पहलगाम हमले पर जवाबदेही तय करे पाकिस्तान
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई पाकिस्तान की फजीहत
सदस्यों के सवालों का कोई जवाब नहीं दे सका पाकिस्तान
न्यूयॉर्क, 06 मई (एजेंसियां)। भारत के खिलाफ पाकिस्तान का हर पैंतरा उल्टा उसी पर भारी पड़ रहा है। ताजा मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक का है, जहां पाकिस्तान मदद मांगने गया था, लेकिन सुरक्षा परिषद ने उल्टे पाकिस्तान को ही लताड़ दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पाकिस्तान से ही मुश्किल सवाल पूछे और पहलगाम आतंकी हमले पर जवाबदेही तय करने को कहा। इस तरह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी।
सोमवार को बंद दरवाजे के पीछे हुई यूएनएससी की बैठक में पाकिस्तान ने सोचा था कि वह अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाकर भारत पर दबाव बना लेगा, लेकिन यूएनएससी में पाकिस्तान उल्टा फंस गया और सदस्यों ने उसे जमकर खरी खोटी सुनाई। यूएनएससी की बैठक में सदस्यों ने पाकिस्तान से पूछा कि क्या पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर ए तैयबा का हाथ है या नहीं? पाकिस्तान यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि भारत पहलगाम आतंकी हमले की आड़ में उस पर हमला करना चाहता है। सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान के इस बनावटी तर्क को खारिज कर दिया और उल्टे पहलगाम हमले में लश्कर ए तैयबा की भूमिका पर ताबड़तोड़ कई सवाल पूछ लिए। संयुक्त राष्ट्र परिषद की बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और इसकी जवाबदेही तय करने की भी मांग की गई। कुछ सदस्यों ने खासकर इस बात पर सवाल उठाए कि पहलगाम में पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर निशाना बनाया गया। इसकी भी सदस्यों ने कड़ी निंदा की।
पाकिस्तान द्वारा हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया गया है। सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने इस पर भी गहरी नाराजगी जताई और इसे पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाई बताया। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को सुरक्षा परिषद में उठाकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाए और भारत पर दबाव बनाया जाए कि वह सैन्य कार्रवाई न करे, लेकिन उसकी यह कोशिश धरी की धरी रह गई और सुरक्षा परिषद ने ही पाकिस्तान को सलाह दी कि वे भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय तरीके से मुद्दे को सुलझाए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गैर स्थायी सदस्य है। भारत फिलहाल सुरक्षा परिषद का हिस्सा नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान ने सोचा था कि वह भारत की गैरमौजूदगी में सुरक्षा परिषद में अपना एजेंडा चलाने में वह सफल रहेगा क्योंकि उसके आरोपों पर जवाब देने के लिए भारत यूएनएससी का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह भारत की बढ़ती कूटनीतिक अहमियत का उदाहरण है कि भारत की गैरमौजूदगी में भी पाकिस्तान का एजेंडा नहीं चला और बाकी सदस्य देशों ने पाकिस्तान को ही घेर लिया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान की कोशिश पूरी तरह नाकाम रही, क्योंकि उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोई समर्थन नहीं मिला। वह सिर्फ दिखावा करता है और दुनिया उसकी बातों को गंभीरता से नहीं लेती है और न ही उसके परमाणु हथियार और सिंधु जल समझौते के निलंबन पर हमले की धमकी का भारत पर कोई असर होता है।
अकबरुद्दीन ने कहा, बहुपक्षीय संगठनों का इस्तेमाल करके दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का पाकिस्तान का प्रयास नया नहीं है। हमने इसे कई बार देखा है। इस बार उसने 60 वर्षों में पहली बार एक ऐसे एजेंडा पेश करने की कोशिश की, जिस पर पहले कभी चर्चा नहीं हुई थी। वह है भारत-पाकिस्तान सवाल। भारत-पाकिस्तान सवाल पर आखिरी बार औपचारिक चर्चा 1965 में हुई थी। पाकिस्तान ने सोचा कि इसके जरिए वह भारत-पाकिस्तान के मुद्दे को फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाकर चर्चा का विषय बना सकता है। लेकिन यह केवल एक दिखावा था। पूर्व राजनयिक ने कहा, पाकिस्तान सार्वजनिक कूटनीति पर ज्यादा फोकस करता है। असल में वह इन मंचों का उपयोग अपने देश की छवि को सुधारने के लिए के लिए करता है, न कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर वार्ता के लिए। इसलिए उसका प्रयास विफल हो गया। दिखावा काम नहीं आया। सुरक्षा परिषद ने उसके मामले को स्वीकार ही नहीं किया। उन्होंने कहा, यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, जो महीनों से 15 देशों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर काम कर रहा था। फिर पता चला कि जो वह चाहता है, उसे स्वीकार नहीं किया जा रहा है।