चुनाव हारने के बाद भ्रम फैला रही कांग्रेस, बिहार ने SIR पर लगाई मुहर: जेपी नड्डा
नई दिल्ली, 16 दिसम्बर,(एजेंसियां)। केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को संसद के उच्च सदन में चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि चुनावों में हार के बाद कांग्रेस जनता के बीच गलत धारणाएं और भ्रम फैलाने का काम कर रही है। नड्डा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार की जनता ने मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) पर अपनी मुहर लगा दी है और विपक्ष अब हार की हताशा में चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा है।
जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी दल यह प्रचार करने की कोशिश कर रहे हैं कि चुनावों में हार की वजह चुनाव आयोग की कथित गड़बड़ियां हैं, जबकि सच्चाई यह है कि उनकी नीतियां और नेतृत्व जनता के भरोसे पर खरे नहीं उतर पाए। उन्होंने कहा, “चुनाव परिणाम जो आए हैं, उनसे आपको (कांग्रेस को) अवश्य ही परेशानी होगी। लेकिन आप असली बीमारी को पहचानने के बजाय कहीं और दवा लगा रहे हैं।”
SIR पर विपक्ष का दोहरा रवैया
नड्डा ने सदन को बताया कि विपक्ष खुद भी मतदाता सूचियों में घुसपैठियों के मुद्दे को उठाता है, लेकिन जब मतदाता सूची की सफाई के लिए विशेष गहन संशोधन (SIR) की बात आती है तो उसका विरोध करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसे लोगों को मतदाता सूची में बने रहने देना चाहिए, जिनका वहां होना लोकतंत्र की शुद्धता के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, “सूचियों की निष्पक्ष और पूरी तरह से सफाई होनी चाहिए। यही लोकतंत्र की बुनियाद है।”
बिहार ने दिखाया रास्ता
जेपी नड्डा ने कहा कि हाल के चुनाव परिणाम यह साबित करते हैं कि बिहार की जनता ने SIR जैसी प्रक्रियाओं को स्वीकार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की निराशा साफ झलक रही है और इसी हताशा में वह चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है। नड्डा ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक प्रवृत्ति बताया।
चुनाव आयोग पर हमले पर सख्त टिप्पणी
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए नड्डा ने कहा कि दशकों तक चुनाव आयोग के कामकाज की निगरानी एक ही पार्टी और एक ही परिवार के हाथों में रही, लेकिन तब आयोग की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठाए गए। उन्होंने कहा कि आज जब परिणाम विपक्ष के पक्ष में नहीं आते, तो चुनाव आयोग को निशाने पर लिया जा रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है।
SIR कोई नई प्रक्रिया नहीं
जेपी नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि SIR कोई नई या अनोखी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह 1952 से भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा रही है। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि देश में जब-जब चुनाव हुए, तब मतदाता सूचियों के संशोधन की प्रक्रिया अपनाई गई।
उन्होंने कहा कि 1952, 1957 और 1961 में जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब भी ऐसी प्रक्रियाएं अपनाई गईं। इसी तरह 1965 में लाल बहादुर शास्त्री, 1983 में इंदिरा गांधी, 1987 और 1989 में राजीव गांधी, 1992 में पी.वी. नरसिम्हा राव, 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी और 2004 में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी चुनावी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चलीं।
कांग्रेस पर सीधा आरोप
नड्डा ने कहा कि कांग्रेस आज सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के लिए यह कहानी गढ़ रही है कि चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की बयानबाज़ी से कांग्रेस अपने दल के हित के लिए देश के लोकतांत्रिक संस्थानों की साख से समझौता कर रही है।
उन्होंने कहा, “अगर आप अपनी हार के कारणों का ईमानदारी से विश्लेषण करेंगे, तो आपको असली समस्या दिखेगी। लेकिन भ्रम फैलाकर सच्चाई से भागा नहीं जा सकता।”
जेपी नड्डा के इस बयान को भाजपा की उस रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत वह चुनाव आयोग और SIR जैसी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता पर विपक्ष के आरोपों का कड़ा जवाब दे रही है।

