सोच-समझकर किसी देश से व्यापार या पर्यटन करें

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने देशवासियों से की अपील

 सोच-समझकर किसी देश से व्यापार या पर्यटन करें

नई दिल्ली, 17 मई (एजेंसियां)। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देशवासियों से अपील की है कि वे सोच-समझकर ही किसी देश से व्यापार या पर्यटन करें। भारत के खिलाफ काम करने वाले देशों को किसी भी रूप में आर्थिक मदद न दी जाए, यही समय की मांग है। उपराष्ट्रपति कहा कि भारतीय लोग ऐसे देशों की अर्थव्यवस्था को मदद नहीं दे सकते जो भारत के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हमें ऐसे देशों से सामान खरीदने (आयात) या वहां घूमने (पर्यटन) से बचना चाहिए जो भारत विरोधी रुख अपनाते हैं। उनका यह बयान उस समय आया है जब तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ व्यापार और पर्यटन का बहिष्कार चल रहा है। इन दोनों देशों ने हाल ही में पाकिस्तान का साथ दियाजब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था।

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर व्यक्ति को देश की सुरक्षा में सहयोग देना चाहिए। खासकर व्यापारवाणिज्यऔर उद्योग जैसे क्षेत्र सुरक्षा मामलों में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहाक्या हम ऐसे देशों को सशक्त बना सकते हैं जो हमारे खिलाफ हैंसमय आ गया है कि हम सभी को आर्थिक राष्ट्रवाद  के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि हम अब ऐसे देशों की अर्थव्यवस्था को और मजबूत नहीं कर सकते जो संकट के समय भारत के खिलाफ खड़े होते हैं। उनका कहना था कि हर चीज को देशभक्ति के आधार पर देखना जरूरी है।

तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों पर किए गए हमलों की आलोचना की। पाकिस्तान ने इस संघर्ष के दौरान तुर्की से मिले ड्रोन का इस्तेमाल किया। अजरबैजान ने भी पाकिस्तान को समर्थन दिया। इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए भारत में तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं कि इन देशों से आयात और पर्यटन पर रोक लगाई जाए। आर्थिक राष्ट्रवाद का मतलब है कि हम उन उत्पादों और सेवाओं को अपनाएं जो देश में बनी हों और ऐसे देशों को आर्थिक लाभ न दें जो हमारे देश के खिलाफ काम करते हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में लोगों के बीच यह भावना बढ़ रही है कि विदेशी नीति और व्यापार में राष्ट्रहित सबसे ऊपर होना चाहिए।

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