अवैध मस्जिदों के खिलाफ सड़कों पर उतरे युवा

घुसपैठ और धर्मांतरण के खिलाफ सुलग रहा अरुणाचल

 अवैध मस्जिदों के खिलाफ सड़कों पर उतरे युवा

 2000 मुस्लिम घुसपैठिए रोजाना कर रहे प्रवेश

इटानगर, 26 अक्टूबर (एजेंसियां)। अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ और धर्मांतरण को लेकर व्यापक विरोध सड़कों पर उतर आया है। चीन की सीमा से लगे अरुणाचल में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की घुसपैठ बेकाबू होती जा रही है। यह देश की सुरक्षा के लिए भारी खतरा बनने वाला है। अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइजेशन के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। इनके हाथों में बांग्लादेशी घुसपैठिए वापस जाओ और अरुणाचल प्रदेश को बचाओ जैसे नारे लिखे पोस्टर थे।

दरअसलचीन और म्यांमार से सटा अरुणाचल प्रदेशईसाई धर्मांतरण और इस्लामी कट्टरपंथियों की घुसपैठ की दोहरी मार झेल रहा है। सड़कों पर उतरे युवा भी इन्हीं इस्लामी कट्टरपंथियों की घुसपैठ से परेशान हैं। इन युवाओं की मांग है कि राजधानी ईटानगर और नाहरलागुन (जिन्हें अरुणाचल प्रदेश की जुड़वां राजधानियां कहा जाता है) में मुस्लिमों ने जमीन पर कब्जा कर अनगिनत मस्जिदें और अन्य इस्लामी धार्मिक स्थल बना लिए हैं जिन्हें तत्काल हटाया जाना चाहिए। युवाओं का विरोध प्रदर्शन आकाशदीप से शुरू होकर आईजी पार्क के पास टेनिस कोर्ट तक पहुंचा जहां सैकड़ों युवाओं ने धरना दिया। इस प्रदर्शन में अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइजेशन के साथ ऑल कैपिटल कॉम्प्लेक्स यूथ वेलफेयर एसोसिएशन और ऑल नाहरलागुन यूथ वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य भी शामिल थे।

अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष तारो सोनम लियाक का कहना है कि मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या डेमोग्राफी में बदलाव का मामला तो है ही। इसके अलावा राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा पर भी इससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में हर दिन अन्य राज्यों या देशों से एक हजार से दो हजार मुस्लिम व्यक्ति इनर लाइन परमिट (आईएलपीदिखाकर प्रवेश कर रहे हैं। ये लोग आईएलपी दिखाकर घुस जाते हैं लेकिन फिर भीड़ में गायब हो जाते हैं और वापस अपने मूल स्थान पर नहीं लौटते हैं। लियाक का कहना है कि मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या डेमोग्राफी में बदलाव का मामला तो है ही। इसके अलावा राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा पर भी इससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

लियाक ने आरोप लगाया कि बाहरी लोगों के बढ़ते ठिकानों के कारण ड्रग्स और नशे की समस्या भी तेजी से बढ़ रही हैजिससे स्थानीय युवाओं पर गहरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कहाअगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाएतो अरुणाचल की सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ जाएगी।

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अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइजेशन (एपीआईवाईओ) ने इन घटनाओं को लेकर अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए मांग की गई है कि जुड़वां राजधानी परिसर के भीतर जामा मस्जिद/मदरसों के अवैध निर्माण को तत्काल रद्द किया जाए और जुड़वां राजधानी शहर ईटानगर और नाहरलागुन में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को तत्काल हटाया जाए। अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइजेशन ने पत्र में लिखा हैजुड़वां राजधानी शहर में 13730 से अधिक मुस्लिम आबादी रह रही है लेकिन इसमें से अधिकतर मुस्लिम आबादी बांग्लादेशी या रोहिंग्या हैजो राज्य के हमारे मूल निवासियों के लिए एक बड़ा खतरा है।

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ऑर्गेनाइजेशन ने लिखाराज्य सरकार की जानकारी के बिना जुड़वां राजधानी परिसर के भीतर 10 से अधिक अवैध जामा मस्जिदें चल रही हैंजो मूल निवासियों के लिए बहुत असुरक्षित है। इसलिएजुड़वां राजधानी शहर के भीतर से अवैध मस्जिदों को हटाया जाना जरूरी है। इसके अलावा संगठन ने राजधानी परिसर और उसके नजदीक दोईमुखहोलोंगी आदि जगहों पर साप्ताहिक बाजार पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। पत्र में लिखा गया हैराजधानी परिसर और उसके पड़ोसी क्षेत्रों जैसे दोईमुख और होलोंगी आदि में हर दिन साप्ताहिक बाजार लगता हैजहां बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी व्यापारिक उद्देश्य से बाहर से हमारे राज्य में आते हैं और राजधानी परिसर में किराए के कमरों में रहते हैंजो हमारे स्थानीय स्वदेशी व्यापारिक समुदाय के लिए एक खतरा है। साथ हीसंगठन की चिंता है कि राज्य में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी प्रवेश कर रहे हैं और अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो अपराध दर बढ़ने की बहुत संभावना है।

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प्रशासन ने प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे और पूरा विरोध शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं कीतो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर तेज किया जाएगा। प्रशासन ने कार्रवाई का भरोसा दिया है और मस्जिदों की जांच की है लेकिन संगठन के लोग इस जांच से संतुष्ट नहीं हैं। लियाक का कहना है कि वह चाहते हैं कि सरकार 15 दिनों के भीतर-भीतर इस पर सही तरीके से कार्रवाई करे वरना वह इस विरोध को राज्य स्तर तक लेकर जाएंगे। गौरतलब है कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण अरुणाचल प्रदेश में बाहरी राज्यों के लोगों को प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपीलेना अनिवार्य है। एपीआईवाईओ जैसे स्थानीय संगठनों का आरोप है कि इस व्यवस्था का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर अवैध बसावट की जा रही है।

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