस्कृत के लिए भी कुछ युवा अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
भारतीय संस्कृति की चर्चा करते हुए उन्होंने बिहार के महापर्व छठ की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है। ये दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा, पूरे देश में इस समय त्यौहारों का उल्लास है। हम सबने कुछ दिन पहले दीपावली मनाई है और अभी बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा में व्यस्त हैं। घरों में ठेकुआ बनाया जा रहा है। जगह-जगह घाट सज रहे हैं। बाजारों में रौनक है। हर तरफ श्रद्धा, अपनापन और परंपरा का संगम दिख रहा है। छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं जिस समर्पण और निष्ठा से इस पर्व की तैयारी करती हैं वह अपने आप में बहुत प्रेरणादायक है। छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतिबिंब है। छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है। ये दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है। आप देश और दुनिया के किसी भी कोने में हों, यदि मौका मिले तो छठ उत्सव में जरूर हिस्सा लें। एक अनोखे अनुभव को खुद महसूस करें। मैं छठी मैया को नमन करता हूं। सभी देशवासियों को, विशेषकर बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोगों को छठ महापर्व की शुभकामनाएं देता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में ऐसे विषय पर चर्चा की, जिसे उन्होंने भारतवासियों के दिल के बेहद करीब बताया। पीएम मोदी ने कहा, यह विषय है हमारे राष्ट्र गीत का। भारत का राष्ट्र गीत यानि वंदेमातरम्। एक ऐसा गीत, जिसका पहला शब्द ही हमारे हृदय में भावनाओं का उफान ला देता है। वंदेमातरम्... इस एक शब्द में कितने ही भाव हैं, कितनी ऊर्जाएं हैं। सहज भाव में ये हमें मां-भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है। यही हमें मां-भारती की संतानों के रूप में अपने दायित्वों का बोध कराता है। अगर कठिनाई का समय होता है तो वंदेमातरम् का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, राष्ट्रभक्ति, मां-भारती से प्रेम, यह अगर शब्दों से परे की भावना है तो वंदेमातरम् उस अमूर्त भावना को साकार स्वर देने वाला गीत है। इसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने सदियों की गुलामी से शिथिल हो चुके भारत में नए प्राण फूंकने के लिए की थी। वंदेमातरम् भले ही 19वीं शताब्दी में लिखा गया था लेकिन इसकी भावना भारत की हजारों वर्ष पुरानी अमर चेतना से जुड़ी थी। वेदों ने जिस भाव को माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: कहकर भारतीय सभ्यता की नींव रखी थी। बंकिमचंद्र जी ने वंदेमातरम् लिखकर मातृभूमि और उसकी संतानों के उसी रिश्ते को भाव विश्व में एक मंत्र के रूप में बांध दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, आप सोच रहे होंगे कि मैं अचानक वंदेमातरम् की इतनी बात क्यों कर रहा हूं। दरअसल, कुछ ही दिनों बाद 7 नवंबर को हम वंदेमातरम के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं। 150 वर्ष पूर्व वंदेमातरम् की रचना हुई थी और 1896 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे गाया था। वंदेमातरम् के गान में करोड़ों देशवासियों ने हमेशा राष्ट्र प्रेम के अपार उफान को महसूस किया है। हमारी पीढ़ियों ने वंदेमातरम् के शब्दों में भारत के एक जीवंत और भव्य स्वरूप के दर्शन किए हैं। सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्, शस्यश्यामलाम्, मातरम्
प्रधानमंत्री ने कहा, हमें ऐसा ही भारत बनाना है। वंदेमातरम् हमारे इन प्रयासों में हमेशा हमारी प्रेरणा बनेगा। इसलिए, हमें वंदेमातरम् के 150वें वर्ष को भी यादगार बनाना है। आने वाली पीढ़ी के लिए ये संस्कार सरिता को हमें आगे बढ़ाना है। आने वाले समय में वंदेमातरम् से जुड़े कई कार्यक्रम होंगे, देश में कई आयोजन होंगे। मैं चाहूंगा, हम सब देशवासी वंदेमातरम् के गौरवगान के लिए स्वत: स्फूर्त भावना से भी प्रयास करें|
पीएम मोदी ने हैदराबाद के निजाम और जनजातीय नेता कोमरम भीम के बारे में भी बातें की। उन्होंने कहा कि निजाम के अत्याचार से तंग आकर असम पहुंचे जनजाति समुदाय के कोमरम भीम ने समाज को नई दिशा दी। कोमरम भीम का जीवन काल 40 साल तक ही रहा। लेकिन जनजातीय समाज के लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी और अमिट छाप छोड़ी। निजाम की सत्ता के खिलाफ बड़ी चुनौती बने। 1940 में निजाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आप कल्पना करिए, 20वीं सदी का शुरुआती कालखंड! तब दूर-दूर तक आजादी की कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। पूरे भारत में अंग्रेजों ने शोषण की सारी सीमाएं लांघ दी थी और उस दौर में हैदराबाद के देशभक्त लोगों के लिए दमन का दौर और भी भयावह था। वे क्रूर और निर्दयी निजाम के अत्याचारों को भी झेलने को मजबूर थे। गरीबों, वंचितों और आदिवासी समुदायों पर तो अत्याचार की कोई सीमा ही नहीं थी। उनकी जमीनें छीन ली जाती थीं, साथ ही भारी टैक्स भी लगाया जाता था। अगर वे इस अन्याय का विरोध करते, तो उनके हाथ तक काट दिए जाते थे। ऐसे कठिन समय में करीब बीस साल का एक नौजवान इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ था। आज एक खास वजह से मैं उस नौजवान की चर्चा कर रहा हूं। उसका नाम बताने से पहले मैं उसकी वीरता की बात आपको बताऊंगा। उस दौर में जब निजाम के खिलाफ एक शब्द बोलना भी गुनाह था। उस नौजवान ने सिद्दीकी नाम के निजाम के एक अधिकारी को खुली चुनौती दे दी थी। निजाम ने सिद्दीकी को किसानों की फसलें जब्त करने के लिए भेजा था। लेकिन अत्याचार के खिलाफ इस संघर्ष में उस नौजवान ने सिद्दीकी को मौत के घाट उतार दिया। वह गिरफ़्तारी से बच निकलने में भी कामयाब रहा। निजाम की अत्याचारी पुलिस से बचते हुए वो नौजवान वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर असम जा पहुंचा।
पीएम मोदी ने कहा, मैं जिस महान विभूति की चर्चा कर रहा हूं उनका नाम है कोमरम भीम। अभी 22 अक्टूबर को ही उनकी जन्म-जयंती मनाई गई है। कोमरम भीम की आयु बहुत लंबी नहीं रही, वो महज 40 वर्ष ही जीवित रहे लेकिन अपने जीवन-काल में उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने निजाम के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों में नई ताकत भरी। वे अपने रणनीतिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे। निजाम की सत्ता के लिए वे बहुत बड़ी चुनौती बन गए थे। 1940 में निजाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक से अधिक जानने का प्रयास करें।
प्रधानमंत्री ने कहा, अगले महीने की 15 तारीख को हम जनजातीय गौरव दिवस मनाएंगे। यह भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती का सुअवसर है। मैं भगवान बिरसा मुंडा जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। देश की आजादी के लिए, आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए, उन्होंने जो काम किया वो अतुलनीय है। मेरे लिए ये सौभाग्य की बात है कि मुझे झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा जी के गांव उलिहातु जाने का अवसर मिला था। मैंने वहां की माटी को माथे पर लगाकर प्रणाम किया था। भगवान बिरसा मुंडा जी और कोमारम भीम जी की तरह ही हमारे आदिवासी समुदायों में कई और विभूतियां हुई हैं। मेरा आग्रह है कि आप उनके बारे में अवश्य पढ़ें।
सरदार पटेल को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी 150वीं जयंती पूरे देश के लिए एक बहुत ही विशेष अवसर है। सरदार पटेल आधुनिक समय में राष्ट्र के महानतम दिग्गजों में से एक रहे हैं। गाँधीजी से प्रेरित होकर, उन्होंने स्वयं को पूर्णतः स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया। खेड़ा सत्याग्रह से लेकर बोरसद सत्याग्रह तक, अनेक आंदोलनों में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। उन्होंने लोगों से बढ़-चढ़कर रन फॉर यूनिटी में हिस्सा लेने की अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषा के साथ-साथ दक्षिण भारतीय कॉफी को भी भारतीय संस्कृति से जोड़ा। उन्होंने कहा, ओड़ीशा के कई लोगों ने कोरापुट कॉफी के बारे में अपनी भावनाएं मेरे साथ साझा कीं। मुझे बताया गया है कि कोरापुट कॉफी का स्वाद लाजवाब है और सिर्फ इतना ही नहीं, स्वाद के अलावा कॉफी की खेती से भी लोगों को फायदा हो रहा है। भारतीय कॉफी पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय हो रही है। इसलिए कॉफ़ी प्रेमी कहते हैं, भारत की कॉफी अपनी सर्वोत्तम कॉफ़ी है। यह भारत में ही बनती है और दुनिया भर में पसंद की जाती है।
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