मोदी–नेतन्याहू का क्या है बड़ा प्लान? पहलगाम जैसे हमले के बाद इज़रायल पहुंचे जयशंकर
रणनीतिक साझेदारी पर होगी अहम चर्चा
तेल अवीव, 16 दिसम्बर,(एजेंसियां)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम जैसे आतंकी हमलों और वैश्विक स्तर पर यहूदियों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं के बीच भारत–इज़रायल रिश्तों को नई मजबूती देने की दिशा में बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया गया है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर मंगलवार को इज़रायल पहुंचे, जहां वह देश के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सुरक्षा हालात समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इस दौरे को भारत और इज़रायल के बीच रणनीतिक सहयोग को अगले स्तर पर ले जाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, जयशंकर अपनी यात्रा के दौरान इज़रायली राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और विदेश मंत्री गिदोन सार से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों में सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक साझेदारी और वैश्विक भू-राजनीतिक हालात पर गहन विचार-विमर्श होगा। खासतौर पर हाल के महीनों में यहूदियों और इज़रायल से जुड़े ठिकानों पर हुए हमलों के बाद सुरक्षा सहयोग एक अहम एजेंडा माना जा रहा है।
डिफेंस से आगे बढ़कर व्यापक साझेदारी की कोशिश
भारत और इज़रायल के रिश्ते लंबे समय से डिफेंस और वेपन्स सिस्टम तक सीमित माने जाते रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सोच इससे कहीं आगे की है। दोनों नेताओं की यह स्पष्ट कोशिश रही है कि आपसी संबंधों को केवल सैन्य सहयोग तक सीमित न रखकर टेक्नोलॉजी, इनोवेशन, कृषि, साइबर सुरक्षा, स्टार्टअप, हेल्थ और ट्रेड जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि जयशंकर की यह यात्रा इसी व्यापक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की कड़ी है, ताकि भारत–इज़रायल के बीच “ट्रस्टेड पार्टनरशिप” को और गहराई दी जा सके।
अबू धाबी से तेल अवीव तक कूटनीतिक सक्रियता
इज़रायल पहुंचने से पहले जयशंकर अबू धाबी में थे, जहां उन्होंने प्रतिष्ठित सर बानी यस फोरम में हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने 16वीं भारत–यूएई संयुक्त आयोग बैठक और भारत–यूएई रणनीतिक वार्ता के पांचवें दौर में भी भाग लिया। इससे साफ है कि भारत पश्चिम एशिया में अपने प्रमुख साझेदार देशों के साथ एक संतुलित और सक्रिय कूटनीति अपना रहा है।
नेतन्याहू की संभावित भारत यात्रा
जयशंकर के इस दौरे को प्रधानमंत्री नेतन्याहू की बहुप्रतीक्षित भारत यात्रा की पृष्ठभूमि के रूप में भी देखा जा रहा है। बीते एक साल में इज़रायल के कई वरिष्ठ मंत्री भारत का दौरा कर चुके हैं।
इस वर्ष की शुरुआत में इज़रायल के पर्यटन मंत्री हैम काट्ज़, अर्थव्यवस्था और उद्योग मंत्री नीर बरकत, कृषि और खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिक्टर और वित्त मंत्री बेज़लेल स्मोट्रिच भारत आए थे। इन यात्राओं का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करना रहा।
FTA और निवेश समझौतों पर तेज़ी
भारत और इज़रायल के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर भी तेज़ी से काम हो रहा है। सितंबर में वित्त मंत्री स्मोट्रिच की नई दिल्ली यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद पिछले महीने भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की इज़रायल यात्रा के दौरान प्रस्तावित FTA के लिए संदर्भ की शर्तों (ToR) पर सहमति बनी। यह संकेत देता है कि आने वाले समय में भारत–इज़रायल आर्थिक रिश्तों में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है।
सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ साझा सोच
पहलगाम जैसे आतंकी हमलों और वैश्विक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता के बीच भारत और इज़रायल आतंकवाद के खिलाफ एक जैसी सोच रखते हैं। दोनों देश लंबे समय से आतंकवाद के शिकार रहे हैं और खुफिया जानकारी साझा करने, तकनीकी सहयोग और काउंटर-टेररिज़्म रणनीतियों पर मिलकर काम करते रहे हैं। जयशंकर की यह यात्रा इसी साझा रणनीति को और मजबूत करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
कुल मिलाकर, जयशंकर का इज़रायल दौरा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि मोदी–नेतन्याहू के बड़े प्लान का हिस्सा है, जिसके तहत भारत और इज़रायल आने वाले वर्षों में बहुआयामी और गहरे साझेदार के रूप में उभर सकते हैं।

