पश्चिम बंगाल में दोबारा लागू हो मनरेगा
कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया आदेश
करोड़ों के घोटाले पर रोका गया था फंड
कोलकाता, 19 जून (एजेंसियां)। कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में मनरेगा स्कीम 1 अगस्त 2025 से लागू करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने तीन साल पहले वित्तीय अनियमितता को देखते हुए इसपर रोक लगा दी थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा स्कीम 1 अगस्त 2025 से लागू करने का आदेश दिया है। मार्च 2022 को पश्चिम बंगाल में इस योजना को रोक दिया गया था।
हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार इसको लेकर कोई शर्त लगा सकती है ताकि पहले हुई अनियमितताएं दोबारा न हों। उस वक्त केंद्र सरकार ने राज्य को दिये जाने वाले आवंटन राशि को रद्द कर दिया था। ये फैसला 63 कार्यस्थलों के निरीक्षण के आधार पर किया था। इस दौरान 31 कार्यस्थलों पर गड़बड़ी पाई गई थी। संसद के बजट सत्र के दौरान 25 मार्च 2025 केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने मनरेगा को लेकर जानकारी के दौरान भी कहा था कि बंगाल में धन का दुरुपयोग हुआ और ऐसे मामले सामने आए जब काम के बंटवारे और ठेकों को लेकर गड़बड़ियां पाई गई। मंत्री के मुताबिक हमने एक ऑडिट टीम भेजी। उन्होंने 44 ऐसे काम पाए जिनमें अनियमितताएं थीं। उन्होंने 34 मामलों में पूरी वसूली की। अभी भी 10 अन्य काम पूरे किए जाने बाकी हैं। वित्तीय गड़बड़ी 5.37 करोड़ रुपए की थी। इसमें से उन्होंने 2.39 करोड़ रुपए वसूल किए हैं। कुछ चीजों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है।
साल 2021-22 में मनरेगा के तहत राज्य को 7507.80 करोड़ दिए गए थे। इसके बाद तीन साल तक राज्य को धनराशि नहीं दिए गए। इस पर कोर्ट का कहना है कि मनरेगा योजना को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों, जैसे मालदा, दार्जिलिंग, पूर्वी बर्धमान, हुगली को छोड़कर इस योजना को फिर से क्यों नहीं शुरू किया गया? चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस चैताली चटर्जी की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। खंडपीठ ने कहा ये सभी आरोप 2022 से पहले के हैं, आप जो चाहें करें, लेकिन योजना को लागू करें। हाईकोर्ट ने कहा कि इस धनराशि को समेकित निधि में जमा करना होगा। साथ ही इस धनराशि का पहले जिसने दुरुपयोग किया, उससे कानूनी तरीके से निपटा जाना चाहिए।
खंडपीठ ने कहा, मनरेगा योजना को अनिश्चितकाल तक ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता। केंद्र सरकार के पास इसकी अनियमितता की जांच के लिए पर्याप्त साधन हैं। ये जिस उद्देश्य से बनाया गया है उस हित को पूरा करना होगा। इसलिए केंद्र सरकार को अपनी जांच को आगे बढ़ाने के साथ साथ योजना को 1 अगस्त 2025 से लागू किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें धन के वितरण पर अपनी शर्तें रखने के लिए स्वतंत्र हैं ताकि पहले जो गड़बड़ी हुई है वह न हो।