विलीन रियासतों के कालखंड के धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार होगा
लखनऊ, 24 जून (एजेंसियां)। यूपी में विलीन हो चुकी रियासतों के कालखंड के धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसके लिए धर्मार्थ कार्य विभाग ने नियमावली बनाई है। जिलों से प्रस्ताव मांगे हैं। इस कमेटी में पुरातत्व विशेषज्ञ व मंदिर आर्किटेक्ट भी शामिल होंगे। आजादी के बाद प्रदेश में स्वतंत्र रियासतें सरकार में विलीन हो गईं। उस समय सार्वजनिक प्रयोग में धार्मिक स्थल भी राज्य सरकार के अधीन हो गए थे। प्रदेश सरकार ने विलीन हुई रियासतों के धार्मिक स्थलों के रखरखाव, उनके संरक्षण व सुदृढ़ीकरण का निर्णय लिया है। इसके लिए धर्मार्थ कार्य विभाग ने विस्तृत नियमावली बनाई है। साथ ही जिलों से इसके लिए प्रस्ताव मांगा है।
धर्मार्थ कार्य विभाग ने कहा है कि योजना के तहत उन मंदिरों के जीर्णोंद्धार को वरीयता दी जाएगी, जहां अधिक श्रद्धालु और पर्यटक आते हो। वे ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक व पौराणिक महत्व के हो। डीएम द्वारा जीर्णोद्धार की संस्तुति करने से पहले संबंधित मंदिर का स्थलीय निरीक्षण व सर्वे किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि उसकी भूमि पर राज्य सरकार का स्वामित्व है। इसके लिए धर्मार्थ कार्य निदेशालय द्वारा तकनीकी समिति का गठन कर धार्मिक स्थलों के जीर्णोंद्धार संबंधित प्रस्तावों का परीक्षण किया जाएगा। इस समिति में पुरातत्वविद, मंदिर वास्तु विशेषज्ञ को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। यह अपनी स्पष्ट आख्या शासन को उपलब्ध कराएंगे। शासन स्तर पर अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इनके जीर्णोंद्धार से जुड़ा निर्णय लेगी।
धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम की ओर से निदेशक धर्मार्थ कार्य को दिए निर्देश में कहा गया है कि इस समिति की संस्तुति पर संबंधित स्थल का पुरातत्व निदेशालय व इंटैक जैसी विशेषज्ञ संस्थाओं के माध्यम से संरक्षण, जीर्णोंद्धार व अनुरक्षण कराया जाएगा।