राहुल गांधी कहां के नागरिक? 10 दिन में बताए मोदी सरकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर जताई नाराजगी
राहुल गांधी की नागरिकता पर पर्दा डाल रही है मोदी सरकार
प्रयागराज, 06 मई (एजेंसियां)। राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर पूछे जा रहे सवालों पर सधी केंद्र सरकार की चुप्पी पर हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार पर है। भारत सरकार अगर इस बारे में शीघ्र जवाब नहीं देती है तो इसे कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में जल्द से जल्द अंतिम निर्णय ले और याचिकाकर्ता को राहुल गांधी की नागरिकता के बारे में सूचित करे। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह दो सरकारों के बीच जुड़ा विषय है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर केंद्र सरकार की तरफ से कोई अंतिम निर्णय लिया जाता है तो याचिकाकर्ता फिर से हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि अब पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार पर है। भारत सरकार अगर इसमें फैसला नहीं लेती है तो इसे कोर्ट की अवमानना का मामला माना जाएगा। हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दाखिल याचिका फिलहाल निस्तारित कर दी है, लेकिन याचिकाकर्ता के लिए दोबारा हाईकोर्ट आने का रास्ता साफ रखा है।
याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए थे और इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया था कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के पास यूनाइटेड किंगडम (यूके) की नागरिकता है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जो दर्शाते हैं कि गांधी ब्रिटिश नागरिकता रखते हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया था कि गांधी की दोहरी नागरिकता के बारे में उन्होंने दो बार सक्षम प्राधिकारी को शिकायत भेजी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर यह मौजूदा याचिका दाखिल की गई है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक साथ भारतीय और किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं रख सकता। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर ऐसी ही याचिका दाखिल की थी। हालांकि, न्यायालय ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ के समक्ष दायर याचिकाओं पर स्पष्टता मिलने के बाद वह मामले की सुनवाई करेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश एआर मसूदी और राजीव सिंह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस मामले में अंतिम फैसला ले और याचिकाकर्ता को सूचित करे। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर केंद्र सरकार फैसला नहीं लेती, तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द की जाए और सीबीआई इसकी जांच करे। उन्होंने कहा कि दोहरी नागरिकता भारतीय संविधान, भारतीय न्याय संहिता और पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने दो बार गृह मंत्रालय को शिकायत भेजी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि भारत का संविधान किसी व्यक्ति को एक ही समय में भारतीय नागरिकता और विदेशी नागरिकता दोनों रखने से रोकता है। संसद में विदेश मंत्रालय से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा गया था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 तथा नागरिकता अधिनियम, 1955 के सेक्शन 9 के प्रावधानों के मुताबिक भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। वहीं अगर कोई व्यक्ति विदेशी नागरिकता हासिल कर लेता है, तो उसका भारतीय पासपोर्ट रखना या उसका इस्तेमाल करना भारतीय पासपोर्ट अधिनियम 1967 के तहत अपराध माना जाता है। एक बार जब कोई भारतीय विदेशी नागरिकता हासिल कर लेता है, तो उसे अपना भारतीय पासपोर्ट कैंसल कराने के लिए संबंधित भारतीय दूतावास को पासपोर्ट सौंपना होगा। यानि उस देश में स्थित भारतीय दूतावास में सौंपना होगा, जहां की नागरिकता वह हासिल करता है। इसके बाद भारतीय दूतावास इसे कैंसल कर देगा और कैंसिल पासपोर्ट सरेंडर सर्टिफिकेट के साथ वापस कर देगा।
उत्तरी अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की तरफ से दोहरी नागरिकता की लगातार मांग को देखते हुए भारत सरकार ने अगस्त 2005 में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करके ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) स्कीम की शुरुआत की थी। लेकिन ओसीआई कार्ड हासिल करने वाला व्यक्ति भारत के राजनीतिक अधिकारों का फायदा नहीं उठा सकता। न वोट दे सकता है और चुनाव में प्रत्याशी बन सकता है। इस स्कीम के मुताबिक वह लोग ओसीआई स्कीम का फायदा उठा सकते हैं, जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक थे या 26 जनवरी 1950 को भारत के नागरिक बनने के पात्र थे। इस स्कीम का फायदा वे लोग नहीं ले सकते जो पाकिस्तान, बांग्लादेश या ऐसे देश के नागरिक हैं या रहे हैं। ओसीआई को दोहरी नागरिकता के रूप में कतई नहीं समझना चाहिए, क्योंकि ओसीआई धारकों को भारत राजनीतिक अधिकार नहीं देता है। साथ ही ऐसे नागरिक सरकारी नौकरी के मामले में अवसर की समानता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत भारत के नागरिकों को दिए गए अधिकारों के हकदार भी नहीं होते हैं।