20 हजार से एक लाख तक में बिक रही हैं रोहिंग्या लड़कियां

मुस्लिम रहनुमाई की आड़ में रोहिंग्या लड़कियों को बेचने का धंधा!

 20 हजार से एक लाख तक में बिक रही हैं रोहिंग्या लड़कियां

मानव-तस्करों और स्थानीय लोगों की साठगांठ से चल रहा व्यापार

रोहिंग्या बस्तियां और कई एनजीओ बन रहे हैं तस्करी का जरिया

जम्मू, 23 मई (एजेंसियां)। मुस्लिमों के प्रति रहनुमाई दिखा कर म्यांमार से रोहिंग्या लड़कियों को जम्मू-कश्मीर लाकर बेचा जा रहा है। यह धंधा पूरे देश में चल रहा है, लेकिन इसका आधिकारिक खुलासा जम्मू कश्मीर में हुआ है। जघन्य मानव तस्करी के कई मामले सामने आए हैं। इस धंधे में बाहरी और स्थानीय लोगों की साठगांठ पकड़ी गई है। पुलिस जांच में तस्करी के कई मामले सामने आए हैंजिनमें स्थानीय और बाहरी तस्कर शामिल हैं। मानव तस्करी के इस धंधे में कई एनजीओ भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि तस्करों ने ही कई फर्जी एनजीओ बना रखे हैं, जिनकी आड़ में वे रोहिंग्या या अन्य लड़कियों की खरीद-फरोख्त का धंधा करते हैं।

जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या सिर्फ अवैध रूप से बसे नहीं हैंबल्कि इन्हें सुनियोजित रूप से यहां बसासा गया है। इन बस्तियों के लिंक से म्यांमार से रोहिंग्या लड़कियां लाने में तस्करों को सुविधा रहती है। लड़कियों को जम्मू कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में ले जाकर इन्हें सेक्स मार्केट में बेच दिया जाता है। यौन विकृत लोग या बड़ी उम्र के लोग बड़ी राशि देकर भी रोहिंग्या लड़कियों को खरीदते हैं और उनसे शादी कर लेते हैं। इनकी शादियां भी गैरकानूनी तरीके से कराई जा रही हैं। इन लड़कियों को म्यांमार से लाकर एक लाख रुपए तक में जम्मू-कश्मीर में बेचा जा रहा है। पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज मामले रोहिंग्या लड़कियों की तस्करी के सबूत हैं। जम्मू की रोहिंग्या बस्ती इनके लिए ट्रांजिट पॉइंट का काम करती हैं। कुछ दिन यहां रखने के बाद सौदा पक्का होते ही लड़कियों को आगे भेज दिया जाता है।

इस तस्करी में कश्मीर के कई लोग शामिल हैंजो रोहिंग्या समुदाय और मानव-तस्करों के साथ मिलकर यह धंधा चला रहे हैं। अत्यंत अल्प अवधि में जम्मू संभाग में 30 और कश्मीर में 110 लड़कियों को बेचे जाने या उन्हें बेच कर जबरन शादियां कराए जाने के मामले सामने आ चुके हैं। जम्मू के बठिंडीसुंजवांत्रिकुटा नगर और नरवाल जैसे इलाकों में रोहिंग्या समुदाय की बस्तियां हैं। जम्मू जिले के 70 प्रतिशत रोहिंग्या इन्हीं क्षेत्रों में रहते हैं। ये इलाके उनके लिए ट्रांजिट जोन की तरह काम करते हैंजहां लड़कियों या अन्य लोगों को कुछ दिन रोककर फिर अन्य राज्यों में भेज दिया जाता है।

रोहिंग्या लड़कियों की तस्करी के मामले बाकायदा पुलिस की जानकारी में हैं। कई मामले पकड़े भी गए हैं, लेकिन इस धंधे में अधिक पैसा और अधिक सामर्थ्य पुलिस कार्रवाई में बाधा है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 22 सितंबर 2022 को नगरोटा पुलिस ने म्यांमार निवासी अब्दुल शकूर और मोहम्मद यासमीन को कश्मीर में रोहिंग्या लड़कियों को बेचने के मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। 3 दिसंबर 2022 को त्रिकुटा नगर पुलिस ने दो नाबालिग लड़कियों को मुक्त करायाजिन्हें 20 से 50 हज़ार रुपए में खरीदकर लाया गया था और उन्हें ऊंची कीमत पर बेचने के लिए ग्राहक की तलाश की जा रही थी। 8 नवंबर 2023 को बठिंडी से जफर आलम को एनआईए ने गिरफ्तार किया था। वह म्यांमार से लड़कियां लाकर उन्हें कश्मीर में बेचने के धंधे में शामिल था। 28 नवंबर 2023 को बांदीपुरा में म्यांमार निवासी मंजूर आलम को गिरफ्तार किया गया था। वह रोहिंग्या लड़कियों को जम्मू में ठहराकर कश्मीर भेजता था। 28 मई 2024 को बड़गाम में दो रोहिंग्या लड़कियों को बरामद किया गयाजिन्हें बेचने के लिए लाया गया था। 12 जुलाई 2024 को बारामुला के शकील अहमद से चार नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया। उसने एक लड़की को 20 हजार रुपए में बेचा था। ये घटनाएं बताती हैं कि रोहिंग्या लड़कियों की तस्करी के धंधे के बारे में जम्मू कश्मीर पुलिस अनभिज्ञ नहीं है। पुलिस को यह भी पता है कि कश्मीर में काम करने वाले रोहिंग्या मजदूर भी इस तस्करी में शामिल हैं। ये अपने परिवार से मिलने के बहाने म्यांमार जाते हैं और वापसी में नाबालिगों को अपनी बेटियां बताकर ले आते हैं। 20 जनवरी 2024 को कोलकाता में रेलवे पुलिस ने बांग्लादेशी रोहिंग्या मुस्लिम अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया थाजो दो नाबालिग लड़कियों के साथ कश्मीर जा रहा था।

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एनजीओ के बहाने मानव-तस्कर म्यांमार की रोहिंग्या बस्तियों में जाते हैं और लड़कियों को चुनते हैं। कोलकाता या गुवाहाटी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उन्हें भारत लाया जाता है। जम्मू पहुंचने पर इन्हें बस्तियों में छिपा दिया जाता है। पहचान छिपाने के लिए फर्जी आधार कार्ड बनवाए जाते हैं। दिसंबर 2023 में जम्मू में 61 और कश्मीर में 97 नकली आधार कार्ड बरामद हुएजिनमें अधिकांश महिलाओं के थे। पूर्व डीजीपी एसपी वैद के अनुसार स्थानीय लोगों के साथ रोहिंग्या लड़कियों की शादियां लंबे समय से चल रही हैं। जम्मू दक्षिण के एसपी अजय शर्मा ने कहा, रोहिंग्याओं की अधिकतर घुसपैठ पश्चिम बंगाल से होती है। वहां से ट्रेन या अन्य साधनों से वे जम्मू पहुंचते हैं। इन्हें पश्चिम बंगाल में ही रोकना जरूरी है। जम्मू कश्मीर पुलिस भी इन पर नजर रखे हुई है। कई मामले दर्ज भी किए गए हैं। बस्तियों में रहने वालों की हर गतिविधि पर निगरानी रखी जा रही है।

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